अब त्योहारों में वो बात नहीं
आते हैं त्योहार सभी पर,
अब त्योहारों में वो बात नहीं रहती,
हैं सुविधाएँ सारी लेकिन,
खुशनुमा कोई रात नहीं रहती,
होली और दीवाली हमको याद नहीं रहती।
होली मिलन दिवाली पूजा,
होता है सब कुछ अब भी,
पर पहले वाली मुलाकात नहीं रहती,
होली और दीवाली हमको याद नहीं रहती।
ना रंगो में रंगत रही,
ना छुरछुरिया में चमक,
ना लोगों में उत्साह रहा,
ना त्योहारों में दमक,
हँसी- ठिठोली साथ नहीं रहती,
होली और दीवाली हमको याद नहीं रहती।
अब फाल्गुन में फाग न होते हैं,
होली वाले दिन भी सब,
अपने घर में सोते हैं,
और दिवाली में भी अब,
कोई ख़ास बात नहीं रहती,
होली और दीवाली हमको याद नहीं रहती।।