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कोरोना काल में भी कोई व्यक्ति भूखा ना सोएगा

भारत सरकार ने कोरोना महामारी से उत्पन्न बेरोजगारी के मद्देनजर प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना 5 माह के लिए बढ़ा दी है। इस योजना में 80 करोड़ गरीबों को नवम्बर तक मुफ्त अनाज मिलेगा। इस प्रकार यह सुनिश्चित करने का प्रयास किया गया है कि कोरोना काल में भी कोई व्यक्ति भूखा ना सोए।एक लोक कल्याणकारी राज्य की मूलभूत जिम्मेदारी सरकार निभा रही है।

अनायास वो दिन भी याद आते हैं जब तत्कालीन प्रधानमंत्री स्वर्गीय लाल बहादुर शास्त्री जी को राष्ट्र के स्वाभिमान की रक्षा के लिए देशवासियों से सप्ताह में एक दिन उपवास के लिए आव्हान करना पड़ा था।

अपनी कमजोरियों से सबक लेते हुए देश ने निरन्तर प्रगति की है, इसी का यह परिणाम है कि आज जब आर्थिक दुरावस्था के कारण सरकार की आय बहुत कम हो गई है तब भी देश इतना सक्षम है कि वह 80 करोड़ जनता की खाद्यान्न जरूरतों को पूरी कर पा रहा है। निश्चित ही यह देश के लिए संतोष ओर गर्व का विषय है।

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इतना ही नही, देश की सीमाओं की रक्षा के लिए सीमा पर भारी सेना की तैनाती, रूस से करोड़ों के सैन्य सामग्री की खरीदी ओर पूर्व से तय रॉफेल युद्धक विमान की डिलीवरी लेने की क्षमता आज के भारत में है। इसी परिदृश्य में कोरोना के वैक्सीन पर शोध जैसी वैज्ञानिक गतिविधि भी संचालित हो रही है और पाकिस्तान के मोर्चे पर भी उतनी ही मारक् क्षमता के साथ सक्रिय हैं। यह सब हमें गहन सुकून देता है।

आजादी के बाद के पहले दो दशक जब हमें खाद्यान भी आयात करना पड़ता था और देश की गरीब जनता लाल गेहूं खाने के लिए मजबूर थी, भूख से मौतें तक होती थीं, उसके बाद के 5 दशक में देश ने उल्लेखनीय प्रगति की है। इसमें इस बीच सत्ता में रही सभी सरकारों का कम ज्यादा योगदान है। कुल मिलाकर यह देश की उपलब्धियां हैं।

चीन ने अपनी नादानी से यह अवसर उपलब्ध कराया है कि दुनिया भी हमारी अंतरनिहित क्षमता और उपलब्धियों को जान पाएगी।

यहाँ एक चीज ओर चर्चा करना जरूरी है कि जो भी संसाधन हमारे पास उपलब्ध हैं उनका मितव्यता के साथ उपयोग करना भी जरूरी है, जिससे कई प्रकार की चुनोतियों का मुकाबले के लिए देश सदैव तत्पर रहे। आगे कोरोना कितना खीचेगा, चीन से युद्ध भी हो सकता है, अन्य प्राकृतिक आपदाएं भी आ सकती हैं, जैसे इस दौरान भी आईं थी।

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अतः सरकार जिस सुविचारित तरीके से राहत दे रही है, जिसमें भविष्य की परिस्थितियों का आकलन भी किया गया है, वह उचित ही प्रतीत होता है। कांग्रेस की न्याय योजना अनुसार 7500 रु हर माह देने की जिद्द अव्यवहारिक ओर अनुचित ही लगती है।

 

(लेखक वरिष्ठ राजनैतिक विश्लेषक एवं चिंतक हैं।)

श्री विवेक सक्सेना
रायपुर, छत्तीसगढ़