\

जानिए बारिश के मौसम में डेंगू जैसी संक्रामक बीमारियों से कैसे बचा सकता है

रायपुर, 10 अगस्त 2018/ बारिश के इस मौसम में विभिन्न संक्रामक बीमारियों से बचाव के लिए मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने स्वास्थ्य विभाग को सभी सर्तकतामूलक उपाय सुनिश्चित करने और आम जनता के बीच जागरूकता बढ़ाने के लिए हर संभव उपाय करने के निर्देश दिए हैं।

इसी कड़ी में स्वास्थ्य मंत्री श्री अजय चंद्राकर के निर्देश पर विभाग द्वारा जनता के बीच डेंगू की बीमारी की रोकथाम के उपायों का व्यापक प्रचार-प्रसार करने के लिए अपील जारी की गई है।

अपील में सभी लोगों को डेंगू के लक्षणों के बारे में भी बताया गया है और इससे बचाव के लिए कई उपयोगी सुझाव दिए गए हैं। राज्य सरकार ने भिलाई नगर सहित प्रदेश के सभी शहरों में स्थानीय निकायों को नालियों और सड़कों और जल स्त्रोतों की सफाई का पूरा ध्यान रखने के लिए भी कहा है।

इस बीच स्वास्थ्य विभाग के आयुक्त श्री आर. प्रसन्ना ने विभागीय अधिकारियों के साथ स्थिति की समीक्षा की है। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के अनुसार डेंगू एक वाइरल बीमारी है जो कि संक्रमित एडिस एजिप्टी मच्छर के माध्यम से फैलता है।

डेंगू एक संक्रामक रोग है और कुछ स्थितियों में यह बीमारी जानलेवा भी हो सकती है। डेंगू से बचने के दो ही उपाय हैं। संक्रमित एडीज मच्छरों को पैदा होने से रोकना। एडीज मच्छरों के काटने से बचाव करना।

मच्छरों को पैदा होने से रोकने के उपाय – लार्वा नियंत्रण हेतु घर या ऑफिस के आसपास पानी जमा न होने दें, गड्ढों को मिट्टी से भर दें, रुकी हुई नालियों को साफ करें। अगर पानी जमा होेने से रोकना मुमकिन नहीं है तो उसमें केरोसिन अथवा मोबिल ऑयल डालें।

रूम कूलरों, फूलदानों का सारा पानी हफ्ते में एक बार और पक्षियों को दाना-पानी देने के बर्तन को रोज पूरी तरह से खाली करें, उन्हें सुखाएं और फिर भरें। घर में टूटे-फूटे डिब्बे, टायर, बर्तन, बोतलें आदि न रखें।

डेंगू के मच्छर साफ पानी में पनपते हैं, इसलिए पानी की टंकी को अच्छी तरह बंद करके रखें। अगर मुमकिन हो तो खिड़कियों और दरवाजों पर महीन जाली लगवाकर मच्छरों को घर में आने से रोकें।

मच्छरों को भगाने और मारने के लिए मच्छरनाशक क्रीम, स्प्रे, मैट्स, कॉइल्स आदि इस्तेमाल कर सकते हैं। घर के अंदर सभी जगहों में हफ्ते में एक बार मच्छरनाशक दवा का छिड़काव जरूर करें। यह दवाई फोटो-फ्रेम्स, पर्दों, कैलेंडरों आदि के पीछे और घर के स्टोर-रूम और सभी कोनों में जरूर छिड़कें।

दवाई छिड़कते वक्त अपने मुंह और नाक पर कोई कपड़ा जरूर बांधें। साथ ही, खाने-पीने की सभी चीजों को ढककर रखें। मच्छरों के काटने से बचाव ऐसे कपड़े पहने, जिससे शरीर का ज्यादा-से-ज्यादा हिस्सा ढका रहे। खासकर बच्चों के लिए यह सावधानी बहुत जरूरी है। बच्चों को मलेरिया सीजन में  शरीर को पूरा ढकने वाले कपड़े ही पहनाएं। रात को सोते समय मच्छरदानी लगाएं।

उन्होंने बताया कि इन दिनों बुखार होने पर सिर्फ पैरासिटामोल (क्रोसिन, कैलपोल आदि) लें। एस्प्रिन (डिस्प्रिन, इकोस्प्रिन) या एनॉलजेसिक (बु्रफेन, कॉम्बिफ्लेम आदि) बिल्कुल न लें इस प्रकार की दवाईयों से प्लेटलेट्स कम हो सकती हैं और शरीर से ब्लीडिंग शुरू हो सकती है।

यदि बुखार सामान्यतः पैरा सिटामाल से कम नहीं होता है तथा तकलीफ बढ़े तो चिकित्सक की सलाह जरुर लेवें। अगर किसी को डेंगू हो गया है तो उसे मच्छरदानी के अंदर रखें, ताकि मच्छर उसे काटकर दूसरों में बीमारी न फैलाएं।

जब डेंगू वायरस संक्रमित मच्छर किसी और इंसान को काटता है तो उससे वह वायरस उस इंसान के शरीर में पहुंच जाता है, जिससे वह डेंगू वायरस से पीड़ित हो जाता है। इस बीमारी में लक्षण मच्छर काटे जाने के करीब 3-5 दिनों के बाद मरीज में डेंगू बुखार के लक्षण दिखने लगते हैं।

शरीर में बीमारी पनपने की मियाद 3 से 10 दिनों की भी हो सकती है। उन्होंने बताया कि तीन तरह का, लक्षण के साथ मिल सकता है क्लासिकल (साधारण) डेंगू बुखार, डेंगू हैमरेजिक बुखार, डेंगू शॉक सिंड्रोम का डेंगू होता है।

उन्होंने आगे बताया कि एमबीबीएस, एमडी, फिजिशियन, शिशु रोग विशेषज्ञ चिकित्सक से अपना ईलाज कराना चाहिये । बच्चों में डेंगू के लक्षण नजर आएं तो उसे बच्चों के डाक्टर से सलाह लीे जाएं।

मरीज को साधारण डेंगू बुखार है तो उसका इलाज व देखभाल चिकित्सक की सलाह पर घर में की जा सकती है। अगर बुखार 100 डिग्री फॉरेनहाइट से ज्यादा है तो मरीज के शरीर पर पानी की पट्टियां रखें।

यदि कम न हो तो अस्पताल जरुर जाएं। सामान्य रूप से खाना देना जारी रखें। बुखार की हालत में शरीर को ज्यादा तरल पदार्थ खाने की जरूरत होती है। मरीज को आराम करने दें। बुखार में प्लेटलेट्स कम हो जाती हैं, जिससे शरीर के जरूरी हिस्से प्रभावित हो सकते हैं।

डेंगू बुखार के हर मरीज को प्लेटलेट्स चढ़ाने की जरूरत नहीं होती, सिर्फ डेंगू हैमरेजिक और डेंगू शॉक सिंड्रोम बुखार में ही जरूरत पड़ने पर प्लेटलेट्स चढ़ाई जाती हैं। अगर सही समय पर इलाज शुरू कर दिया जाए तो पूरा इलाज मुमकिन है। लेकिन किसी भी तरह के डेंगू में मरीज के शरीर में पानी की कमी नहीं आने देनी चाहिए।

उसे खूब पानी और बाकी तरल पदार्थ (नीबू पानी, छाछ, नारियल पानी आदि) पिलाएं ताकि शरीर में पानी की कमी न हो। एहतियात रुप से ठंडा पानी न पीएं, मैदा और बासी खाना न खाएं। हल्का भोजन करें, जो आसानी से पच सके।

पूरी नींद लें, खूब पानी पीएं द्यमिर्च मसाले और तला हुआ खाना न खाएं, भूख से कम खाएं,। छाछ, नारियल पानी, नीबू पानी आदि खूब पिएं। विटामिन-सी से भरपूर चीजों का ज्यादा सेवन करें जैसे: आंवले, संतरे या मौसमी ले सकते हैं। यह हमारे इम्यून सिस्टम को सही रखता है। अपने आप मर्जी से कोई भी एंटी-बायोटिक या कोई और दवा न लें।

अगर बुखार ज्यादा है तो डॉक्टर के पास जाएं और उसकी सलाह से ही दवाई ले। झोलाछाप डॉक्टरों के पास न जाएं। उन्होंने बताया कि अगर तेज बुखार हो, जॉइंट्स में तेज दर्द हो या शरीर पर रैशेज हों तो तत्काल डेंगू का टेस्ट कराने हेतु चिकित्सकीय सलाह लेना चाहिए।

डेंगू की जांच के लिए शुरुआत में एंटीजन ब्लड टेस्ट (एनएस 1) पॉजिटिव आता है, जबकि बाद में धीरे-धीरे पॉजिविटी कम होने लगती है। अगर तीन-चार दिन के बाद टेस्ट कराते हैं तो एंटीबॉडी टेस्ट (डेंगू सिरॉलजी) की जाती है। ये टेस्ट खाली या भरे पेट, कैसे भी कराए जा सकते हैं।

बच्चों में के लिये सावधनियां बच्चों का इम्युन सिस्टम ज्यादा कमजोर होता है और वे खुले में ज्यादा रहते हैं इसलिए उनके प्रति सचेत होने की ज्यादा जरूरत है। पालक ध्यान दें कि बच्चे घर से बाहर पूरे कपड़े पहनकर जाएं।

जहां खेलते हों, वहां आसपास गंदा पानी न जमा हो। स्कूल में शिक्षकों से अपील होगी कि इस बात का ध्यान रखे जाएं कि स्कूलों में मच्छर न पनप पाएं।

बहुत छोटे बच्चे खुलकर बीमारी के बारे में बता भी नहीं पाते इसलिए अगर बच्चा बहुत ज्यादा रो रहा हो, लगातार सोए जा रहा हो, बेचैन हो, उसे तेज बुखार हो, शरीर पर रैशेज हों, उलटी हो या इनमें से कोई भी लक्षण हो तो फौरन डॉक्टर से जांच कराने सुझाव दिया जाए।

बच्चों को डेंगू हो तो उन्हें अस्पताल में रखकर ही इलाज कराना चाहिए क्योंकि बच्चों में प्लेटलेट्स जल्दी गिरते हैं और उनमें डीहाइड्रेशन (पानी की कमी) भी जल्दी होता है।