मनकही

“ज्ञान की बात” स्तंभ में जानिए रोजगार के लिए आवश्यक अहर्ताएँ ज्ञानेन्द्र पाण्डेय से

प्रसिद्ध उद्यमिता सलाहकार श्री ज्ञानेन्द्र पाण्डेय प्रति सप्ताह सोमवार को न्यूज एक्सप्रेस डॉट कॉम पर “ज्ञान की बात” के माध्यम से रोजगार, स्वरोजगार के लिए व्यवसाय एवं उद्योग के साथ रोजगार से जुड़े अन्य विषयों पर जानकारी देंगे। आप कमेंट के माध्यम से उनके साथ जुड़ सकते हैं एवं रोजगार की समस्याओं से लेकर विभिन्न पहलुओं पर उनसे सलाह ले सकते हैं।

बढ़ती बेरोजगारी और महंगी होती गुणवत्तापूर्ण शिक्षा ने मध्यम  वर्गीय परिवारों को एक चिरस्थाई घोर हताशा में ला खड़ा किया है। सरकार की विभिन्न योजनाओं और उनके क्रियान्वयन की जटिल प्रक्रियाओं ने जरूरतमंदों को ऐसे दोरस्ते पर ला खड़ा किया है जहाँ से या तो उन्हें सिर्फ काम चलाऊ अस्थाई रोजगार से काम चलाना पड़ता है या फिर ऐसे रास्तों पर चलने की मज़बूरी होती है जहाँ भविष्य को भुलाकर एक एक दिन काटने पड़ते हैं।

ऐसे में हम सबका दायित्व बनता है की हम इस भीषण विपत्तिकाल में हमारे युवाओं की मदद करें।  हर युवा के लिए ये संभव नहीं है कि वह स्वयं का व्यापार करे और यदि व्यापार शुरू कर ही लिया हो तो उसे आगे बढ़ा सके।  भारत में नए उद्योग स्थापना एवं उसके स्थायित्व का आंकड़ा बेहद चौंकाने वाला और निराशाजनक है।

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बहरहाल निराशाओं के चाहे लाख कारण हों पर कहावत है कि “हारिये न हिम्मत बिसारिये न राम” इसलिए इस समस्या पर थोड़ा मंथन करते हैं और कोशिश करते है कि रास्ता सहज और सुगम हो परन्तु बिना मेहनत और लगन के कुछ नहीं होने वाला।  तो आइये देखते हैं कि क्या है समाधान?

जब भी हमने किसी स्वरोजगार स्थापना के सम्बन्ध में चर्चा की है तो सबसे पहले यही सवाल आता है कि क्या करें ?? कौन सा व्यवसाय करें ?? लागत कितनी होगी ?? और अंत में यह चर्चा “देखते हैं” या “कोशिश करते हैं” जैसे शब्द के साथ और हताशाजनक भाव में दम तोड़ देती है।  इस स्थिति से कुछ हद तक राहत पाने के लिए आप मेरे  3 – P मॉडल का अध्ययन कर सकते है।

पीपीपी मॉडल
नए अविष्कारों के बारे में एक कहावत है कि “आवश्यकता ही अविष्कार की जननी है” इसी पर मनन करते हुए मैंने स्वरोजगार के लिए पीपीपी मॉडल की परिकल्पना की है जिसका अर्थ Pain, Pride & Passion   आइये इसे समझें

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१. Pain अर्थात तकलीफ: अपने आस पास लोगों को देखें, उनकी दिनचर्या पर गौर करें और उनकी तकलीफों को समझने की कोशिश करें।  हो सकता है आपको इस तरह अपने नए व्यवसाय के लिए कोई अच्छा आईडिया मिल जाये।  उदहारण के तौर पर जब किसी ने लोगों को नंगे पैर चलते देखा होगा और उसकी तकलीफ तथा जोखिम को महसूस किया होगा उसने जरूर चप्पल जैसी किसी चीज की परिकल्पना की होगी।  इसी तरह प्रतिदिन आप लोगों की परेशानियों का हल ढूँढ़के अपने व्यवसाय का नींव रख सकते हैं।  आगे बढ़ते हैं

२. Pride अर्थात गौरव:  हर व्यक्ति किसी न किसी तरह से कभी न कभी प्राइड या गौरव महसूस करना चाहता है।  यहाँ समस्या का समाधान बनी चप्पल अब गौरव की बात हो गयी।  नए नए ब्रांड के जूते, चप्पलें और न जाने कितने आकार प्रकार और ढंग के बनने लगे।  फलां कंपनी का जूता पहनना गर्व की बात हो गयी।  और आप जानते हैं कि आवश्यकता न होते हुए भी इसका बाजार कितना बड़ा है।  मोरल ऑफ़ द स्टोरी ये है  की एक आईडिया वाकई दुनिया बदल सकता है।

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३. Passion या जूनून: धीरे धीरे ब्रांडेड जूते गौरव की बात से आगे निकलकर लोगों का जूनून बन गए।  जूते चप्पलों की दुनिया में भूचाल सा आ गया, तरह तरह के जूते और चप्पलें संकलन  किये जाने लगे हैं। शादी पार्टी के अलग, फोटोग्राफी के लिए जंगल जाने के लिए अलग, स्कूल का अलग और ऑफिस का भी…..   हर पोशाक और हर अवसर पर अलग।

इस तरह किसी एक समस्या का समाधान यदि आपने खोज लिया तो आप इतिहास में उस खोज के जनक माने जायेंगे और रातों रात सफलता की कहानी सात समंदर पार जा फैलेगी।

तो अब से आप ये कभी मत सोचें कि क्या करें? बल्कि लोगों की समस्याओं, तकलीफों के लिए हल ढूंढिए और खुश रहिये।

 

ज्ञानेन्द्र पाण्डेय
प्रसिद्ध उद्यमिता सलाहकार

 

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