बीमा क्षेत्र में बड़ा सुधार: संसद ने 100% एफडीआई को दी मंजूरी
संसद ने बुधवार को बीमा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) की सीमा को 74 प्रतिशत से बढ़ाकर 100 प्रतिशत करने वाले विधेयक को मंजूरी दे दी। सरकार का मानना है कि इस फैसले से देश में बीमा कवरेज बढ़ेगा और निवेश को नई गति मिलेगी। वर्तमान में भारत में बीमा पैठ सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के लगभग 3.8 प्रतिशत के आसपास है।
लोकसभा में विधेयक पेश करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि बीमा कानूनों में किए गए ये संशोधन रोजगार सृजन, कौशल विकास और औपचारिक क्षेत्र में रोजगार को मजबूती देंगे। उन्होंने कहा कि इससे बीमा सेवाओं का विस्तार होगा और ज्यादा से ज्यादा लोगों तक सुरक्षा पहुंच सकेगी।
निवेश बढ़ने की उम्मीद
विशेषज्ञों का मानना है कि एफडीआई सीमा में वृद्धि से विदेशी निवेशकों का भरोसा बढ़ेगा। कंसल्टेंसी फर्म केर्नी के पार्टनर सौरभ मिश्रा के अनुसार, यह कदम उन वैश्विक बीमा कंपनियों को आकर्षित करेगा, जो लंबे समय से भारत में निवेश का इंतजार कर रही थीं और जो पूंजी के साथ-साथ जोखिम प्रबंधन और तकनीक में अपनी अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञता लाना चाहती हैं।
फिलहाल देश में लगभग 74 बीमा कंपनियां कार्यरत हैं, जिनमें कई विदेशी साझेदारी वाली कंपनियां भी शामिल हैं। वित्त मंत्री के अनुसार इनमें से केवल चार कंपनियों में ही विदेशी निवेश 74 प्रतिशत तक पहुंचा है।
कॉम्पोजिट लाइसेंस प्रस्ताव हटाया गया
हालांकि, ‘सबका बीमा–सबकी रक्षा (बीमा कानून संशोधन) अधिनियम, 2025’ में उस प्रस्ताव को शामिल नहीं किया गया है, जिसके तहत एक ही कंपनी को जीवन, सामान्य और स्वास्थ्य बीमा की सेवाएं देने की अनुमति मिलती। मौजूदा व्यवस्था में जीवन बीमा कंपनियां स्वास्थ्य बीमा नहीं बेच सकतीं, जबकि सामान्य बीमा कंपनियां स्वास्थ्य से लेकर समुद्री बीमा तक के उत्पाद उपलब्ध कराती हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि कॉम्पोजिट लाइसेंस का प्रावधान हटने से कुछ कंपनियों को अपनी विस्तार योजनाओं पर पुनर्विचार करना पड़ सकता है।
विलय और पॉलिसीधारकों के हितों पर फोकस
नए कानून के तहत बीमा कंपनी का किसी गैर-बीमा कंपनी के साथ विलय संभव होगा, बशर्ते संयुक्त इकाई बीमा कारोबार में बनी रहे। इसके अलावा पॉलिसीधारकों की शिक्षा और उनके हितों की रक्षा के लिए एक समर्पित कोष बनाने का भी प्रावधान किया गया है।
एजेंट कमीशन पर नियामक को अधिकार
संशोधन के बाद बीमा नियामक इरडा (IRDAI) को बीमा एजेंटों को दिए जाने वाले कमीशन की सीमा तय करने का विधायी अधिकार मिल गया है। साथ ही, नियमों के उल्लंघन से अर्जित किसी भी अनुचित लाभ को वापस लेने की शक्ति भी नियामक को दी गई है।
सरकार का कहना है कि ये बदलाव बीमा क्षेत्र को अधिक पारदर्शी, प्रतिस्पर्धी और निवेश के अनुकूल बनाने की दिशा में अहम कदम साबित होंगे।

