अमेरिका की दोहरी नीति: USCIS की देशनिकासी कार्रवाई और USCIRF की भारत पर आपत्तियाँ
घुसपैठ और शरणार्थी समस्या पर अमेरिका की दोहरी नीति सामने आई है। अमेरिका की एक संवैधानिक संस्था USCIS ने अपने यहाँ से 19 देशों के सभी नागरिकों को अपने देश से निकालने का अभियान छेड़ दिया है। वहीं दूसरी अमेरिकी संस्था USCIRF ने भारत में शरणार्थियों की पहचान करने की कार्रवाई पर कड़ा विरोध जताया है और उन्हें भारत में ही बसाने के लिए दबाव भी बनाया है।
नवंबर माह में अमेरिका से दो समाचार आये, जो विश्व मीडिया में सुर्खियाँ बने। ये समाचार अमेरिका सरकार की दो अलग-अलग संस्थाओं द्वारा की गई कार्यवाही से संबंधित हैं। एक समाचार नवंबर के अंतिम सप्ताह का है। यह समाचार अमेरिकी संस्था USCIS द्वारा 19 देशों के नागरिकों को अमेरिका से निकालने की कार्रवाई तेज करने का है। इस संस्था का पूरा नाम “अमेरिकन सिटिजनशिप एंड इमिग्रेशन सर्विसेज” है। यह संस्था अमेरिका आने वाले लोगों को नागरिकता देने का काम करती है। यह संस्था अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की उस घोषणा के बाद सक्रिय हुई, जिसमें कहा गया था कि वे ‘थर्ड वर्ल्ड कंट्रीज’ से आने वाले शरणार्थियों को हमेशा के लिए रोक देंगे, और जो आ गये हैं उन्हें अमेरिका से बाहर करेंगे। “थर्ड वर्ल्ड” के रूप में अफ्रीका, एशिया, लैटिन अमेरिका और मध्य एशिया के देश माने जाते हैं।
USCIS ने 19 देशों की एक सूची भी जारी की है। इनमें अफगानिस्तान, बर्मा, चाड, कांगो गणराज्य, इक्वेटोरियल गिनी, इरिट्रिया, हैती, ईरान, लीबिया, सोमालिया, सूडान, यमन, बुरुंडी, क्यूबा, लाओस, सिएरा लियोन, टोगो, तुर्कमेनिस्तान और वेनेजुएला शामिल हैं। इन देशों में विकास की गति धीमी है। यहाँ के नागरिक अपनी गरीबी और बेरोजगारी दूर करने के लिए अन्य देशों में जाते हैं। अमेरिका उनकी पहली प्राथमिकता होता है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने इन देशों के नागरिकों को “अमेरिका के लिए चिंताजनक” बताया है तथा उन्हें अपने यहाँ से निकालने की तैयारी भी कर ली है। इसकी तैयारी तो जून 2025 से ही हो रही थी, लेकिन हाल ही में दो अमेरिकी सैनिकों पर हुए आतंकवादी हमले के बाद प्रशासन ने यह काम अपनी पहली प्राथमिकता में ले लिया है।
यह हमलावर अफगानिस्तानी नागरिक रहमनुल्लाह लाकनवाल था, जिसे गिरफ्तार कर लिया गया। इस हमले में अमेरिकी नेशनल गार्ड्स के एक सैनिक की मृत्यु हो गई और एक अन्य गंभीर रूप से घायल हुआ था। हमलावर पकड़ लिया गया है, वह अफगानी नागरिक है।
इस हमले के बाद राष्ट्रपति ट्रम्प ने इन देशों से अमेरिका आने वाले नागरिकों पर तीखी टिप्पणी की और उन्हें अमेरिकियों का जीवन खराब करने वाला बताया। उन्होंने कहा कि अवैध और परेशानी पैदा करने वाली आबादी को कम किया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि गलत इमिग्रेशन नीतियों के कारण अमेरिका में अपराध और अव्यवस्था बढ़ी है। “इस समस्या का पूरा इलाज सिर्फ रिवर्स माइग्रेशन अर्थात लोगों को उनके देश वापस भेजना ही है।” राष्ट्रपति ट्रम्प की इस घोषणा के बाद USCIS के निदेशक जो एडलो ने कहा कि राष्ट्रपति के निर्देश पर यह जांच ‘पूरी तरह कठोर और फुल-स्केल’ होगी।
एक ओर अमेरिकी राष्ट्रपति यह खुली घोषणा कर रहे हैं कि जो लोग अमेरिका से प्यार नहीं करते उन्हें निकाला जाएगा, वहीं अमेरिकी सरकार की ही एक अन्य संस्था USCIRF भारत में घुसपैठियों की जांच पर आपत्ति जता रही है।
इस संस्था USCIRF का पूरा नाम “यूनाइटेड स्टेट्स कमीशन ऑन इंटरनेशनल रिलीजियस फ्रीडम” है। यह संस्था अमेरिका सहित संसार के विभिन्न देशों में धार्मिक स्वतंत्रता के सार्वभौमिक अधिकार पर अपनी रिपोर्ट तैयार करती है। वार्षिक रिपोर्ट के अतिरिक्त भी समय-समय पर इसके पदाधिकारियों की टिप्पणियाँ आती हैं। USCIRF ने इस वर्ष अपनी रिपोर्ट भारत के मुस्लिम समाज पर केंद्रित की है और बहुसंख्यक हिन्दुओं एवं भारत सरकार पर मुसलमानों को धार्मिक आधार पर उत्पीड़ित करने का आरोप लगाया है। इस रिपोर्ट में नागरिकता के सत्यापन और घुसपैठियों को बाहर करने की कार्रवाई को मुसलमानों के धार्मिक अधिकार से जोड़कर तीखी आलोचना की गई है। रिपोर्ट में सुरक्षा एजेंसियों द्वारा आतंकवादियों और अपराधियों पर की जाने वाली कार्यवाही को भी मुसलमानों के धार्मिक अधिकार से जोड़कर आपत्तिजनक माना गया है।
दुनिया के किसी भी देश में अपराधी अथवा आतंकवादी को धार्मिक आधार पर बचाव नहीं दिया जाता, अमेरिका में भी नहीं। लेकिन भारत में अपराधी के धार्मिक और मानवाधिकार दिखाए जाते हैं। भारत में एक भी ऐसी घटना नहीं घटी जहाँ बहुसंख्यक समाज ने किसी अल्पसंख्यक को धार्मिक आधार पर उत्पीड़ित किया हो। यहाँ तो इसके बिल्कुल विपरीत होता है। धार्मिक आधार पर बहुसंख्यकों पर हमले होते हैं। वे भयभीत होकर मकान और दुकान बेचकर अन्यत्र भाग रहे हैं। लेकिन यह अमेरिकी रिपोर्ट यह भी लिखती है कि भारत सरकार राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर धार्मिक अल्पसंख्यकों के विरुद्ध व्यापक उत्पीड़न और हिंसा को बर्दाश्त करती है और कभी-कभी उसे बढ़ावा भी देती है।
रिपोर्ट में कमिश्नर स्टीफन श्नेक ने कहा है कि “मुसलमानों को अपनी नागरिकता साबित करने के लिए मजबूर करना उनकी धार्मिक पहचान के आधार पर व्यक्तियों को सीधे निशाना बनाना है और नागरिक एवं राजनीतिक अधिकारों पर अंतर्राष्ट्रीय संधि के तहत भारत के दायित्वों का सीधा उल्लंघन है।” उन्होंने आगे कहा कि “हम ट्रम्प प्रशासन से आग्रह करते हैं कि वह भारत सरकार के साथ अपने द्विपक्षीय संबंधों में धार्मिक स्वतंत्रता को शामिल करे और मुस्लिम आबादी और अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों की सुरक्षा की आवश्यकता पर ज़ोर दे।”
USCIRF ने भारत सरकार द्वारा रोहिंग्या घुसपैठियों की तलाश और उन्हें वापस भेजे जाने पर भी आपत्ति की है और कहा है कि उन्हें शरणार्थी माना जाना चाहिए। अध्यक्ष विकी हार्टज़लर ने भारत सरकार द्वारा रोहिंग्या शरणार्थियों का निष्कासन अंतर्राष्ट्रीय कानून और गैर-वापसी के सिद्धांत की घोर अवहेलना बताया है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भारत को शरणार्थियों के इस निष्कासन और मनमाने ढंग से हिरासत में रखने पर तुरंत रोक लगानी चाहिए।
USCIRF को पाकिस्तान और बांग्लादेश में हिन्दुओं की हत्याएँ और घटती आबादी नहीं दिख रही, लेकिन भारत पर उंगली उठाई जा रही है। रिपोर्ट में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर भी निशाना साधा गया है और कहा गया है कि यह संगठन धार्मिक परिवर्तन रोकने का प्रयास करता है। रिपोर्ट की यह पंक्ति परोक्ष रूप से उन तत्वों की करतूतों पर परदा डालने वाली है जो भारत में छल-प्रपंच से धर्मांतरण का अभियान चलाए हुए हैं। लेकिन यदि कोई संगठन इन षड्यंत्रों से समाज को जागरूक करने का प्रयास करता है तो उस पर USCIRF को आपत्ति है। इस रिपोर्ट में गोहत्या रोकने के प्रयास और पाठ्यपुस्तकों से मुस्लिम शासकों से जुड़े संदर्भ हटवाने के लिए भी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर निशाना लगाया गया है।
यह रिपोर्ट जिस समय आई है और जिस प्रकार बिंदुओं का प्रस्तुतिकरण किया गया है, वह भारत के निवासियों की धार्मिक स्वतंत्रता का विश्लेषण नहीं, बल्कि भारत में घुसपैठ, आतंकवाद और अलगाववाद को संरक्षण देने का कुचक्र लगता है।
इन दिनों भारत में मतदाता सूचियों का सत्यापन कार्य (SIR) चल रहा है। कुछ राजनीतिक दल और कुछ कट्टरपंथी इस सत्यापन का विरोध कर रहे हैं। वे घुसपैठियों को मतदाता बनाए रखने का अभियान चला रहे हैं। इस रिपोर्ट में भारत विरोधी ऐसे ही अभियान की स्पष्ट झलक दिखाई देती है। USCIRF उस देश की संस्था है जिसने केवल वीजा समाप्त होने पर अपने यहाँ से विदेशी नागरिकों को पोर्ट कर दिया था। केवल एक आतंकवादी हमला होने पर 19 देशों के अवैध नागरिकों को बाहर कर रहा है। वहीं दूसरी ओर भारत ने यदि कुछ घुसपैठियों को बाहर करने का प्रयास किया तो USCIRF भारत की आलोचना कर रहा है।
भारत के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करने वाली और भारत की एकता को तोड़ने वाले कट्टरपंथियों तथा आतंकवादियों को प्रोत्साहित करने वाली USCIRF की यह पहली रिपोर्ट नहीं है। इससे पहले भी इस संस्था की कुछ रिपोर्ट भारत के विरुद्ध आई थीं। भारत सरकार ने गत वर्ष भी इस संस्था की रिपोर्ट को खारिज कर दिया था और इस वर्ष भी तथ्यहीन बताकर खारिज कर दिया है।

