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पुणे भूमि सौदे पर विवाद: फडणवीस ने दिए जांच के आदेश, अजित पवार के बेटे पार्थ पर लगे आरोप

महाराष्ट्र में एक बार फिर भूमि सौदे को लेकर सियासत गरमा गई है। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने पुणे के कोरेगांव पार्क स्थित विवादित जमीन के सौदे की जांच के लिए एक उच्चस्तरीय समिति गठित की है। यह जमीन उपमुख्यमंत्री अजित पवार के बेटे पार्थ पवार से जुड़ी एक कंपनी अमाडिया एंटरप्राइजेज एलएलपी द्वारा खरीदी गई थी। जांच की जिम्मेदारी राजस्व विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव विकास खारगे को सौंपी गई है।

फडणवीस ने नागपुर में पत्रकारों से कहा, “मैंने इस मामले से जुड़ी सभी जानकारी मांगी है। राजस्व विभाग, भूमि अभिलेख और पंजीकरण विभाग से रिपोर्ट ली जा रही है। प्रारंभिक स्तर पर कुछ गंभीर बातें सामने आई हैं, इसलिए जांच पूरी होने के बाद ही मैं विस्तार से टिप्पणी करूंगा।”

उन्होंने आगे कहा, “हमारी सरकार में यह स्पष्ट सहमति है कि किसी भी गड़बड़ी पर कार्रवाई की जाएगी। मुझे विश्वास है कि स्वयं उपमुख्यमंत्री भी ऐसी अनियमितता का समर्थन नहीं करेंगे।”

जमीन सौदे पर आरोप

आरोप है कि पार्थ पवार और दिग्विजय पाटिल की कंपनी ने 40 एकड़ “महार वतन” जमीन खरीदी है। ऐसी जमीनें ऐतिहासिक रूप से महार समुदाय को गाँव की सेवा के बदले दी जाती थीं, और इन्हें बिना राज्य सरकार की अनुमति के बेचा नहीं जा सकता। विपक्ष का आरोप है कि जिसकी अनुमानित कीमत करीब ₹1,800 करोड़ थी, उसे मात्र ₹300 करोड़ में बेचा गया, और उस पर स्टांप ड्यूटी माफ कर दी गई।

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राजस्व मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने कहा, “हमें यह देखना होगा कि क्या स्टांप ड्यूटी की छूट कानूनी प्रावधानों के अनुसार दी गई थी। महार वतन जमीन से जुड़ा एक विशेष कानून है और उसके तहत ही कोई छूट दी जा सकती है। इसी की जांच के आदेश दिए गए हैं।”

सरकार में हलचल और निलंबन आदेश

सरकारी सूत्रों के अनुसार, इस सौदे से जुड़े तहसीलदार सूर्यकांत येवले को निलंबित कर दिया गया है। वहीं अजित पवार ने इस मामले पर अब तक कोई बयान नहीं दिया है। पार्थ पवार ने एक टीवी चैनल से कहा, “मैंने कोई गलत काम नहीं किया। मेरे खिलाफ लगाए गए आरोप बेबुनियाद हैं।”

विपक्ष ने उठाए सवाल

बरामती की सांसद सुप्रिया सुले ने राज्य सरकार पर भ्रम फैलाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, “पहले कहा गया कि ₹21 करोड़ की स्टांप ड्यूटी माफ की गई, फिर कहा गया ₹6 करोड़। सरकार को पहले यह स्पष्ट करना चाहिए कि सौदा हुआ भी या नहीं।”
सुले ने यह भी पूछा कि जब तहसीलदार का कहना है कि उसने दस्तावेज़ पर हस्ताक्षर नहीं किए, तो फिर उसका निलंबन क्यों किया गया?

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सुले ने आगे कहा, “अगर लोग कह रहे हैं कि मैं पार्थ का पक्ष ले रही हूँ, तो मुझे इससे कोई आपत्ति नहीं। मैंने खुद उससे बात की है, उसने साफ कहा है कि उसने कुछ गलत नहीं किया।”

शिवसेना (UBT) और कांग्रेस का हमला

शिवसेना (UBT) नेता अंबादास दानवे ने सवाल उठाया कि पार्थ की कंपनी की पूंजी मात्र ₹1 लाख है, फिर वह ₹1,800 करोड़ की जमीन कैसे खरीद सकती है? उन्होंने आरोप लगाया, “22 अप्रैल 2025 को कंपनी ने आईटी पार्क बनाने का निर्णय लिया और 48 घंटे के भीतर उद्योग निदेशालय ने स्टांप ड्यूटी माफ कर दी। यह सब कैसे हुआ?”

महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष हर्षवर्धन सापकाळ ने मांग की कि अजित पवार को इस प्रकरण में नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा देना चाहिए। उनके अनुसार, “यह साफ दिखाता है कि सत्ता का दुरुपयोग कर करोड़ों की जमीन औने-पौने दामों में हासिल की गई है।”