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ईसर–गौरा महोत्सव: ग्राम तुरमा में परंपरा और एकता का अद्भुत संगम

भाटापारा/ अंचल के ग्राम तुरमा में देवउठनी एकादशी के पावन अवसर पर प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी ईसर–गौरा महोत्सव का आयोजन बड़ी धूमधाम से संपन्न हुआ। यह आयोजन ध्रुव समाज द्वारा अपनी पारंपरिक रीति-रिवाजों के अनुसार किया गया, जिसमें ईशर राजा और गौरा रानी की मिट्टी से प्रतीकात्मक प्रतिमाएं निर्मित कर उनका विवाह संस्कार पूरे विधि-विधान से संपन्न किया गया।

जनजातीय मान्यताओं के अनुसार, ईशर और गौरा का विवाह सृष्टि का प्रथम विवाह माना जाता है। पौराणिक मान्यता यह भी है कि उनके विवाह के पश्चात ही देवउठनी एकादशी के दिन भगवान श्रीहरि विष्णु जी का चातुर्मास से जागरण होता है, और इसी दिन से देव तथा मानव समाज के सभी शुभ कर्म, धार्मिक अनुष्ठान और पूजन-पद्धति से जुड़े कार्य आरंभ किए जाते हैं।

ग्राम तुरमा में इस अवसर पर पारंपरिक वेशभूषा, लोकगीत, वाद्य यंत्रों की ताल और लोकनृत्य ने पूरे वातावरण को आनंदमय बना दिया। यह आयोजन न केवल सांस्कृतिक उल्लास का प्रतीक बना, बल्कि गांव की एकता, सद्भावना और सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण का सशक्त संदेश भी दिया।

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इस कार्यक्रम में सर्व समाज—पाल, निषाद, साहू, यदु, यादव, सतनामी समाज सहित ग्राम के सभी वर्गों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया।
कार्यक्रम में मुख्य रूप से उपस्थित रहे – राय पंच बंसीलाल मरकाम, दौलत जगत, नरेश मरई, भारत ध्रुव, बिरसिंह ध्रुव, परस ध्रुव, रमेश ध्रुव, रामप्रसाद ध्रुव, शिवकुमार ध्रुव, विनोद ध्रुव, सतीश ध्रुव, सरपंच श्रीमती लीलाबाई परस मनहरे, उपसरपंच जीवराखन यदु, पंचगण सुरेश यदु, सोहागमति यदु, शिलाबाई पाल, कुमारी ध्रुव, अनुज यादव, देवकी पाल एवं अन्य गणमान्य सदस्य।

ग्राम प्रमुखों में विशेष पाल, चिंताराम पाल, आनंदराम पाल, ललित यादव, देऊक यादव, प्रेम यादव, रामरतन निषाद, मदन निषाद, नाथूराम यदु, बेदराम यदु, बुलवा मनहरे, धन्ना बघेल, नारायण चौबे सहित जय मां महामाया युवा प्रभाग तुरमा के अध्यक्ष छबीराम पाल, कार्यकारी अध्यक्ष परस मनहरे, सचिव गोपाल निषाद, वेदप्रकाश पाल तथा महिला कमांडो सदस्य एवं महिला प्रभाग की सक्रिय सहभागिता रही।

ईसर–गौरा महोत्सव जैसे आयोजन समाज में अखंडता, परंपराओं के प्रति आस्था और सामूहिक सहभागिता की भावना को सशक्त बनाते हैं।

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प्रेषक:
तीजराम पाल
पीएचडी शोधार्थी