भारतमाला परियोजना घोटाला: तीन पटवारी गिरफ्तार, पूर्व एसडीएम समेत कई अधिकारी फरार
देश की महत्वाकांक्षी भारतमाला परियोजना में भूमि अधिग्रहण मुआवजे के वितरण में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार का मामला सामने आने के बाद अब जांच का दायरा लगातार बढ़ता जा रहा है। अभनपुर क्षेत्र में तीन पटवारियों की गिरफ्तारी के बाद इस घोटाले से जुड़े कई अधिकारी फरार हो गए हैं।
ईओडब्ल्यू (आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो) और एसीबी (भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो) की संयुक्त टीमों ने जब हाल ही में प्रदेशभर में एक साथ छापेमारी की, तो अभनपुर के तत्कालीन एसडीएम निर्भय साहू, आरआई रोशनलाल वर्मा, तहसीलदार शशिकांत कुर्रे, नायब तहसीलदार लखेश्वर किरण और पटवारी जितेंद्र साहू अपने ठिकानों से फरार हो गए। इन सभी की जमानत याचिकाएं हाईकोर्ट ने खारिज कर दी हैं। अब ईओडब्ल्यू इनकी तलाश तेज कर रही है और संपत्ति कुर्की की कार्रवाई की तैयारी कर रही है।
तीन पटवारी गिरफ्तार, कई ठिकानों पर छापे
ईओडब्ल्यू ने हाल ही में आठ स्थानों पर दबिश दी, जिसके दौरान तीन पटवारी — दिनेश पटेल (नायकबांधा), लेखराज देवांगन (टोकरो) और बसंती धृतलहरे (भेलवाडीह) — को गिरफ्तार किया गया। बताया जा रहा है कि छापे की भनक लगते ही वरिष्ठ अधिकारी मौके से गायब हो गए।
फर्जी नामांतरण से करोड़ों का घोटाला
जांच में सामने आया है कि कुछ भूखंडों को जानबूझकर छोटे-छोटे टुकड़ों में विभाजित कर फर्जी नामांतरण (mutation) कराए गए, जिससे मुआवजे की राशि कई गुना बढ़ाकर निकाली गई। इस गड़बड़ी के कारण सरकार को करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ। किसानों ने भी मुआवजा निर्धारण में धांधली की शिकायत की है।
इससे पहले प्रॉपर्टी डीलर हरमीत खनूजा, कारोबारी विजय जैन, केदार तिवारी और उनकी पत्नी उमा तिवारी को भी गिरफ्तार किया गया था, जिन्हें बाद में कोर्ट से जमानत मिल चुकी है।
11 जिलों में गड़बड़ियों की जांच
ईओडब्ल्यू ने अब जांच का दायरा बढ़ाते हुए रायपुर के साथ-साथ दुर्ग, धमतरी, कांकेर, कोंडागांव, कोरबा, रायगढ़, जशपुर, राजनांदगांव, बिलासपुर और जांजगीर-चांपा जिलों में भी मुआवजा वितरण से जुड़ी अनियमितताओं की जांच शुरू कर दी है। माना जा रहा है कि मुआवजा स्वीकृति में उच्च स्तर तक मिलीभगत हो सकती है।
केंद्रीय एजेंसियों को सौंपी जा सकती है जांच
सूत्रों के मुताबिक, केंद्र सरकार अब इस पूरे प्रकरण को सीबीआई या ईडी को सौंपने पर विचार कर रही है। राज्य सरकार ने जांच रिपोर्ट केंद्र को भेज दी है।
विपक्ष की सीबीआई जांच की मांग
इस मामले को लेकर राजनीतिक हलचल भी तेज हो गई है। नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर सीबीआई जांच की मांग की है, जबकि रायपुर सांसद बृजमोहन अग्रवाल ने केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी से मुलाकात कर मामले की जानकारी दी है। अनुमान है कि घोटाले की राशि 200 करोड़ रुपये से अधिक हो सकती है।
राज्य के राजस्व विभाग की सचिव रीना बाबा साहेब कंगाले से संपर्क करने पर उन्होंने अवकाश पर होने का हवाला देते हुए टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।
फिलहाल ईओडब्ल्यू और एसीबी की संयुक्त टीमें फरार अधिकारियों की तलाश में जुटी हुई हैं। इस घोटाले की परतें खुलने के साथ ही प्रदेश के प्रशासनिक हलकों में हड़कंप मचा हुआ है।


 
							 
							