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जानिए दीपावली 2025 की तिथि, शुभ लक्ष्मी पूजा मुहूर्त, पूजा विधि

दीपावली, जिसे ‘दीवाली’ भी कहा जाता है, भारतीय संस्कृति का सबसे बड़ा और पवित्र त्योहार है। यह अंधकार पर प्रकाश, अज्ञान पर ज्ञान, और असत्य पर सत्य की विजय का प्रतीक है। इस दिन घर-आंगन दीपों की रौशनी से जगमगाते हैं और माँ लक्ष्मी, गणेश तथा कुबेर की आराधना की जाती है।

📅 दीपावली 2025 की तिथि

  • तिथि: सोमवार, 20 अक्टूबर 2025

  • पर्व का दिन: कार्तिक अमावस्या

  • दीपावली की पूर्व संध्या: नरक चतुर्दशी (19 अक्टूबर)

  • गोवर्धन पूजा: 21 अक्टूबर

  • भाई दूज: 22 अक्टूबर

⏰ लक्ष्मी पूजा मुहूर्त (Lakshmi Puja Muhurat 2025)

  • शुभ मुहूर्त: शाम 05:39 बजे से 07:37 बजे तक

  • अवधि: 1 घंटा 58 मिनट

  • प्रदोष काल: शाम 05:30 से 08:10 बजे तक

  • अमावस्या तिथि प्रारंभ: 20 अक्टूबर को प्रातः 04:12 बजे

  • अमावस्या तिथि समाप्त: 21 अक्टूबर को सुबह 02:56 बजे

📖 नोट: लक्ष्मी पूजन प्रदोष काल में करना सबसे शुभ माना गया है, जब दिन और रात्रि का संगम होता है।

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🙏 दीपावली पूजा विधि (Diwali Puja Vidhi)

  1. घर की सफाई एवं सजावट:
    दीपावली से पहले घर, दुकान और कार्यस्थल की पूरी सफाई करें। दरवाजे पर रंगोली और तोरण लगाएं।

  2. दीप प्रज्वलन:
    सूर्यास्त के बाद घर के हर कोने में मिट्टी के दीपक जलाएं — यह अंधकार निवारण और समृद्धि आमंत्रण का प्रतीक है।

  3. लक्ष्मी-गणेश स्थापना:
    पूजास्थल पर गणेशजी, महालक्ष्मीजी और कुबेरजी की मूर्तियाँ स्थापित करें। लाल या गुलाबी कपड़ा बिछाकर उन पर चांदी के सिक्के रखें।

  4. पूजन क्रम:

    • सबसे पहले गणेश पूजन करें।

    • फिर महालक्ष्मी पूजन करें — कमल पुष्प, चावल, मिठाई, और दीप अर्पित करें।

    • कुबेर पूजन से धन-संपदा की वृद्धि होती है।

  5. आरती और प्रसाद:
    लक्ष्मी आरती, गणेश आरती एवं “ओम श्रीं ह्रीं क्लीं महालक्ष्म्यै नमः” मंत्र का जप करें। मिठाई, फल और सूखे मेवे का प्रसाद चढ़ाएं।

🌼 दीपावली का आध्यात्मिक महत्व

दीपावली केवल भौतिक प्रकाश का नहीं, बल्कि आंतरिक प्रकाश का भी उत्सव है। यह हमें सिखाती है कि जैसे दीपक अंधकार मिटाता है, वैसे ही ज्ञान, प्रेम और सत्य का प्रकाश मनुष्य के जीवन से भय, अहंकार और अज्ञान को दूर करता है।

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💡 दीपावली 2025 से जुड़ी पारंपरिक मान्यताएँ

  • इस दिन भगवान श्रीराम 14 वर्ष के वनवास के बाद अयोध्या लौटे थे।

  • महालक्ष्मी इसी दिन समुद्र मंथन से प्रकट हुई थीं।

  • व्यापारी वर्ग के लिए यह नववर्ष आरंभ का भी शुभ दिन है।