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ग्राम तुरमा की अनूठी पहल: फौजी बेटों के नाम गांव ने भेजीं 800 राखियां

छत्तीसगढ़ के बलौदाबाजार जिले की भाटापारा तहसील के अंतर्गत स्थित ग्राम तुरमा की पावन भूमि ने दो सगे बहादुर भाइयों को जन्म देकर मातृभूमि की सेवा में समर्पित किया है। ये दोनों भाई – रामानंद ध्रुव और डोमार ध्रुव, स्वर्गीय शिवप्रसाद ध्रुवश्रीमती गौरी बाई ध्रुव के पुत्र हैं, जिनके पूर्वज बैसाखु एवं बैसाखिन बाई ध्रुव रहे।

गांव के इन वीर पुत्रों के देश सेवा में योगदान ने पूरे ग्रामवासियों को प्रेरणा दी है। इसी प्रेरणा से आंगनबाड़ी कार्यकर्ता श्रीमती माया चौबे के अथक प्रयासों से गांव के हर घर से राखी एकत्र करने की एक नई पहल प्रारंभ की गई। सभी नागरिकों ने इसमें बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।

ग्राम पंचायत तुरमा की सरपंच श्रीमती लीलाबाई परस मनहरे ने अकेले 500 राखियां वीर सैनिकों के नाम भेजकर एक अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत किया। कुल 800 राखियां राजस्थान में तैनात इन दोनों भाइयों और उनके साथियों को डाक द्वारा भेजी गईं।

इस आयोजन में सरपंच लीलाबाई मनहरे, उपसरपंच जीवराखन यदु, रोजगार सहायक नन्दलाल पाल, पंचगण – शिलाबाई पाल, सोहागमती यदु, देवकी बाई पाल, सतवंतीन यादव, सुरेश यदु, जंतु यादव, संतराम यादव – सहित ग्राम विकास समिति के सदस्य श्री धनेश पाल, रामखिलावन यदु, युवा प्रभाग के संस्थापक तीजराम पाल, कार्यकारी अध्यक्ष परस मनहरे, ईश्वर पाल, हेमंत पाल, महिला कमांडो बजरहीन पाल व समस्त ग्रामवासी सक्रिय रूप से सहभागी बने।

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तीजराम पाल ने कार्यक्रम की संकल्पना, समन्वय और संचालन करते हुए सभी देशवासियों से अपील की कि रक्षाबंधन केवल पारिवारिक त्यौहार नहीं, अपितु देश की सुरक्षा में लगे वीर जवानों के प्रति प्रेम और सम्मान व्यक्त करने का भी अवसर है। उन्होंने कहा कि रक्षाबंधन का संदेश यह होना चाहिए कि हम अपने घर, समाज और राष्ट्र की रक्षा के लिए सजग रहें।

यह पहल यह भी सिद्ध करती है कि ग्रामीण महिलाएं सीमित संसाधनों के बावजूद विशाल सोच रखती हैं और मातृभूमि के रक्षकों के प्रति अपना प्रेम दर्शाने का मार्ग स्वयं बनाती हैं। ग्राम तुरमा का यह प्रयास अन्य गांवों के लिए अनुकरणीय बन सकता है।