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अमेरिका में प्रस्तावित रूसी तेल पर 500% शुल्क को लेकर डॉ. एस. जयशंकर ने दी प्रतिक्रिया, भारत ने कहा- ऊर्जा सुरक्षा सर्वोपरि

विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने गुरुवार को अमेरिकी सीनेटर लिंडसे ग्राहम द्वारा पेश किए गए उस विधेयक पर प्रतिक्रिया दी, जिसमें रूस से तेल, गैस, यूरेनियम या अन्य उत्पाद खरीदने वाले देशों पर 500 प्रतिशत तक आयात शुल्क लगाने का प्रस्ताव है। उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत अमेरिका में हो रहे ऐसे किसी भी विकासक्रम पर नजर रखेगा, जो उसकी ऊर्जा सुरक्षा को प्रभावित कर सकता है।

डॉ. जयशंकर ने प्रेस वार्ता में कहा, “सीनेटर ग्राहम के विधेयक के संबंध में हम पूरी स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं। हमारे दूतावास और राजदूत लगातार संपर्क में हैं और हमने अपने ऊर्जा हितों और सुरक्षा संबंधी चिंताओं को वहां तक पहुंचा दिया है। अगर यह प्रस्ताव लागू होता है, तो हम उसके अनुसार प्रतिक्रिया देंगे।”

गौरतलब है कि ग्राहम के प्रस्तावित विधेयक को अमेरिकी सीनेट में 80 से अधिक सदस्यों का समर्थन प्राप्त है, जिससे यह बिल वेटो-प्रूफ बन सकता है। इस विधेयक का उद्देश्य उन देशों पर आर्थिक दबाव बनाना है जो रूस से ऊर्जा उत्पाद खरीद रहे हैं लेकिन यूक्रेन की सहायता नहीं कर रहे। ग्राहम ने स्पष्ट रूप से कहा कि भारत और चीन मिलकर रूस के तेल का लगभग 70 प्रतिशत हिस्सा खरीदते हैं, जिससे पुतिन की “वार मशीन” को ताकत मिलती है।

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सीनेटर ग्राहम ने यह भी बताया कि इस मुद्दे पर उनकी पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से बातचीत हुई है, जिन्होंने इस बिल को आगे बढ़ाने की हरी झंडी दी है। ग्राहम के अनुसार, “राष्ट्रपति ने खुद मुझसे कहा कि अब समय है इस बिल को आगे बढ़ाने का।”

भारत की स्थिति और संभावित प्रभाव

भारत ने यूक्रेन युद्ध के बावजूद रूस से तेल खरीद जारी रखी है और अपने रणनीतिक साझेदार मास्को के साथ संबंध बनाए रखे हैं। अमेरिका भारत का एक प्रमुख निर्यात गंतव्य है, ऐसे में यह प्रस्ताव लागू होने पर भारत पर व्यापारिक और राजनयिक दोनों स्तरों पर असर पड़ सकता है।

हालांकि, प्रस्तावित बिल में एक संभावित छूट की बात भी सामने आई है, जिसके अनुसार यदि कोई देश यूक्रेन की रक्षा में सहयोग कर रहा हो तो उसे इस भारी शुल्क से राहत मिल सकती है।

भारत ने संकेत दिया है कि वह अपने हितों को सर्वोपरि रखते हुए परिस्थितियों के अनुसार निर्णय लेगा। ऊर्जा आपूर्ति में किसी भी प्रकार का व्यवधान भारत की आंतरिक स्थिरता और आर्थिक विकास को प्रभावित कर सकता है, और सरकार इस पहलू पर अत्यंत संवेदनशील है।

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