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बलूच विद्रोहियों का बदला: पाकिस्तानी सेना के काफिले पर विस्फोटक हमला, कई सैनिक ढेर

बलूचिस्तान में दशकों से चल रहे संघर्ष ने एक बार फिर खौफनाक मोड़ ले लिया है। बलूच विद्रोहियों ने कथित तौर पर पाकिस्तानी सेना के एक काफिले को निशाना बनाते हुए शक्तिशाली विस्फोटक हमला किया, जिसमें कई पाकिस्तानी सैनिकों के मारे जाने की खबर है। यह हमला केच जिले में उस समय हुआ जब सेना का काफिला नियमित गश्त पर था।

स्थानीय सूत्रों के मुताबिक, हमला पहले से बिछाए गए आईईडी (इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस) के जरिए किया गया। जैसे ही सैन्य वाहनों का काफिला वहां से गुजरा, जोरदार धमाका हुआ, जिससे एक से अधिक वाहन क्षतिग्रस्त हो गए और सैनिकों की मौके पर ही मौत हो गई। हालांकि पाकिस्तान सेना ने मृतकों की आधिकारिक संख्या का खुलासा नहीं किया है, लेकिन स्वतंत्र स्रोतों का दावा है कि इस हमले में कम से कम 7 से 10 सैनिक मारे गए हैं।

अब्दुल लतीफ बलोच की हत्या का जवाब माना जा रहा हमला
इस हमले को कुछ विशेषज्ञ और बलूच समर्थक कार्यकर्ता हाल ही में मारे गए पत्रकार अब्दुल लतीफ बलोच की हत्या का ‘बदला’ मान रहे हैं। अब्दुल लतीफ बलोच की हत्या कथित तौर पर पाकिस्तान समर्थित मिलिशिया ने उनके परिवार के सामने कर दी थी, जिससे पूरे बलूचिस्तान में आक्रोश की लहर दौड़ गई थी।

बलोच लिबरेशन फ्रंट (BLF) ने ली जिम्मेदारी
बलोच लिबरेशन फ्रंट (BLF) ने एक बयान जारी कर इस हमले की जिम्मेदारी ली है। BLF ने चेतावनी दी है कि जब तक बलूच जनता पर दमन और अत्याचार बंद नहीं होते, तब तक ऐसे हमले जारी रहेंगे। संगठन ने इसे “जवाबी कार्रवाई” बताया और कहा कि पाकिस्तान बलूच आवाजों को जबरन चुप कराने की कोशिश कर रहा है।

पाकिस्तानी सेना ने घेरा इलाका, सर्च ऑपरेशन शुरू
घटना के बाद पाकिस्तानी सेना ने पूरे इलाके को घेर लिया है और सघन तलाशी अभियान चलाया जा रहा है। ड्रोन और हेलीकॉप्टर की मदद से हमलावरों की तलाश की जा रही है। स्थानीय लोगों पर दबाव बनाए जाने और कुछ को हिरासत में लिए जाने की भी खबरें हैं।

आशंका और असंतोष का माहौल
बलूचिस्तान में आम लोगों में दहशत और असंतोष दोनों ही चरम पर हैं। एक तरफ जहां लगातार हो रही सैन्य कार्रवाई और मानवाधिकार उल्लंघन लोगों को भयभीत कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर, बलूच संगठनों की बढ़ती जवाबी कार्रवाइयों से संघर्ष और भी गहरा होता जा रहा है।

यह हमला पाकिस्तान के लिए एक बड़ा सुरक्षा झटका माना जा रहा है और यह संकेत भी कि बलूच विद्रोह अब और अधिक संगठित, निर्णायक और खतरनाक मोड़ पर पहुंच चुका है।