पोप फ्रांसिस का 88 वर्ष की आयु में निधन, विश्व भर में शोक की लहर
कैथोलिक चर्च के सर्वोच्च धर्मगुरु पोप फ्रांसिस का सोमवार सुबह निधन हो गया। वेटिकन द्वारा जारी बयान में कहा गया कि 88 वर्षीय पोप लंबे समय से बीमार चल रहे थे और आज सुबह 7:35 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली। कार्डिनल केविन फैरेल ने वेटिकन टीवी चैनल पर इस दुखद समाचार की पुष्टि की।
पोप फ्रांसिस, जिनका जन्म अर्जेंटीना में होर्गे मारियो बर्गोलियो के रूप में हुआ था, वर्ष 2013 में पोप नियुक्त हुए थे। वे पहले लैटिन अमेरिकी और अमेरिका महाद्वीप से चुने जाने वाले पहले पोप थे। उन्होंने पोप बेनेडिक्ट सोलहवें के इस्तीफे के बाद यह पद ग्रहण किया था।
अपने 12 वर्षों के कार्यकाल में पोप फ्रांसिस ने चर्च को आधुनिक युग से जोड़ने की कोशिश की। उन्होंने वेटिकन की प्रशासनिक संरचना में बड़े बदलाव किए, चार प्रमुख धार्मिक शिक्षाएं जारी कीं, 47 अंतरराष्ट्रीय यात्राएं कीं और 900 से अधिक लोगों को संत घोषित किया।
हाल के वर्षों में उन्होंने समलैंगिक जोड़ों को सीमित रूप से आशीर्वाद देने की अनुमति दी और वेटिकन के कार्यालयों में पहली बार महिलाओं को नेतृत्व की भूमिका में नियुक्त किया। चर्च के इतिहास में यह एक साहसिक और अभूतपूर्व कदम माना गया।
हालांकि, उनके निर्णयों को लेकर उन्हें रूढ़िवादी वर्ग से तीखी आलोचना का सामना करना पड़ा। कुछ परंपरावादियों ने उन पर चर्च की परंपराओं को कमजोर करने का आरोप लगाया, जबकि प्रगतिशील वर्ग ने उन्हें और अधिक बदलाव ना करने के लिए आलोचना की।
पोप फ्रांसिस की विरासत चर्च को आधुनिक समाज के करीब लाने की उनकी पहल के रूप में जानी जाएगी। उन्होंने सामाजिक न्याय, पर्यावरण संरक्षण और वंचित वर्गों के समर्थन में अपनी स्पष्ट आवाज उठाई, जो उन्हें एक करुणामयी और प्रगतिशील नेता के रूप में परिभाषित करती है।
वेटिकन में अब नए पोप के चुनाव की प्रक्रिया शुरू होने की संभावना है, जबकि दुनिया भर के करोड़ों कैथोलिक शोक में डूबे हैं।