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जस्टिस भूषण गवई होंगे भारत के अगले मुख्य न्यायाधीश, 14 मई को लेंगे शपथ | जानिए उनके जीवन और करियर से जुड़ी अहम बातें

भारत को जल्द ही नया मुख्य न्यायाधीश मिलने वाला है। वर्तमान मुख्य न्यायाधीश जस्टिस संजीव खन्ना के 13 मई को सेवानिवृत्त होने के बाद जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई 14 मई को देश के 51वें मुख्य न्यायाधीश (CJI) के रूप में शपथ लेंगे। परंपरा के अनुसार, निवर्तमान सीजेआई ने कानून मंत्रालय को अपने उत्तराधिकारी के रूप में जस्टिस गवई के नाम की सिफारिश की थी, जिसे मंजूरी मिल चुकी है।

केवल छह महीने का कार्यकाल, लेकिन ऐतिहासिक महत्व

जस्टिस गवई का कार्यकाल करीब छह महीने का होगा, क्योंकि वे नवंबर 2025 में सेवानिवृत्त हो जाएंगे। हालांकि उनका कार्यकाल छोटा होगा, फिर भी यह सामाजिक दृष्टिकोण से ऐतिहासिक माना जा रहा है। वे भारत के दूसरे दलित मुख्य न्यायाधीश होंगे। इससे पहले जस्टिस के.जी. बालकृष्णन ने 2007 से 2010 तक यह पद संभाला था।

महाराष्ट्र के अमरावती से सुप्रीम कोर्ट तक का सफर

जस्टिस गवई का जन्म महाराष्ट्र के अमरावती में हुआ। उन्होंने 1985 में वकालत की शुरुआत की और अपने करियर की शुरुआत प्रसिद्ध वकील और महाराष्ट्र हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश राजा भोंसले के साथ की। इसके बाद 1987 से 1990 तक बॉम्बे हाईकोर्ट में स्वतंत्र प्रैक्टिस की। बाद में उन्होंने नागपुर बेंच में संवैधानिक और प्रशासनिक मामलों में विशेष प्रैक्टिस की।

1992 में वे नागपुर बेंच में सहायक सरकारी वकील और अतिरिक्त लोक अभियोजक नियुक्त हुए। वर्ष 2000 में उन्हें सरकारी वकील और लोक अभियोजक की जिम्मेदारी दी गई। न्यायिक सेवा में उनका प्रवेश 2003 में हुआ, जब वे बॉम्बे हाईकोर्ट के अतिरिक्त न्यायाधीश बने। 2005 में वे स्थायी न्यायाधीश बने और 2019 में सुप्रीम कोर्ट में उनकी नियुक्ति हुई।

सुप्रीम कोर्ट में कई ऐतिहासिक फैसलों में निभाई भूमिका

जस्टिस गवई ने सुप्रीम कोर्ट में अपने कार्यकाल के दौरान कई अहम और ऐतिहासिक फैसलों में भाग लिया है। वे उस संविधान पीठ का हिस्सा रहे जिसने केंद्र सरकार की 2016 की नोटबंदी को संवैधानिक करार दिया था। इसके अलावा, वे उस पीठ में भी शामिल रहे जिसने चुनावी बॉन्ड योजना को असंवैधानिक घोषित किया।

सामाजिक न्याय और न्यायपालिका में समावेशिता की नई दिशा

जस्टिस गवई की नियुक्ति न सिर्फ उनके अनुभव और योग्यता का सम्मान है, बल्कि यह न्यायपालिका में सामाजिक समावेशिता की दिशा में भी एक मजबूत कदम माना जा रहा है। दलित समुदाय से आने वाले जस्टिस गवई की नियुक्ति से न्यायिक संस्थानों में विविधता और प्रतिनिधित्व को और बल मिलेगा।

अब देश की निगाहें इस ओर हैं कि मुख्य न्यायाधीश के रूप में जस्टिस गवई किस प्रकार से न्यायपालिका का नेतृत्व करते हैं और आने वाले महीनों में महत्वपूर्ण मामलों पर किस दिशा में निर्णय देते हैं।

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