मंद मन मृदंग
चलो तुम कुछ शुरुआत करो
जहाँ तक बने कुछ बात करो
बहुत हो चुकी जहां की बातें
अब अपने मन की बात करो
चलो तुम कुछ शुरुआत करो
जहाँ तक बने कुछ बात करो
यूं ही न तुम सांझ से ढलो
यूँ ही न तुम पपीहे से जलो
इस दुनिया का अंत जहाँ है
तुम उस दूरी तक साथ चलो
चलो तुम कुछ शुरुआत करो
जहां तक बने कुछ बात करो
यूं ही मुहब्बत इफ़रात करो
कुछ सितारों की बारात करो
बसंत तो आने को है सखे
कुछ फ़ूलों की बरसात करो
चलो तुम कुछ शुरुआत करो
जहां तक बने कुछ बात करो
लाल पीले सपनीले सुनहले
जमके रंगो की बरसात करो
जीवन बीते पलक छांव में
मंद मन मृदंग आघात करो
चलो तुम कुछ शुरुआत करो
चलो तुम कुछ शुरुआत करो
जहां तक बने कुछ बात करो
संध्या शर्मा
नागपुर (महाराष्ट्र)