26/11 के साजिशकर्ता तहव्वुर राणा ने कोर्ट से की मांग: “नाम और शोहरत कमाने वाला वकील न हो
मुंबई में हुए 26/11 आतंकी हमलों के एक अहम साजिशकर्ता तहव्वुर राणा ने दिल्ली की एक अदालत में पेशी के दौरान यह स्पष्ट किया कि वह ऐसा वकील नहीं चाहते जो इस मामले से “नाम और शोहरत” कमाना चाहता हो। राणा को अमेरिका से भारत प्रत्यर्पित किए जाने के बाद गुरुवार रात राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने औपचारिक रूप से गिरफ्तार किया। इसके बाद उन्हें पटियाला हाउस स्थित एनआईए स्पेशल कोर्ट में पेश किया गया, जहां अदालत ने जांच एजेंसी को 18 दिनों की हिरासत मंजूर की।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश (एनआईए) चंदर जीत सिंह ने अपने आदेश में कहा, “आरोपी ने आग्रह किया है कि ऐसा कोई वकील न हो जो इस मामले से लोकप्रियता हासिल करना चाहता हो। इस अनुरोध को स्वीकार करते हुए निर्देश दिया जाता है कि कानूनी सेवा प्राधिकरण द्वारा नियुक्त वकील मीडिया से बात नहीं करेंगे। यदि उनकी पहचान अभी तक सार्वजनिक नहीं हुई है, तो उसे भी उजागर न किया जाए।”
राणा को NIA के मुख्यालय, सीजीओ कॉम्प्लेक्स में एक उच्च सुरक्षा वाले लॉकअप में रखा गया है, जहां पहले गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई को भी रखा गया था। यह लॉकअप ग्राउंड फ्लोर पर है और यहां सीआईएसएफ और एनआईए के अधिकारी 24×7 निगरानी में तैनात हैं। राणा को भोजन व अन्य मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं।
कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि राणा को अपने वकील को निर्देश देने के लिए सॉफ्ट टिप वाला पेन और कागज दिया जाए। सुनवाई का मौखिक हिस्सा रात 11:50 बजे खत्म हुआ और आदेश टाइपिंग और हस्ताक्षर सहित सुबह 2 बजे जारी किया गया।
64 वर्षीय तहव्वुर राणा को अक्टूबर 2009 में अमेरिका के शिकागो से गिरफ्तार किया गया था। अमेरिका के न्याय विभाग के अनुसार, राणा ने अपने बचपन के दोस्त डेविड हेडली की भारत में घुसपैठ और रेकी के लिए मदद की थी। उन्होंने हेडली को मुंबई में अपने इमीग्रेशन बिजनेस की ब्रांच का मैनेजर नियुक्त किया, जबकि हेडली को इस क्षेत्र का कोई अनुभव नहीं था। इसके अतिरिक्त, राणा ने फर्जी दस्तावेजों के जरिए हेडली की वीजा प्रक्रिया में भी मदद की थी, जिससे वह लक्षित स्थलों की रेकी कर सका।
यह मामला अब भारत में न्यायिक प्रक्रिया के अगले चरण में प्रवेश कर चुका है और राणा की भूमिका पर कानून का शिकंजा कसता दिख रहा है।