प्लास्टिक के तिरंगे का उपयोग करने पर होगी तीन साल तक की सजा
रायपुर, 01 अगस्त 2014/ भारत सरकार के गृह मंत्रालय ने राज्य सरकारों को महत्वपूर्ण राष्ट्रीय तथा सांस्कृतिक और खेल-कूद समारोहों में प्लास्टिक के तिरंगे के उपयोग पर रोक लगाने के निर्देश दिए हैं। गृह मंत्रालय द्वारा इस संबंध में सभी राज्य सरकारों के मुख्य सचिवों, संघ राज्य क्षेत्रों के प्रशासकों और भारत सरकार के सभी विभागों के सचिवों को पत्र जारी कर कहा है कि प्लास्टिक के तिरंगे का उपयोग राष्ट्रीय ध्वज का अपमान है और इसके उपयोग पर कड़ाई से रोक लगाई जाए तथा इस संबंध में व्यापक जन-जागरूकता भी पैदा की जाए। मंत्रालय द्वारा प्लास्टिक के तिरंगे के उपयोग करने पर तीन वर्ष तक के कारावास या जुर्माने या दोनों से दण्डित किए जाने का प्रावधान रखा गया है।
परिपत्र में भारतीय झण्डा संहिता 2002 और राष्ट्रीय गौरव अपमान निवारण अधिनियम 1971 के उपबंधों का कड़ाई से पालन सुनिश्चित करने को कहा गया है। पत्र में कहा गया है कि मंत्रालय के संज्ञान में यह तथ्य लाया गया है कि महत्वपूर्ण अवसरों पर कागज के झण्डों के स्थान पर प्लास्टिक के झण्डों का उपयोग किया जा रहा है। चूंकि प्लास्टिक से बने झण्डे कागज के समान जैविक रूप से अपघट्य (बायो डिग्रेडेबल) नहीं होते, अतः यह लम्बे समय तक नष्ट नहीं होते और वातावरण के लिए हानिकारक भी होते हैं। इसके अलावा प्लास्टिक से बने राष्ट्रीय ध्वज का सम्मानपूर्वक उचित निपटान सुनिश्चित करना भी एक समस्या है। पत्र में कहा गया है कि राष्ट्रीय गौरव अपमान निवारण अधिनियम 1971 की धारा 2 के अनुसार कोई भी व्यक्ति जो किसी सार्वजनिक स्थान पर या किसी ऐसे स्थान पर सार्वजनिक रूप से भारतीय राष्ट्रीय ध्वज या उसके किसी भाग को जलाता है, विकृत करता है, विरूपित करता है, दूषित करता है, कुरूपित करता है, नष्ट करता है, कुचलता है या अन्यथा उसके प्रति अनादर प्रकट करता है अथवा मौखिक या लिखित शब्दों में अथवा कृत्य द्वारा अपमान करता है तो उसे तीन वर्ष के कारावास या जुर्माने या दोनों से दण्डित किया जा सकता है। पत्र में यह सुनिश्चित करने को कहा गया है कि महत्वपूर्ण राष्ट्रीय, सांस्कृतिक और खेल-कूद के अवसरों पर आम जनता द्वारा केवल कागज से बने तिरंगों का ही उपयोग किया जाए तथा समारोह पूरा होने के पश्चात ऐसे कागज के झण्डों को न तो विकृत किया जाए और न ही जमीन पर फेका जाए। उपयोग किए गए तिरंगों का निपटान उसकी मर्यादा के अनुरूप एकांत में किया जाए।