परम्परागत वनौषधि वैद्य संघ को मिलेगा अन्तर्राष्ट्रीय पुरस्कार, मुख्यमंत्री ने दी बधाई
छत्तीसगढ़ परम्परागत वनौषधि वैद्य संघ को मिलेगा अन्तर्राष्ट्रीय पुरस्कार
न्यूयार्क में 22 सितम्बर को होगा पुरस्कार वितरण
दुनिया के 121 देशों के 1234 नामांकन में से हुआ चयन
रायपुर/ 07 जून 2014/ राज्य सरकार की संस्था छत्तीसगढ़ औषधीय पादक बोर्ड की योजनाओं के क्रियान्वयन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे छत्तीसगढ़ परम्परागत वनौषधि वैद्य संघ को वर्ष 2014 के अन्तर्राष्ट्रीय इक्वेटर पुरस्कार के लिए चुना गया है। पुरस्कार वितरण समारोह न्यूयार्क के लिंकन सेन्टर में इस वर्ष 22 सितम्बर को आयोजित किया जाएगा। यह पुरस्कार प्रकृति के संरक्षण और स्थानीय समुदायों के विकास के लिए उल्लेखनीय कार्य करने वालों को दिया जाता है। मुख्यमंत्री और वन विभाग के प्रभारी डॉ रमन सिंह ने इस महत्वपूर्ण उपलब्धि के लिए छत्तीसगढ़ परम्परागत वनौषधि वैद्य संघ से जुड़े सभी वैद्यों और संघ के पदाधिकारियों को बधाई दी है और उनके प्रति शुभेच्छा प्रकट की है।
अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक और छत्तीसगढ़ राज्य औषधीय पादप बोर्ड के मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री प्रदीप पन्त ने आज बताया कि वर्ष 2014 के इस अन्तर्राष्ट्रीय पुरस्कार के लिए 121 देशों से कुल एक हजार 234 नामांकन प्राप्त हुए थे। इनमें से दुनिया की कुल 35 संस्थाओं का चयन किया गया है जिनमें छत्तीसगढ़ परम्परागत वनौषधि वैद्य संघ भी शामिल है। इस संघ को यह पुरस्कार छत्तीसगढ़ के वन क्षेत्रों में ग्रामीण वनस्पति विशेषज्ञों की टीम तैयार करने और परम्परागत चिकित्सकों के माध्यम से राज्य के दूर-दराज इलाकों में पारम्परिक पद्वति से प्राथमिक चिकित्सा सेवाएं उपलब्ध करानेए घरेलू हर्बल गार्डन योजना के तहत निःशुल्क औषधीय पौधों के वितरण तथा रोपणए वन क्षेत्रों में औषधीय पौधों के संरक्षण और इन पौधों के माध्यम से लोगों को आजीविका तथा आमदनी के साधन उपलब्ध कराने की दिशा में सराहनीय कार्यो के लिए दिया जाएगा।
छत्तीसगढ़ परम्परागत वनौषधि वैद्य संघ का गठन श्री निर्मल अवस्थी द्वारा वर्ष 2004 में राज्य के लगभग एक हजार वैद्यों को चिन्हांकित कर किया गया था। संघ का विधिवत पंजीयन वर्ष 2009 में हुआ। यह संघ वर्ष 2004 से प्रदेश में छत्तीसगढ़ राज्य औषधीय पादप बोर्ड की विभिन्न योजनाओं के क्रियान्वयन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। छत्तीसगढ़ में परम्परागत चिकित्सा पद्वति को पुनर्जीवित करने की दिशा में संघ ने सार्थक प्रयास किए हैं।