छत्तीसगढ के लाल रेशम लाल
छत्तीसगढ के वरिष्ठ नेता और देश की पहली लोकसभा के सांसद रह चुके स्वतंत्रता संग्राम सेनानी रेशम लाल जांगडे जी ने जीवन में धन कमाने को अपना उद्देश्य कभी नही माना अपितु अपने जीवन को समाज के लिए समर्पित कर दिया। अपने जीवन में यश ,मान-सम्मान ही कमाया। समाज में फैले छुआ-छूत, ऊंच-नीच विसंगतियों से अंतिम सांस तक लडे और देश के लिए जिये। आप का संपूर्ण जीवन निर्विवाद रहा, आपके जीवन से आज के राजनीतिज्ञों को सीखना चाहिए। सतनामी समाज के गौरव और राजनीति के रेशमी धागे निधन देश-प्रदेश और समाज के लिए अपूर्ण क्षति है, जिसकी कभी भरपायी नही हो सकती। आपका नाम इतिहास के पन्ने में स्वर्ण अक्षरों से लिए लिखा जाएगा। भारत रत्न के आप हकदार हैं । आज तक आपकी जीवन के पहलुओं पर झांकने की कोशिश नही हुई। आपके सादगी से भरे जीवन का कोई अन्य उदाहरण नहीं है।
रेशम लाल जांगडे जी के जीवन इतिहास को देंखें तो उनका नाम इतिहास के जिस पन्ने में अंकित होना चाहिए था अब तक नही हो सका। एक युवा साहित्यकार के मन में कई प्रश्न उपजकर सामने आए और शायद मैं जो कहने की कोशिश कर रहा हूं, लोगों को न पचे। पर उनके जीवन इतिहास को गौर करें तो दिखाई देता है उन्होने अपना जीवन देश-प्रदेश और समाज के लिए जीए। नि:संकोच मैं कहना चाहूंगा मेरे लिए उनके जीवन से परिचित होना और कराना बहुत कठिन है। मेरे बस की बात नही है, फिर भी मेरी कोशिश है कि मैं उनके जीवन के कुछ अंश को कलमबद्व कर संकू और बता सकूं कि छत्तीसगढ के वरिष्ठ नेता और देश की पहली लोकसभा में सांसद रहे स्वतंत्रता संग्राम सेनानी रेशम लाल जांगडे जी भारत रत्न के हकदार हैं।
स्वर्गीय रेशम लाल जी जांगडे का जन्म उस समय हुआ जब अंग्रेजी हुकुमत की तूती बोल रही थी। उस समय विरले ही थे जो अपना जीवन देश के लिए न्यौछावर कर हंस्ते -हंस्ते फांसी में चढ जाते थे । रेशम लाल जी जांगडे का जन्म 15 फरवरी 1925 को तत्कालीन रायपुर जिले के बिलाईगढ तहसील के ग्राम परसाडीह में हुआ था। उनके दादा माखन जी गांव के मालगुजार थे। जांगडे जी के पिता का नाम टीकाराम जांगडे माता का नाम गंगा बाई जांगडे था। रेशम लाल जांगडे अपने माता -पिता के मंझले पुत्र थे बडे भाई का नाम स्व मूलचंद जांगडे ( 3 बार विधायक रहे ) भाई कन्हैया लाल जी जांगडे, डाँ भूषण लाल जांगडे ( मनोनित राज्य सभा सांसद सदस्य ) और बहन नोनी बाई थी, उनका एक बडा परिवार में जन्म हुआ था।
जांगडे जी की प्राथमिक शिक्षा चांपा तहसील के ग्राम बिर्रा और बिलाईगढ तहसील के ग्राम नगरदा में हुई। उन्होंने 5वीं से 11वीं तक की शिक्षा रायपुर शहर के लारी हाई स्कूल (वर्तमान जे एन पाण्डे शासकीय बहु.शाला ) में हुई। उन्होंने छत्तीसगढ कालेज रायपुर से बीए और सन 1947 से 1949 तक नागपुर के विधि महाविद्यालय में महज 25 वर्ष की आयु में एल एल बी तक की शिक्षा प्राप्त की। रेशमलाल जांगडे जी आकर्षक व्यक्तित्व प्रतिभा सम्पन्न तीक्ष्ण बुद्धि तत्कालिक सूझबूझ से निर्णय की क्षमता लेने की प्रतिभा के धनी थे। साथ ही एक निश्छल उदास स्वभाव सहिष्णुता और सौहाद्र हृदय वाले और साफ सुथरे व्यक्तित्व के धनी थे। उन्होंने अपने जीवन में निजी स्वार्थ को परित्याग करते हुये निःस्वार्थ भाव से परमार्थ की सद्भावना से परोपकारिता एवं धर्म परायणता तथा समाज सेवा देश सेवा के लिये अपना सम्पूर्ण जीवन समर्पित कर दिया। आप सतनामी समाज के अग्रपंक्ति के असमान्य व्यक्ति माने जाते हैं।
सतनामी समाज आप पर गर्व करता है। स्वतंत्रता संग्राम के दिनों में गांधी जी के आहवान पर अंग्रेज हुकुमत के खिलाफ जब आप 11 वीं की पढाई कर रहे थे उसी दौरान भारत छोडो आंदोलन में भाग लिये। खूबचंद बघेल और पंडित सुंदरलाल शर्मा के साथ कदम मिलाकर आगे बढे।12 अगस्त 1942 को गिरफतार होकर 15 दिन जेल में रहे। इतिहास पर गौर करें तो स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन के दौर में ही जांगडे जी ने राजनीति में अपना कदम रखा तब से पीछे मुडकर नहीं देखा, आगे ही बढते रहे। जब आपने राजनीति में प्रवेश किया तो उस समय समाज में अंधविश्वास ,जात-पांत, छुआछूत की भावना काफी प्रबल थी। बाबू जगजीवन राम जी, महात्मा गांधी की प्रेरणा तथा संत गुरू घासीदास जी के समरसता और समानता के सतनाम सिद्धांतों के मार्ग में चलकर इस व्यवस्था का पुरजोर विरोध किया।
आपका विवाह कमला जी से हुआ और आप 3 लडके ललित , जयदीप, हेमचंद, और दो पुत्री दुर्गा, संध्या के पिता बने। 1950 से 1952 में मनोनीत सांसद, 1952 से 1957 सांसद (कांग्रेस) 1957 से 1962 सांसद (कांग्रेस) 1962 से 1967 विधायक (कांग्रेस) 1972 से 1977 विधायक (निर्दलीय) 1985 से 1989 विधायक (भाजपा) 1989 से 1991 सांसद (भाजपा) 30 वर्ष तक राजनीति के शिखर पर रहे। पंडित जवाहर लाल नेहरू से राजीव गांधी के समय तक सांसद रहे। मध्यप्रदेश सरकार उप मंत्री के रूप में अपनी सेवाऐं दी। और विपक्ष के उप नेता भी रहे। लोकसभा की 60 वीं वर्षगांठ के अवसर पर 13 मई 2012 को संसद के केन्द्रीय कक्ष दिल्ली में पहली लोकसभा के जिन 4 सदस्यों का अभिनंदन किया गया था उसमें रेशमलाल जांगडे जी सहित रिशांग किशिंग कंडाला, सुब्रमणियम और कांते मोहन राव भी शामिल थे।
आपका राजनैतिक जीवन निर्विवाद रहा। आपने कभी मनोहर दास नृसिंह जी के साथ मिलकर गांव गांव घूमकर भ्रमण करते संत गुरू घासीदास जी के सतनाम संदेश एवं उनके उपदेशों के प्रचार प्रसार में भी विशिष्ट योगदान दिया हैं। कवि मनोहर नृसिंह जी और रेशमलाल जांगडे जी ने मिलकर गिरौधपुरी में मेला की शुरूआत की थी। गिरौदपुरी आज समग्र सतनामी समाज के वृहद धार्मिक स्थल तथा सच्ची आस्था एवं श्रद्धा का केन्द बिन्दु के रूप में स्थापित है। आज गिरौदपुरी धाम के रूप में बन चुका है। छत्तीसगढ सरकार की ओर से कुतुबमीनार से उंचा जैतखाम निर्मित किया गया है जो विश्व मानस समुदाय के लिये आकर्षक और पर्यटन का केन्द्र बन गया है। जहां प्रति वर्ष लाखों लोग पहुंचकर स्वयं को धन्य मानते हैं। आप ने जीते जी अपने सपनों को साकार होते देखा है।
इसी प्रकार सर्व समाज एवं सतनामी समाज के सतपथ प्रदर्शक और प्रेरक रहे हैं। आप की प्रतिभा किसी से नहीं छिपी है। छत्तीसगढ के लाल कर्मठ समाज सेवक सतनामी समाज के गौरव और राजनीति के रेशमी धागे थे। रेशमलाल जांगडे जी। 90 साल की उम्र में रविवार सोमवार की दरम्यानी रात 10 अगस्त को 2 बजे बीच जीवन की अंतिम सांस ली।। आपके जाने से ये समाज और देश प्रदेश व्यथित हो उठा। आप देश प्रदेश और समाज के लिये मिशाल रहे। आपको विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ। आपके जीवन दर्शन से हमेशा लोगों को ज्ञान मिलेगा और उनका मार्ग दर्शन होगा।
युवा साहित्यकार पत्रकार लक्ष्मी नारायण लहरे
कोसीर जिला रायगढ छत्तीसगढ
मो0 -9752319395