केन्द्रीय केबिनेट ने लौह अयस्क की रायल्टी 15 प्रतिशत की

रायपुर, 21 अगस्त 2014/छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के प्रयासों को राष्ट्रीय स्तर पर एक बड़ी सफलता मिली है। उनके अनुरोध पर केन्द्र सरकार ने लौह अयस्क की रायल्टी दरों को विक्रय मूल्य के दस प्रतिशत से बढ़ाकर 15 प्रतिशत करने का निर्णय लिया है। इस निर्णय के फलस्वरूप छत्तीसगढ़ में लौह अयस्क सहित विभिन्न प्रकार के खनिजों से मिलने वाले वार्षिक राजस्व में भारी वृद्धि होने की संभावना है। केन्द्र के इस फैसले का लाभ देश के अन्य लौह अयस्क उत्पादक राज्यों को भी मिलेगा।
उल्लेखनीय है कि डॉ. रमन सिंह ने लगभग सवा दो महीने पहले इस विषय में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी को इस वर्ष सात जून को पत्र लिखकर पहल करने का अनुरोध किया था। इसके अलावा उन्होंने नई दिल्ली प्रवास के दौरान प्रधानमंत्री श्री मोदी से दस जून को मुलाकात कर उनसे खनिज रायल्टी की दरों को बाजार मूल्य के अनुसार निर्धारित करने और विशेष रूप से छत्तीसगढ़ सहित अन्य लौह अयस्क उत्पादक राज्यों के हित में इस मुख्य खनिज की रायल्टी को वर्तमान बाजार मूल्य के अनुपात में पुनरीक्षित करने का आग्रह किया था। मुख्यमंत्री की यह सकारात्मक पहल अब राष्ट्रीय स्तर पर रंग ला चुकी है। बताया गया है कि प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में हाल ही में नई दिल्ली में आयोजित केन्द्रीय मंत्रि परिषद की बैठक में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री के प्रस्ताव के अनुरूप लौह अयस्क की रायल्टी के दरों को दस प्रतिशत से बढ़ाकर पन्द्रह प्रतिशत करने का निर्णय लिया गया है। डॉ. रमन सिंह ने इस निर्णय के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के प्रति आभार प्रकट किया है।
राज्य सरकार के संचालक भौमिकी एवं खनिकर्म श्री अन्बलगन पी. ने आज यहां बताया कि छत्तीसगढ़ सरकार को पिछले वित्तीय वर्ष 2013-14 में लौह अयस्क से 958 करोड़ 57 लाख रूपए का खनिज राजस्व प्राप्त हुआ था। उस अवधि में औसत रायल्टी तीन सौ रूपए प्रति मीटरिक टन मिल रही थी। अब चालू वित्तीय वर्ष 2014-15 में सितम्बर 2014 से रायल्टी दरों में पांच प्रतिशत वृद्धि की जाती है, तो लौह अयस्क की औसत रायल्टी दर बढ़कर 450 रूपए प्रति मीटरिक टन हो  जाएगी। इसके फलस्वरूप छत्तीसगढ़ को वर्तमान वित्तीय वर्ष में लौह अयस्क से मिलने वाला राजस्व बढ़कर 1600 करोड़ रूपए होने का अनुमान लगाया गया है, जो अगले वित्तीय वर्ष 2015-16 में और भी बढ़कर 1800 करोड़ रूपए होना संभावित है। इस प्रकार राज्य को पिछले वित्तीय वर्ष 2013-14 की तुलना में लौह अयस्क से मिलने वाले राजस्व में इस वित्तीय वर्ष 2014-15 में 642 करोड़ रूपए की वृद्धि होने की संभावना है।
संचालक भौमिकी एवं खनिकर्म श्री अन्बलगन के अनुसार छत्तीसगढ़ सरकार को पिछले वित्तीय वर्ष 2013-14 में विभिन्न प्रकार के खनिजों से तीन हजार 235 करोड़ 42 लाख रूपए का राजस्व मिला था। अब मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह की विशेष पहल पर चालू वर्ष में लौह अयस्क की रायल्टी दरों में केन्द्र सरकार द्वारा वृद्धि करने के निर्णय के फलस्वरूप छत्तीसगढ़ को सभी प्रकार के खनिजांे से चार हजार 100 करोड़ रूपए का राजस्व मिलने का अनुमान है। उल्लेखनीय है कि राज्य में लौह अयस्क का उत्खनन मुख्य रूप से दक्षिण बस्तर (दंतेवाड़ा) जिले में बैलाडीला की पहाड़ियों में राष्ट्रीय खनिज विकास निगम (एन.टी.पी.सी.) द्वारा किया जा रहा है। दल्लीराजहरा में लौह अयस्क की खदानें केन्द्र सरकार के सार्वजनिक उपक्रम भारतीय इस्पात प्राधिकरण (सेल) द्वारा भिलाई इस्पात संयंत्र के लिए संचालित की जा रही हैं।

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