छत्तीसगढ़ : ग्रामीण अर्थ व्यवस्था में आया जोरदार उछाल
रायपुर, 01 फरवरी 2013/ चालू खरीफ विपणन वर्ष 2012-13 में समर्थन मूल्य नीति के अनुरूप छत्तीसगढ़ सरकार ने प्राथमिक सहकारी समितियों के जरिए किसानों से आठ हजार 048 करोड़ रूपए के लगभग 63 लाख 38 हजार मीटरिक टन धान की नकद खरीदी की है।
मुख्यमंत्री डाॅ. रमन सिंह के नेतृत्व में बेहतर प्रबंधन के साथ किसानों को उनकी मेहनत का उचित मूल्य दिलाने के लिए धान की यह नकद खरीदी विगत एक नवम्बर से कल 31 जनवरी तक मात्र तीन महीने के भीतर की गयी है। इस प्रकार केवल तीन महीने की छोटी सी अवधि में राज्य के किसानों के घरों में आठ हजार करोड़ रूपए से भी ज्यादा राशि पहंुची है। इससे ग्रामीण अर्थ व्यवस्था में एक उत्साहजनक और जोरदार उछाल आया है। किसानों के घरों में खुशहाली देखी जा रही है। यह राशि पिछले साल की इसी अवधि की तुलना में एक हजार 611 करोड़ रूपए अधिक है। चंूकि लिंकिंग प्रक्रिया के तहत समितियों के उपार्जन केन्द्रों में धान खरीदी आगामी 15 फरवरी तक चलेगी। इसलिए इस राशि में और उछाल आने की संभावना है। छत्तीसगढ़ राज्य सहकारी विपणन संघ (मार्कफेड) के राज्य मुख्यालय के अधिकारियों ने आज यहां बताया कि इस बार खरीदे गए धान की मात्रा भी पिछले साल की इसी अवधि के मुकाबले 12 लाख 67 हजार 784 टन अधिक है। उल्लेखनीय है कि इस वर्ष विगत तीन महीने में प्रदेश की एक हजार 333 सहकारी समितियों के एक हजार 947 उपार्जन केन्द्रों में नकद खरीदी विगत एक नवम्बर से शुरू होकर 31 जनवरी तक चली। इस अवधि में लगभग 63 लाख 37 हजार 792 मीटरिक टन धान की आवक इन केन्द्रों में दर्ज की गयी। इसके लिए किसानों को सहकारी समितियों से आठ हजार 047 करोड़ 96 लाख रूपए का भुगतान किया गया है। पिछले वर्ष इसी अवधि में सहकारी समितियों में एक हजार 888 उपार्जन केन्द्र बनाए गए थे, जहां लगभग 50 लाख 70 हजार मीटरिक टन धान की नकद खरीदी की गयी थी।
मार्कफेड के अधिकारियों के अनुसार वर्तमान खरीफ विपणन वर्ष 2012-13 में प्रदेश के एक हजार 947 उपार्जन केन्द्रों में 26 लाख 35 हजार 249 मीटरिक टन मोटे अथवा काॅमन धान की और 22 लाख 89 हजार 258 मीटरिक टन पतले अथवा ए-ग्रेड धान की खरीदी की गयी। इसके अलावा इसी अवधि में 14 लाख 13 हजार 284 मीटरिक टन सरना धान भी खरीदा गया। राज्य में धान की नकद खरीदी की अवधि पूर्ण होने के बाद आज एक फरवरी से 15 फरवरी तक लिंकिंग प्रक्रिया के तहत समितियों में धान खरीदी जारी रहेगी। किसान इस अवधि में सहकारी समितियों के कृषि ऋणों के समायोजन के लिए समितियों में धान बेच सकेंगे। पंजाब के बाद छत्तीसगढ़ देश का दूसरा राज्य है, जहां किसानों से समर्थन मूल्य नीति के तहत धान की सर्वाधिक खरीदी होती है।
मुख्यमंत्री डाॅ. रमन सिंह के दिशा-निर्देशों के अनुरूप समितियों के उपार्जन केन्द्रों में खरीदी के लिए हर प्रकार की बेहतर व्यवस्था की गयी है। इसके फलस्वरूप विगत छह वर्षो में राज्य में धान खरीदी का आंकड़ा लगातार बढ़ता गया है। वर्ष 2007-08 में छत्तीसगढ़ की सहकारी समितियों के जरिए किसानों से दो हजार 390 करोड़ रूपए का 31 लाख 51 हजार मीटरिक टन धान खरीदा गया था। वर्ष 2008-09 में समितियों के माध्यम से चार हजार 237 करोड़ रूपए के 37 लाख 47 हजार मीटरिक टन धान की खरीदी की गयी थी। वर्ष 2009-10 में चार हजार 699 करोड़ रूपए के 44 लाख 27 हजार मीटरिक टन, वर्ष 2010-11 में पांच हजार 431 करोड़ रूपए के 51 लाख 15 हजार मीटरिक टन और पिछले खरीफ विपणन वर्ष 2011-12 में छह हजार 566 करोड़ रूपए के कुल 59 लाख 73 हजार मीटरिक टन धान का उपार्जन इन समितियों में किया गया था।