चरणदास चोर का हमर छत्तीसगढ़ परिसर में सफ़ल मंचन।
हबीब तनवीर के प्रसिद्ध नाटक चरणदास चोर में चोर का किरदार निभाने के लिए एक नया कलाकार मिल गया। इस नाटक का मंचन हमर छत्तीसगढ़ परिसर में हुआ। हबीब साहब के जन्मदिन पर यह सुखद संयोग बना की उनके नाटक “चरणदास चोर” मे चरणदास चोर का ऐतिहासिक किरदार निभाने वाले दीपक तिवारी की मौजूदगी मे नये चोर क्रान्ति दीक्षित ने ख़ूब रंग जमाया। वही रानी दाईं की भूमिका निभाने वाली पूनम तिवारी की मंच पर उपस्थिति मे पूनम त्रिपाठी, मिश्रा ने रानी की भूमिका का बेहतर ढंग से निर्वाह किया। हबीब साहब के नाटको मे लंबे अरसे से संगीत देने वाले देवीलाल नाग नाटक मे संगीत दे रहे थे। मंच के सामने दर्शकों मे हबीब साहब के नाटको से जुडे अमरसिंह लहरें, योग मिश्र, दिनेश दुबे मौजूद थे।
छत्तीसगढ़ फ़िल्म एंड विजुअल आर्ट सोसायटी के द्वारा रचना मिश्र के निर्देशन में नाटक “चरणदास चोर” का सफल मंचन हमर छत्तीसगढ़ परिसर में हुआ। सच पर अडिग रहने के आग्रह के बीच एक चोर जिसकी संयोग से एक बाबा से मुलाक़ात होती है जिसे वो अपना गुरु बना लेता है और हसीं मज़ाक में चार प्रण कर लेता है, कि सोने की थाली में खाना नहीं खाएगा, जुलूस में हाथी में बैठकर नहीं जाएगा, किसी रानी से शादी नहीं करेगा और किसी देश की प्रजा के कहने पर भी राजा नहीं बनेगा वो भी अपने मन से और बाबा अपनी अपनी तरफ से उसे सच बोलने की कसम दे देता है। अंत उसके सामने इन्ही कसम को तोड़ने की चुनौती आ जाती है। रानी उसके सच बोलने शक्ति के कारण उसको पसंद करने लगती है और बारी-बारी से चरणदास को सोने की थाली में भोजन परोसती है, उसे बुलाने के लिए उसके सम्मान में हाथी, घोड़े के साथ जुलूस भेजती, उसके साथ शादी करने का निवेदन करती है। पर चरणदास इन सब से इंकार कर लेता है, रानी इस बात को छुपाने के लिए उसे सच न बोलने का आग्रह करती है पर चरणदास अपने सच्चाई के राह को चुनता है चाहे इसके लिए उसकी जान ही क्यों न चली जाए।
नये कलाकार जिनमे बहुत को छत्तीसगढ़ी नही आती थी, उन्होने न केवल छत्तीसगढ़ी का बेहतर निर्वाह किया बल्कि अपने अभिनय से नाटक को जीवंत बनाया।
श्रीमती रचना मिश्र द्वारा निर्देशित यह दूसरा नाटक है, नाटक का अभिनय पक्ष प्रस्तुति बहुत उम्दा रही। नाटक का विन्यास जिसे छत्तीसग़ढ़ी रूप दिया गया है और सजावट इंप्रोवाइज्ड है। नाटक में रंग संगीत की महत्वपूर्ण भूमिका होती है जिसे हबीब साहब के नया थिएटर के कलाकार पूनम विराट, देवीलाल नाग, सूरज तिवारी एवं साथी ने बखूबी निभाया। चरण दास चोर की नाट्य प्रस्तुति में सिपाही की भूमिका निभाने वाले मुकेश यादव, बाबा की भूमिका निभाने वाले हेमंत यादव, पुरोहित, पुजारी गंजेडी की भूमिका साकेत साहू ने बख़ूबी निभाई। चरणदास चोर की भूमिका क्रांति दीक्षित ने और रानी दाई की भूमिका पूनम मिश्रा ने, अमिय सिंह ने मालगुज़ार, सैनिक आनंद राव ने मंत्री, मोनिका सिंह ठाकुर ने दासी की भूमिका निभाई।
भरत सिंह ने शराबी, अनुराग बारिक ने जुआडी, ग्रामीण के रूप मे अभिषेक शेण्डे, अनुराग बारिक, मिजान अहमद खान, गौरव मुजेवार थे। मोबाईल की लत से परेशान बच्चे समारू की भूमिका अनुभव मोती ने निभाई । निशु पांडे और सुरभि मिश्रा ने रूप सज्जा की। आनंद कुमार पांडे ने प्रकाश व्यवस्था का संचालन किया ।सामग्री संकलन प्रीति नायक, महेन्द्र सिंह राजपूत ने किया।
छत्तीसगढ़ फ़िल्म एंड विजुअल आर्ट सोसायटी के द्वारा रचना मिश्र के निर्देशन में नाटक “चरणदास चोर” का सफल मंचन हमर छत्तीसगढ़ परिसर में हुआ। सच पर अडिग रहने के आग्रह के बीच एक चोर जिसकी संयोग से एक बाबा से मुलाक़ात होती है जिसे वो अपना गुरु बना लेता है और हसीं मज़ाक में चार प्रण कर लेता है, कि सोने की थाली में खाना नहीं खाएगा, जुलूस में हाथी में बैठकर नहीं जाएगा, किसी रानी से शादी नहीं करेगा और किसी देश की प्रजा के कहने पर भी राजा नहीं बनेगा वो भी अपने मन से और बाबा अपनी अपनी तरफ से उसे सच बोलने की कसम दे देता है। अंत उसके सामने इन्ही कसम को तोड़ने की चुनौती आ जाती है। रानी उसके सच बोलने शक्ति के कारण उसको पसंद करने लगती है और बारी-बारी से चरणदास को सोने की थाली में भोजन परोसती है, उसे बुलाने के लिए उसके सम्मान में हाथी, घोड़े के साथ जुलूस भेजती, उसके साथ शादी करने का निवेदन करती है। पर चरणदास इन सब से इंकार कर लेता है, रानी इस बात को छुपाने के लिए उसे सच न बोलने का आग्रह करती है पर चरणदास अपने सच्चाई के राह को चुनता है चाहे इसके लिए उसकी जान ही क्यों न चली जाए।
नये कलाकार जिनमे बहुत को छत्तीसगढ़ी नही आती थी, उन्होने न केवल छत्तीसगढ़ी का बेहतर निर्वाह किया बल्कि अपने अभिनय से नाटक को जीवंत बनाया।
श्रीमती रचना मिश्र द्वारा निर्देशित यह दूसरा नाटक है, नाटक का अभिनय पक्ष प्रस्तुति बहुत उम्दा रही। नाटक का विन्यास जिसे छत्तीसग़ढ़ी रूप दिया गया है और सजावट इंप्रोवाइज्ड है। नाटक में रंग संगीत की महत्वपूर्ण भूमिका होती है जिसे हबीब साहब के नया थिएटर के कलाकार पूनम विराट, देवीलाल नाग, सूरज तिवारी एवं साथी ने बखूबी निभाया। चरण दास चोर की नाट्य प्रस्तुति में सिपाही की भूमिका निभाने वाले मुकेश यादव, बाबा की भूमिका निभाने वाले हेमंत यादव, पुरोहित, पुजारी गंजेडी की भूमिका साकेत साहू ने बख़ूबी निभाई। चरणदास चोर की भूमिका क्रांति दीक्षित ने और रानी दाई की भूमिका पूनम मिश्रा ने, अमिय सिंह ने मालगुज़ार, सैनिक आनंद राव ने मंत्री, मोनिका सिंह ठाकुर ने दासी की भूमिका निभाई।
भरत सिंह ने शराबी, अनुराग बारिक ने जुआडी, ग्रामीण के रूप मे अभिषेक शेण्डे, अनुराग बारिक, मिजान अहमद खान, गौरव मुजेवार थे। मोबाईल की लत से परेशान बच्चे समारू की भूमिका अनुभव मोती ने निभाई । निशु पांडे और सुरभि मिश्रा ने रूप सज्जा की। आनंद कुमार पांडे ने प्रकाश व्यवस्था का संचालन किया ।सामग्री संकलन प्रीति नायक, महेन्द्र सिंह राजपूत ने किया।