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सिर्फ़ सपने मत देखो, उठो खड़े हो, निकल पड़ो : अल्पा दगली

घुमक्कड़ जंक्शन पर आज मिलवाते हैं आपको मुंबई निवासी गृहणी अल्पा दगली से, अल्पा दगली ने अल्प समय में ही घुमक्कड़ी में वो कर दिखाया जो घरेलू महिलाएँ कम ही कर पाती है। इन्होंने घुमक्कड़ी में कठिन ट्रेक के साथ एडवेंचर खेलों में भी हाथ आजमाया है। आईए उनसे ही सुनते हैं उनकी कहानी………

1-अल्पा जी अपने बचपन, शिक्षा दीक्षा के विषय में कुछ बताईए, आपका जन्म एवं शिक्षा कहाँ हुई, बचपन कहाँ बीता?
गुजरात के पाटन शहर में मेरा जन्म हुआ परंतु उसके बाद मेरा बचपन मुंबई में ही बीता और पढ़ाई भी मुंबई में ही हुई। मध्यमवर्गी परम्परागत धार्मिक विचारों वाले बड़े परिवार में बचपन गुजरा।। सभी भाई बहनों में बड़ी थी व पढ़ने में होशियार थी तो बस पढ़ाई में ही 21 साल निकल गए, इस दौरान मैं बच्चों को जैन धर्म की शिक्षा भी देती थी। मैंने बी कॉम के बाद सी ए की पढ़ाई 2002 में पूरी की और तुरंत ही नौकरी पे लग गयी क्योंकि शादी के लिए भी पैसे जुटाने थे। बचपन मे न कभी कही घूमा, ना पिक्चर वगेरा देखी, परंतु बोरीवली नेशनल पार्क कभी-कभी जाती थी। उसके पहाड़ व जंगल देखना तथा पक्षियों की चहल-पहल देखना, सुनना बस यही जिंदगी थी तब तो।

2- वर्तमान में आप क्या करती हैं एवं परिवार में कौन कौन है?
वर्तमान में गृहणी की भूमिका में हूँ, बारह का बेटा है, पति, सास-ससुर, देवर-देवरानी हैं। मायके में माँ पिताजी, दो भाई-भाभी और बच्चे हैं। घर की जिम्मेदारी बढने के बाद कुछ साल पहले मैंने नौकरी छोड़ दी। तब तो नौकरी छोड़ने का काफी दुख होता था तभी परंतु अब लगता है कि बच्चे की परवरिश प्राथमिकता है और मेरे अंदर की माँ जीत गयी।
3- इतनी घरेलू जद्दोजहद के बीच आपके भीतर घूमने की रुचि कैसे पैदा हुई?
ये अच्छा सवाल किया आपने, सच कहूँ तो घूमना मैने कुछ साल पहले ही शुरु किया है। क्योंकि इससे पहले बच्चे एवं सास ससुर जी की देख रेख के कारण समय नहीं निकाल पाती थी। बचपन से वन विहार में तो रुचि थी ही परन्तु चार साल पहले हिमालय के पर्वतीय क्षेत्र में रुचि बहुत बढ गई। यह मानिए कि जीवन में कुछ खालीपन सा था उसे भरने की कोशिश ने मुझे घुम्मकड़ बना दिया।

4 -पता चला कि आप घुमक्कड़ी के साथ साथ एडवेंचर खेल एवं ट्रेकिंग भी करती हैं अचानक इनकी तरफ़ कैसे आकर्षित हुई?
एक घुमक्कड़ के बतौर में मेरा मानना है कि प्रकृति व निसर्ग को करीब से उसके मूल रुप में देखना एवं जानना उसे महसूस करना ही असली घुमक्कड़ी है। ट्रैकिंग करना, जंगल ट्रेल जाना, कोस्टल ट्रेक करना, हिमालय में खुद को खो देना यह सब पसंद करती हूं। किसी एक परिधि में अपने आपको या अपनी घुमकड़ी को सीमित नही करती। साहसिक व रोमांचक खेलो में भी चार साल से रुचि जाग उठी। मुझे स्वयं को चैलेंज करना बहुत अच्छा लगता है।
एक समय था जब कुछ लोगों ने मुझ पर मोटी एवं हैंडीकैप का लेबल लगाया था। तब मैने उसे चुनौती के रुप में स्वीकार किया और मानो उसी लेबल को तोड़ने के चक्कर में मुझे घुमक्कड़ी का शौक लग गया। मैने अभी तक साहसिक यात्राओं के अलावा Giant swing, Highest bungeejump, Rappelling 300ft, Tower jump (55th floor) Reverse bungeejump, Chadar trek (sub zero frozen river trek) किया।

5 – आपकी पहली यात्रा कौन सी और कहाँ की थी?
मेरी पहली यात्रा तो वालपराई व परामबिकुलम जंगल की थी। जहाँ मैं अपने बेटे के साथ गयी थी। नेशनल स्पेलिंग बी exam दिलाने जब बेटे को अंगमली ले के गयी तो वहाँ घुम्मकड़ी भी कर ही ली। पहली बार जंगल पहाड़ में बेटे के साथ घूमी। इतना आत्मविश्वास बढ़ गया कि मानो लगा अब तो बस आसमान छू लूंगी।
मेरी पहली हिमालय की यात्रा beas कुंड ट्रेक था। उसके बाद तो मैं उन हसीन वादियों के प्यार में ही पड़ गयी। मैने साल में एक बार हिमालय जाने का वादा अपने आप से किया है। मांसपेशियों की कमजोरी एवं घुटने दर्द तथा समान तलवा होने की वजह से काफ़ी व्यायाम करना पड़ता है ट्रेक के पहले। परन्तु मुझे ट्रेकिंग और घूमना अच्छा लगता है, इसलिए यह सब कर लेती हूँ, इतनी तकलीफ़ एवं व्यायाम कुछ अधिक नहीं है प्रकृति का सामिप्य पाने के लिए।

6 -घुमक्कड़ी के दौरान आप परिवार एवं घुमक्कड़ी के बीच किस तरह तालमेल बैठाती हैं?
परिवार व अपने घुमकडी के बीच बैलेंस करना काफी प्लानिंग व मेहनत मांगता है। बेटे की परीक्षा व स्कूल के हिसाब से दिन तय करने से लेकर उनके खाने पीने नाश्ता टिफ़िन इत्यादि काम मैनेज करना होता है। विशुद्ध जैन परिवार है इसलिए काफी कुछ बना के जाती हूँ ताकि उनको दिक्कत न हो। एक माँ हमेशा माँ रहती है तो बेटे की चिंता रहती है। उसके लिए ढेर सारी चिट्ठियाँ चिपकाती हूँ घर मे, फ्रिज पे, अलमारी पे, दरवाजे पे। जाने के पहले व आने के बाद दो दिन तक सिर्फ कामवाली बाई बन जाती हूँ इस घुम्मकड़ी के लगाव में। सारे काम जिम्मेदारी के साथ करो वही असली घुम्मकड़ी है।

7 -घुमक्कड़ी के अतिरिक्त आपको और क्या शौक है?
मुझे गाने गाने व फोटोग्राफी में बहुत रुचि है। कभी कभी समाज सेवा भी अच्छा लगती है। गरीब बच्चों में खुशी बाँट सकूँ या फिर सेक्स वर्कर्स के साथ दीवाली के दीप जला सकूँ तो वो अपने आप में मेरे लिए बड़ी खुशी है।

8 -इस हिसाब से तो आपकी सारी यात्राएँ ही रोमांचक होती हैं, क्या आप समझती है कि घुमक्कड़ी जीवन के लिए आवश्यक है?
बिलकुल, घुमक्कड़ी जीवन के लिए आवश्यक है, क्योंकि यह आपको आपके कम्फ़र्ट जोन से बाहर निकलती है। मुश्किलों से लड़ने का रास्ता बनाना, अपनी क्षमता को पहचानना,उसे बढ़ाना एवं अपने अहंकार को, ईगो को त्यागना सिखाती है।
इतना बड़ा हिमालय आपको सीखा देता है कि आपकी मुश्किल बहूत छोटी है। आपके साथ बुरा करने वाले लोग भी बहोत छोटे है ,उनको माफ कर दो। अपेक्षा के बगैर जीना भी सिखाती है।

9 -आपने अभी तक कहाँ-कहाँ की घुमक्कड़ी की और उससे क्या सीखने मिला?
वैसे तो हर यात्रा से कुछ न कुछ नया सीखने मिलता है। मेरे लिए मेरी सारी यात्रा रोमांचक है परंतु कुछ यात्रा आपसे शेयर करती हूँ – ऋषिकेश एडवेंचर ट्रिप, चादर ट्रेक,लेह, खारदुंगला पास (जनवरी में), सदन घाटी (महाराष्ट्र) याना राक्स (कर्णाटक), कुमता से गोकर्ण ट्रेक, मुरुदेश्वर और मीरजन फ़ोर्ट (कर्णाटक), गन्दीकोट एवं बेलम गुफ़ाएँ (आन्ध्र प्रदेश), दूध सागर जल प्रपात ट्रेक (गोवा), बीसकुंड ट्रेक मनाली, अगुम्बे रेन फ़ारेस्ट कैम्प (कोबरा का घर) पाराम्बिकुलम टायगर रिजर्व, मुदुमलै टायगर रिजर्व, टाड़ोबा टायगर रिजर्व, कान्हा टायगर रिजर्व आदि।
घुमक्कड़ी के दौरान यात्रा करते-करते जीवन जीने के तरीके के साथ-साथ प्लानिंग भी सीख जाते है। घुमक्कड़ी पूर्व तैयारी, समस्या निवारण एवं हमेशा सब जगह खुश रहना सिखाती है।

10 -नए घुमक्कड़ों, विशेषकर महिलाओं को क्या संदेश देना चाहेंगी?
घुमक्कड़ी सिर्फ़ घूमना ही नहीं है, प्रकृति को जीना, लोगों एवं संस्कृति धरोहर को समझना, स्थान की सुंदरता के साथ वहाँ का भोजन, पहनावा, रीति रिवाजों का अनुभव करना ही घुमक्कड़ी है। नए धुमकड़ दोस्तो से यही कहूंगी कि याद रखें, आप जो सोचते हो वो जरूर कर पाते हो। महिलाओं से कहना चाहती हूँ कि अपनी खुशी पाना आपका हक है, बस अपने आराम के दायरे से कुछ कदम बाहर निकल के देखना है, सारी कायनात बाहें फैला के आप के लिए खड़ी है। डर के आगे जीत है। सिर्फ़ सपने मत देखो, उठो खड़े हो, निकल पड़ो व सपने जीना शुरू करो। मेरी शुभकामनाएं हैं।

19 thoughts on “सिर्फ़ सपने मत देखो, उठो खड़े हो, निकल पड़ो : अल्पा दगली

  • Dr pawan rajyan

    प्रेणादायक

  • Sandhya Sharma

    एक गृहणी के लिए परिवार की ज़िम्मेदारी का निर्वाह करते हुए प्रकृति को जीना और संस्कृति, धरोहर को जानना सचमुच बड़ा ही साहस का कार्य है। जीते रहिए अपने सपनों को। हार्दिक शुभकामनाएं व आभार इस अनुभव को साझा करने हेतु….

  • Roopesh sharma

    इनकी सख्सियत सभी के लिए प्रेरणादायक है।जो जज्बा जो हौंसला इन्होंने दिखाया है वाकई काबिले तारीफ है।शारारिक परेशानियाँ होने के बाद भी इन्होंने कभी हार मानना नहीं सीखा।हालात को कैसे अपने अनुसार बदला जा सकता है कोई अल्पा जी से सीखे।मेरी शुभकामनाएं हैं।आपके सब सपने सच हों।

  • एक गृहणी के लिए इससे महान उपलब्धि कुछ भी नही है

  • Santosh misra

    Excellent mam keep it up

  • बहुत अच्छा लगा जानकर, मैन हो आया ये और इसके पहले वाली दोनों पोस्ट पढ़कर … मौका लगा तो घूमने निकल पड़ने का मन है …शुभकामनाएं अल्पा को और आपका आभार

  • सुघड़ गृहणी ओर सुदृढ़ व्यक्तिव मिलकर जब एक घुमक्कड़ बनता है तब उसे कहते है Alpa Dagli
    जीवन मे आगे आने वाले सफर के लिए उन्हें ढ़ेरों शुभकामनाएं ।
    धन्यवाद

  • बहुत सुन्दर विवरण आनन्द आया पढ़कर।

  • अल्पा जी, आप का जज़्बा , जोश और सामंजस्य वाकई काबिले तारीफ है । आज जो घरेलू महिलाएं सोच नही सकती है, आपने वो इतनी शारीरिक परेशानियों के वावजूद कर दिया । आप वास्तव में एक प्रेरणादायक व्यक्तित्व है । नमन आपकी घुमक्कड़ी और हौंसले को ।

  • Mohit Patel

    Keep it up my friend Alpa ( iron lady) god bless you ?

  • NOOPOOR SHAH

    Proud of you dear Alpa….. May god bless you to achieve a lot more success in yr future endeavour

  • बहुत बढ़िया साक्षत्कार अल्पा जी आपका ।

    जीवन मे संघर्ष करते हुए अपने शौक घुमक्कड़ी को पूरा करना ये प्रेरणा आपके जीवन से मिलती है ।

  • अल्पा लाजवाब है।उसकी हैरतअंगेज स्टोरी सुनकर खुद को बोना प्रतीत होता है। एक सफल लेडी,सफल मां, सफल बीबी सफल दोस्त ओर सबसे ज्यादा सफल एक घुमक्कड़

  • बहुत बढ़िया साक्षात्कार, एक नए घुमक्कड़ अल्पा जी के बारे में काफ़ी कुछ जानने को मिला, बढ़िया शुरुआत है ! इस साक्षात्कार के माध्यम से नए-2 लोगों के बारे में जानने को मिल रहा है !

  • बहुत सुन्दर विवरण ,लाजवाब.प्रेरणादायक .ढ़ेरों शुभकामनाएं ।

  • सही कहा अल्पा सपने देखने का महत्व तभी है जब उनको पूरा करने का दम हो

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