सब पर भारी श्वेता तिवारी
बिग बॉस का कांसेप्ट ही शायद इसलिए सफल रहा है कि दर्शक सोप आपेरा देख-देख कर बोर हो चुके हैं| अब वे नया और स्वाभाविक देखना चाहते हैं| रील लाईफ नहीं रीयल लाईफ| यह नए दौर की दुनिया है| सूचना माध्यम इतने तगड़े हैं कि अब मायापुरी और माधुरी पढने के लिए हफ्ता भर इंतज़ार की जरुरत नहीं पड़ती| अखबार ही सितारों की जमीन नाप लेते हैं| ऐसे दौर में रीयल लाईफ हीरो या हीरोइन में दर्शक अपना अक्स ढूंढते हैं| क्या वजह रही कि शो के पूरे समय औसतन दर्शक वर्ग से श्वेता के नाम की ही पुकार मचती रही शायद इसलिए भी कि उनने सकारात्मक भारतीय मूल्यों का सर्वाधिक प्रतिनिधित्व किया और यह भी ना भूलें कि हमारे यहाँ सीता की पूछ है तो कैकेयी की भी, इसीलिए शो में लड़ लड़ कर या लड़ने के लिए हरवक्त तैयार, भीमकाय खली तक को गरिया देने वाली डाली बिंद्रा को भी दर्शकों ने खूब पसंद किया और इसलिए दुबारा उनकी एंट्री हुई|नायिका को सफल करने के लिए खलनायिका भी जरूरी है इसलिए क्रेडिट तो डाली को भी जाना चाहिए जिनके कारण श्वेता उभर पाईं|