छत्तीसगढ़
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राज्य निर्वाचन आयुक्त ने सरगुजा और सूरजपुर में निर्वाचन तैयारियों का लिया जायजा
नगरीय निकाय एवं त्रिस्तरीय पंचायत आम निर्वाचन 2025 की तैयारियों के मद्देनजर राज्य निर्वाचन आयुक्त श्री अजय सिंह ने सरगुजा और सूरजपुर जिलों का दौरा कर मतदान पूर्व तैयारियों का जायजा लिया।
खबर राज्यों से
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महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री तनाजी सावंत के बेटे ऋषिराज सावंत से जुड़ा विवाद: बैंकॉक यात्रा के दौरान अपहरण की अफवाह
महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री और वरिष्ठ नेता तनाजी सावंत के बेटे ऋषिराज सावंत हाल ही में एक अप्रत्याशित विवाद में घिर गए। खबरों के मुताबिक, ऋषिराज अपने दो दोस्तों के साथ बैंकॉक की यात्रा पर गए थे, लेकिन वहां से उनके कथित अपहरण की खबर फैलने के बाद महाराष्ट्र पुलिस और केंद्र सरकार सक्रिय हो गई।
इतिहास
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भारतवर्ष के अमृतकाल मे वंदे मातरम की प्रासंगिकता
विश्व इतिहास मे नारों का अपना इतिहास रहा हैं, कभी कभी तो एक नारा पूरे आंदोलन को बदल के रख देता हैं। इतिहास मे ऐसे कई उदाहरण हैं, जैसे स्वराज मेरा जन्मसिद्धह अधिकार हैं, गरीबी हटाओ आदि आदि। वर्तमान के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव मे भी हमने देखा होगा की कैसे कुछ नारे “एक हैं तो सेफ हैं” या “बटेंगे तो कटेंगे” पूरे चुनाव मे हावी रहा
घुमक्कड़ जंक्शन
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तीन नदियों के संगम और आध्यात्मिक धरोहर का केंद्र सांकरदाहरा
सांकरदाहरा में शिवनाथ नदी के संगम के साथ डालाकस और कुर्रू नाला नदियां मिलती हैं। यहां नदी तीन धाराओं में बंट जाती है और फिर सांकरदाहरा के नीचे आपस में मिलती हैं। इस संगम पर स्थित मंदिर और नदी तट पर बनी भगवान शंकर की 32 फीट ऊंची विशालकाय मूर्ति हर आने वाले को मंत्रमुग्ध कर देती है। मंदिर का रमणीय दृश्य और नौका विहार की सुविधा इस स्थल को और भी खास बनाती है।
लोक संस्कृति
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बन वसंत बरनत मन फूल्यौ : बसंत पंचमी विशेष
बसंत ऋतु कवियों के लिए प्रेरणा का स्रोत रही है। कालिदास से लेकर आधुनिक हिंदी कवियों तक, सभी ने अपने काव्य में इस ऋतु की छटा बिखेरी है। बसंत को प्रेम, सौंदर्य, उल्लास और नवजीवन का प्रतीक माना जाता है, जो काव्य और साहित्य को मधुरता प्रदान करता है। बसंत पंचमी केवल ऋतु परिवर्तन का प्रतीक ही नहीं, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और परंपरा का अभिन्न हिस्सा है। इसका संबंध ज्ञान, प्रेम, सौंदर्य और उल्लास से है। यह पर्व पूरे विश्व में भारतीय संस्कृति की महानता को दर्शाता है।
धर्म-अध्यात्म
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धार्मिक और सामाजिक पुनर्जागरण के अग्रदूत : स्वामी दयानंद सरस्वती
स्वामी दयानंद सरस्वती भारतीय समाज में धार्मिक और सामाजिक पुनर्जागरण के अग्रदूत थे। वे एक महान सुधारक, विचारक और आर्य समाज के संस्थापक थे। बोध दिवस वह महत्वपूर्ण दिन है, जब स्वामी दयानंद को अपने आध्यात्मिक लक्ष्य और सत्य की वास्तविकता का साक्षात्कार हुआ। यह दिन उनके जीवन में एक निर्णायक मोड़ था, जिसने उन्हें वेदों के शुद्ध ज्ञान के प्रचार और सामाजिक सुधार की ओर प्रेरित किया।
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विश्व वार्ता
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क्या है USAID फ़ंडिग विवाद?
हाल ही में, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने आरोप लगाया है कि USAID ने भारत में 2024 के आम चुनावों के दौरान मतदान बढ़ाने के लिए 21 मिलियन अमेरिकी डॉलर (लगभग 182 करोड़ रुपये) की फंडिंग प्रदान की, जिसे उन्होंने “किकबैक स्कीम” यानी रिश्वत योजना कहा है। ट्रम्प का दावा है कि यह फंडिंग पिछले बाइडेन प्रशासन द्वारा भारतीय चुनावों में हस्तक्षेप करने के उद्देश्य से दी गई थी, ताकि मौजूदा मोदी सरकार को सत्ता से हटाया जा सके।
साहित्य
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अमिट रही पहचान – कविता
त्याग और सेवा भारत के दो आदर्श महान
इन्हीं सूत्र से संभव है अब भारत का निर्माण
विविध
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भारतवर्ष के अमृतकाल मे वंदे मातरम की प्रासंगिकता
विश्व इतिहास मे नारों का अपना इतिहास रहा हैं, कभी कभी तो एक नारा पूरे आंदोलन को बदल के रख देता हैं। इतिहास मे ऐसे कई उदाहरण हैं, जैसे स्वराज मेरा जन्मसिद्धह अधिकार हैं, गरीबी हटाओ आदि आदि। वर्तमान के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव मे भी हमने देखा होगा की कैसे कुछ नारे “एक हैं तो सेफ हैं” या “बटेंगे तो कटेंगे” पूरे चुनाव मे हावी रहा