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योगेश शर्मा : घुमक्कड़ी लोगों पर विश्वास करना सिखाती है।

घुमक्कड़ जंक्शन में आज आपकी मुलाकात करवाते हैं निर्यात के पेशे में संलग्न सुहृदय घुमक्कड़ योगेश शर्मा से। योगेश शर्मा में वे सारी विशेषताएँ हैं जो एक आम घुमक्कड़ में होती हैं। मिलनसारिता एवं सहयोग की भावना इनमें कूट कूट कर भरी है। घुमक्कड़ साथियों से सहृदयता से आत्मीय भेंट करते हैं और यथा संभव सहायता करने को भी उद्दत रहते हैं। आईए इनसे चर्चा करते हैं घुमक्कड़ी की……

1 – आप अपनी शिक्षा दीक्षा, अपने बचपन का शहर एवं बचपन के जीवन के विषय में पाठकों को बताएं कि वह समय कैसा था?
@ सर्वप्रथम आदरणीय गुरुदेव ललित शर्मा जी आपका मुझे इस मंच पर लाने के लिये बहुत बहुत धन्यवाद। मैं मूलरूप में मुरादाबाद जिले के एक छोटे से गाँव ढाँकी का रहने वाला हूँ। पिताजी पुलिस सर्विस में होने के कारण बचपन गांव से बाहर ही बीता। मेरा बचपन आम बच्चों की तरह सामान्य लेकिन बहुत मजे में बीता। उस समय न मेरे पास फोन था, न ही मोबाइल इंटरनेट। तब तक अपने देश में आया नहीं था| डाकिया चिट्ठी लेकर आता था| हमारे पास एक ब्लेक एंड वाइट टेलीविजन था, जिस पर रविवार को ही कार्यक्रम देखने का मौका मिलता था| साईकिल चलाने का बहुत शौक था, उस समय की आज से तुलना बेमानी है। जब हमे पूरे मोहल्ले की खबर होती थी, आज पड़ोस की भी नहीं होती है| मेरा जन्म नजीबाबाद में हुआ, वही शिक्षा हुई। पिताजी के रिटायर्ड होने के बाद से मैं मुरादाबाद में आ गया और यही का हो गया।

2 – वर्तमान में आप क्या करते हैं एवं परिवार में कौन-कौन हैं?@ मुरादाबाद निर्यात के लिए पूरे विश्व मे प्रसिद्ध है, इस कारण मैं मुरादाबाद में निर्यात उद्योग से ही जुड़ा हुआ हूँ। यहां मैं कम्प्लाइन्स कन्सल्टेंट के रूप में कार्य करता हूं, जिसमे मेरा काम एक्सपोर्ट्स कम्पनीज में ऑडिट करना व करवाना होता है तथा साथ ही साथ कुछ सामाजिक संस्थाओ से भी जुड़ा हूँ।
परिवार में मेरी माता जी, बड़े भाई भाभी व उनके दो बेटे मेरी पत्नी व एक बेटा है। मुरादाबाद से आधा घंटे की दुरी पर मेरा गाँव है जहाँ भाई व् मेरी माताजी रहती है, अक्सर छुट्टियों में जाता रहता हूँ |

3 – घूमने की रुचि आपके भीतर कहाँ से जागृत हुई?@ बचपन से ही पिताजी के साथ बाहर रहा हूँ और पुलिस की नौकरी में ज्यादातर स्थान परिवर्तन होते रहते हैं, इस कारण बचपन से ही नई-नई जगह देखने को मिलती रही।
फिर स्कूल में भूगोल को पढ़ते समय विभिन्न स्थानों के बारे में जानकारी मिलती थी तो रोचकता बनी रहती थी। यही उत्सुकता कब शौक में बदल गयी पता ही नही चला। बचपन नजीबाबाद में बीता जो की गढ़वाल का प्रवेश द्वार है। इस कारण पहाड़ो से विशेष लगाव है, उसी समय कई बार हरिद्वार जाते समय नजीबाबाद से निकलते है, मौसम साफ़ होने पर पहाड़ दिखने शुरू हो जाते थे, जो एक मूक आमंत्रण देते थे। साथ ही कोटद्वार भी करीब में पड़ता था, जहाँ अक्सर घूमने निकल जाता था।

4 – किस तरह की घुमक्कड़ी आप पसंद करते हैं, ट्रेकिंग एवं रोमांचक खेलों भी क्या सम्मिलितहैं, कठिनाइयाँ भी बताएँ? @ मुझे सभी प्रकार की घुमक्क्ड़ी पसंद है, चाहे वो ट्रेकिंग हो या ऐतिहासिक जगह का भृमण। जहाँ भी कुछ नया देखने घूमने को मिल जाए| मै अक्सर अकेला अपनी बाइक से कहीं भी अचानक में घूमने निकल जाता हूँ। पहाड़ हमेशा से ही आकर्षित करते रहे है और सौभाग्य से उत्तरांचल के करीब से हूँ, इस कारण गढ़वाल व् कुँमायूँ मेरे पसंदीदा केंद्र रहे है| उत्तरांचल में अक्सर बिना किसी पूर्व योजना के घूमने निकल जाना और किसी भी पहाड़ी गाँव में होमस्टे में रुकना मुझे बहुत भाता रहा है| प्रत्येक स्थान अपने मुँह से अपनी कहानी कहता है, बस जरूरत है उसको समझने की। उस मौन भाषा को अगर आप समझ लेते है तो समझ लीजिये आपकी घुमक्क्ड़ी सफल हो गयी| ऐतिहासिक इमारतों की ख़ामोशी में उनका इतिहास छिपा होता है, आप वहाँ शांति से बैठे और उस काल में खुद जिए, तब देखिये आप पुन: ऊर्जा से भर जायेंगे|

5 – उस यात्रा के बारे में बताएं जहाँ आप पहली बार घूमने गए और क्या अनुभव रहा?

@ पहली बार 10th के बाद मै अपने दोस्तों के साथ कोटद्वार सिद्धबली बाबा के मंदिर व् दुग्गड़ा से पहले जो दुर्गा मंदिर है वहाँ गया था| हम चार दोस्त थे, बड़ा मजा आया और उससे ज्यादा मजा तब आया जब हमारे सबके सारे पैसे घूमने फिरने व् खाने में खर्च हो गए और हमारे पास वापसी के किराये के पैसे भी नहीं बचे थे। किसी तरह हम जुगाड़ भिड़ाकर वापस घर आ सके| आज भी जब सब मिलते है, वो कहानी याद जरूर करते है| तब से औकात में रहकर खर्च करने की सीख मिली|

6 – घुमक्कड़ी के दौरान आप परिवार एवं अपने शौक के बीच किस तरह सामंजस्य बिठाते हैं?

@ जहाँ तक परिवार के साथ तालमेल की बात है तो मै अपनी घुमक्क्ड़ी ज्यादातर वीकेंड या छुट्टियों में ही प्लान करता हूँ। खुद निर्णय लेने में सक्षम हूँ, सिर्फ बताना होता है कि इतनी तारीख से इतनी तारीख तक वहां जा रहा हूँ| अपने इस शौक के लिए मै किसी की स्वीकृति का इन्तजार नहीं करता। मुझे मेरा जीवन किस तरह जीना है, ये मुझसे अच्छा कोई नहीं समझ सकता, इसलिए वही करता हूँ जो मेरा मन करता है| इसलिए अपने व्यतिगत जीवन में किसी का भी हस्तक्षेप पसंद नहीं करता।

7 – आपकी अन्य रुचियों के विषय में बताईए?

@ पहले मै क्रिकेट खेलना, फ़ुटबाल खेलना, किताबे पढ़ना बहुत पसंद करता था। पहले बहुत शौक हुआ करते थे, अब तो सिर्फ एक ही रह गया है| आज भी समय मिलने पर एकांत में बैठना अच्छा लगता है, मै घंटो अकेला बैठकर अपने आप से बाते कर सकता हूँ। इससे मुझे बहुत आत्म बल मिलता है और खुद को समझने का मौका भी| इसके साथ कुछ चुनिंदा अच्छे लेखकों एवं अपने दोस्तों के ब्लॉग पढ़ लेता हूँ|

8 – घुमक्कड़ी (देशाटन, तीर्थाटन, पर्यटन) को जीवन के लिए आवश्यक क्यों माना जाता है?

@ घुमक्क्ड़ी से आप देश दुनिया को अच्छे से समझ सकते है। नई जगह जाने पर वहाँ के सांस्कृतिक व् भूगोलिक जानकारी आपको अच्छे से होते है, आप नए-नए लोगो से मिलते है। प्रतिकूल परिस्थितियों में बेहतर निर्णय लेने की क्षमता आपके अंदर आती है। जिससे आपके अंदर आत्मविश्वास आता है और आप और ज्यादा बेहतर करने को प्रोत्साहित होते है| इन सब बातों से आपका जीवन के प्रति नया द्रष्टिकोण उतपन्न होता है तथा आप अपने काम को और अच्छे ढंग से करने में सक्षम हो पाते है| मै जब भी जीवन की परेशानियों में फंसता हूँ तो तुरंत घूमने निकल जाते हूँ और विश्वास कीजिये हल साथ में लेकर वापस आता हूँ| घर से बाहर आप खुद को अच्छे से समझ सकते है|

9 – आपकी सबसे रोमांचक यात्रा कौन सी थी, अभी तक कहाँ कहाँ की यात्राएँ की और उन यात्राओं से क्या सीखने मिला?

@ मेरी सबसे रोमांचक यात्रा है, बाबा अमरनाथ की पहली यात्रा जो 2013 में की थी। जिसमे मैंने पहली बार कश्मीर को देखा था। वहाँ के जाम को झेला था। अनंतनाग में कर्फ़्यू लगने के कारण हमारे ड्रायवर ने सुझाव दिया कि हम मेन हाईवे को छोड़कर एक अन्य मार्ग से जाए। क्योकि हम फंस चुके थे, तब उसकी बात मानने के अलावा कोई रास्ता नहीं था। इस कारण बाबा का नाम लेकर उसकी बात को माना तथा कश्मीर की अंदरूनी सुंदरता है जो हाईवे से दिखाई नहीं देती वो देखने को मिली। ड्राइवर हमे अपने घर ले गया, जिससे कश्मीरियत से रूबरू होने का मौका मिला। इन सब में डर तो बहुत लग रहा था, लेकिन कोई दूसरा विकल्प भी हमारे पास नहीं था। इसके बाद वो ड्राइवर हमे सकुशल पहलगाम तक छोड़कर आया| ये रोमांचक यात्रा जो मुझे ताउम्र याद रहेगी|
इसके बाद बाबा की गुफा तक पहुंचना, जब वो अंतर्ध्यान हो चुके थे, ये अपने आप में एक अलग अनुभव रहा| यह रोमांचक यात्रा जो मुझे ताउम्र याद रहेगी| इस यात्रा से ये सीख भी मिली की प्रतिकूल परिस्तिथियों में अपने आपको किस तरह एडजस्ट करना है एवं इसके बाद लोगो पर विश्वास करना शुरू हुआ।

10 – घुमक्कड़ों के लिए आपका क्या संदेश हैं?

@ घुमक्क्ड़ों को कब किसी के संदेश की जरूरत पड़ी, वो तो वही करते है जो मन में होता है| आप कहीं भी घूमने जाए, पहले उस जगह के बारे में पूरी तरह से जानकारी अवश्य कर ले। उसी अनुसार अपनी तैयारी भी करे। कम खर्च में ज्यादा घूमना ही आपका उद्देश्य होना चाहिए, सुरक्षा का ध्यान रखे, साथ ही अपनी शारीरिक क्षमता को भी ध्यान में रखे, घुम्मकड़ व पर्यटक का अंतर समझे व दिल खोल कर घुमक्क्ड़ी करे| सबसे जरूरी बात घूमने का विचार मत बनाइये बस निकल पड़िए।

9 thoughts on “योगेश शर्मा : घुमक्कड़ी लोगों पर विश्वास करना सिखाती है।

  • ललित जी का पुनः आभार योगेश भाई के आध्यात्मिक रूप के दर्शन करवाये । सचमुच हमसे ज्यादा हमें कोई नहीं जानता । और जीवन की एक गुरु भी है जो प्रैक्टिकल कर के आपको जीना सिखाती है । हैप्पी घुमक्कड़ी ?

  • Manoj dhadse

    वाह योगेश भाई ,आप तो झोला उठाकर निकल पड़ते है, परमीसन नही लेनी पड़ती बस बताना पड़ता है।
    पर उनका क्या जिन्हें हाई कोर्ट से परमिसन लेनी पड़ती है।???
    खेर बधाई हो आपको भाई ,करते रहिए यूँ ही घुमक्कड़ी और और पाठकों को भी अवगत कराते रहिये।

  • Naresh Sehgal

    Good interview ,Yogesh Bhai.
    Thanks to Lalit Ji.

  • योगेश भाई, जब पहली बार आपसे अपनी यात्रा के दौरान मुरादाबाद स्टेशन पर हुई पहली मुलाकात में ही आपकी आत्मीयता और व्यवहारिक ज्ञान से परिचय हो गया था । उसी दिन से आपका मुरीद हो गया था । आज ललित जी के माध्यम और अधिक जानकारी मिली । ईश्वर आपकी घुमक्कड़ी को बनाएं रखे ।

  • Romesh sharma

    Great achievement. Keep it up.

  • बहुत सुंदर योगेश भाई जी,,, आज आपके बारे में बहुत कुछ जानकर अच्छा लगा।

  • हम पुलिसिया परिवार के बच्चों को घूमने की लत विरासत में मिलती है ।जोरदार इन्टरवुहु । घूमते रहो और मस्त रहो ।

  • संतोष मिश्रा

    yogi bhai बहुत बढिया

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