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विश्व पर्यटन दिवस के अवसर पर जानिए छत्तीसगढ़ के ग्यारह प्रमुख पर्यटन स्थल

आचार्य ललित मुनि

हर साल 27 सितंबर को विश्व पर्यटन दिवस मनाया जाता है। इसकी शुरुआत संयुक्त राष्ट्र विश्व पर्यटन संगठन (UNWTO) ने 1980 में की थी। इसका उद्देश्य है – पर्यटन के महत्व को रेखांकित करना, सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देना और सतत विकास को प्रोत्साहित करना।

2025 की थीम है – “पर्यटन और शांति” (Tourism and Peace)। यह थीम हमें याद दिलाती है कि पर्यटन केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि एक ऐसा सेतु है जो अलग-अलग संस्कृतियों और समुदायों को जोड़कर भाईचारा और सद्भावना फैलाता है।

भारत के हृदय में बसे छत्तीसगढ़ की पहचान प्राकृतिक संपदा, प्राचीन इतिहास, वन्यजीव और समृद्ध लोक संस्कृति से है। यहां के घने जंगल, जलप्रपात, गुफाएं और मंदिर पर्यटकों को एक अलग ही अनुभव प्रदान करते हैं। राजधानी रायपुर से लेकर बस्तर और सरगुजा तक, छत्तीसगढ़ का हर कोना रोमांच और अध्यात्म से भरा हुआ है। साथ ही, यह पर्यटन स्थानीय लोगों के लिए रोजगार का भी स्रोत है।

आइए, इस विश्व पर्यटन दिवस पर छत्तीसगढ़ के 11 प्रमुख पर्यटन स्थलों को जानें, जो प्रकृति, इतिहास और संस्कृति के अद्भुत संगम को दर्शाते हैं।

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1. चित्रकोट जलप्रपात – भारत का नियाग्रा फॉल्स

बस्तर की इंद्रावती नदी पर स्थित यह झरना 30 मीटर ऊंचा और मानसून में लगभग 300 मीटर चौड़ा हो जाता है। सूर्यास्त के समय जलप्रपात पर पड़ती रोशनी और इंद्रधनुष का दृश्य पर्यटकों को मंत्रमुग्ध कर देता है।

कैसे पहुंचें: रायपुर से 325 किमी दूर। नजदीकी रेलवे स्टेशन – जगदलपुर (38 किमी)। जगदलपुर हवाई अड्डा मात्र 45 मिनट की दूरी पर है।

2. तीरथगढ़ जलप्रपात – साहसिक पर्यटन का आकर्षण

कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान में स्थित 91 मीटर ऊंचा बहु-स्तरीय जलप्रपात। मानसून में इसकी गरजती धारा रोमांचित कर देती है, जबकि सर्दियों में यहां ट्रेकिंग और तैराकी का आनंद लिया जा सकता है।

कैसे पहुंचें: जगदलपुर से 35 किमी। रायपुर से सड़क मार्ग द्वारा 5-6 घंटे।

3. बरनावापारा वन्यजीव अभयारण्य – जैव विविधता का घर

महासमुंद जिले का यह अभयारण्य बाघ, तेंदुआ, हिरण और पक्षियों का ठिकाना है। सफारी और बर्ड वॉचिंग यहां के प्रमुख आकर्षण हैं।

कैसे पहुंचें: रायपुर से 90-100 किमी। नजदीकी रेलवे स्टेशन – महासमुंद।

4. सिरपुर – प्राचीन धरोहर की नगरी

महानदी तट पर बसा सिरपुर बौद्ध, जैन और हिंदू अवशेषों के लिए प्रसिद्ध है। लक्ष्मण मंदिर और आनंद प्रभा विहार इसकी शान हैं।

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कैसे पहुंचें: रायपुर से 78 किमी। हवाई अड्डा – रायपुर (74.5 किमी)।

5. दंतेश्वरी मंदिर – आदिवासी आस्था का केंद्र

14वीं शताब्दी का यह मंदिर देवी दुर्गा को समर्पित है। बस्तर दशहरा का मुख्य केंद्र यही है।

कैसे पहुंचें: रायपुर से 370 किमी। नजदीकी रेलवे स्टेशन – दंतेवाड़ा।

6. कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान – गुफाओं और जंगलों की दुनिया

यहां की कुटुमसर और कैलाश गुफाएं विश्व प्रसिद्ध हैं। बाघ, तेंदुआ और दुर्लभ पक्षियों की प्रजातियां यहां पाई जाती हैं।

कैसे पहुंचें: जगदलपुर से 27-33 किमी। रायपुर से 310 किमी।

7. मैनपाट – छत्तीसगढ़ का शिमला

सरगुजा जिले की ठंडी जलवायु, तिब्बती बस्तियां और उछलती भूमि (Jumping Land) इसे खास बनाती हैं।

कैसे पहुंचें: अंबिकापुर से 55-75 किमी। रायपुर से 380 किमी।

8. भोरमदेव मंदिर – छत्तीसगढ़ का खजुराहो

7वीं-12वीं शताब्दी का शिव मंदिर, जिसकी नक्काशी कोणार्क मंदिर से मिलती-जुलती है। आसपास की हरियाली इसे और खूबसूरत बनाती है।

कैसे पहुंचें: रायपुर से 116 किमी। हवाई अड्डा – रायपुर (130 किमी)।

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9. इंद्रावती राष्ट्रीय उद्यान – दुर्लभ वन्यजीवों का संसार

यहां टाइगर रिजर्व के साथ-साथ जंगली भैंस और मगरमच्छ देखने को मिलते हैं।

कैसे पहुंचें: जगदलपुर से 104 किमी।

10. मैत्री बाग – भारत-रूस मित्रता का प्रतीक

भिलाई स्थित यह चिड़ियाघर और उद्यान बच्चों और परिवारों के लिए आदर्श स्थल है।

कैसे पहुंचें: रायपुर हवाई अड्डे से 54 किमी।

11. नया रायपुर जंगल सफारी – आधुनिक पर्यटन का अनुभव

800 एकड़ में फैली इस सफारी में टाइगर, लायन, भालू और दुर्लभ पक्षियों को प्राकृतिक वातावरण में देखा जा सकता है। खंडवा जलाशय प्रवासी पक्षियों के कारण और भी आकर्षक बनता है।

कैसे पहुंचें: रायपुर से 35 किमी, हवाई अड्डे से मात्र 15 किमी।

विश्व पर्यटन दिवस 2025 हमें यह संदेश देता है कि पर्यटन सिर्फ घूमने-फिरने का साधन नहीं, बल्कि यह संस्कृति और प्रकृति के संरक्षण का माध्यम भी है। छत्तीसगढ़ के ये स्थल हमें न केवल सुंदरता और रोमांच का अनुभव कराते हैं, बल्कि स्थानीय समुदायों की जीवनशैली और आस्था से भी जोड़ते हैं। जिम्मेदार पर्यटन अपनाकर हम इन धरोहरों को आने वाली पीढ़ियों के लिए सुरक्षित रख सकते हैं।