बच्चों के अधिकारों और उज्ज्वल भविष्य का संकल्प : अंतर्राष्ट्रीय बाल दिवस
अंतर्राष्ट्रीय बाल हर साल 20 नवंबर को मनाया जाता है। यह दिन बच्चों के अधिकारों की सुरक्षा, उनके कल्याण को सुनिश्चित करने और उनके उज्जवल भविष्य के लिए प्रयास करने के प्रति समर्पित है। बच्चे किसी भी समाज की नींव और भविष्य होते हैं। उनकी शिक्षा, स्वास्थ्य और विकास को सुनिश्चित करना न केवल उनके अधिकारों की रक्षा करना है, बल्कि एक समृद्ध और न्यायपूर्ण समाज के निर्माण के लिए आधार तैयार करना है। यह दिन हमें बच्चों की महत्वपूर्ण भूमिका और उनके अधिकारों की आवश्यकता को समझने का अवसर देता है।
इस दिवस की शुरुआत 1954 में संयुक्त राष्ट्र द्वारा की गई थी। उस समय का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था कि बच्चे पूरी दुनिया में शांति, शिक्षा और समानता की ओर प्रेरित हों। बाद में, 20 नवंबर 1959 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने बच्चों के अधिकारों की घोषणा (Declaration of the Rights of the Child) को अपनाया, जो बच्चों की सुरक्षा और उनकी भलाई को सुनिश्चित करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम था। 1989 में, इस दिन को और भी विशेष बनाते हुए बाल अधिकार समझौता (Convention on the Rights of the Child) को मान्यता दी गई, जिसने बच्चों के अधिकारों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर औपचारिक रूप से स्थापित किया।
अंतर्राष्ट्रीय बाल दिवस केवल एक उत्सव नहीं है, बल्कि यह बच्चों के अधिकारों की रक्षा के प्रति हमारी जिम्मेदारी की याद दिलाता है। आज भी दुनिया भर में लाखों बच्चे शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाओं और बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं। उनके लिए बेहतर जीवन और समान अवसर उपलब्ध कराना इस दिवस का मुख्य उद्देश्य है। बच्चों के अधिकारों को समझना और उन्हें लागू करना, उनके समग्र विकास को बढ़ावा देने के लिए आवश्यक है।
हर बच्चे को जीवन जीने का अधिकार है। उन्हें शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं जैसी बुनियादी सुविधाएँ मिलनी चाहिए ताकि वे अपनी पूरी क्षमता के साथ विकसित हो सकें। बच्चों को किसी भी प्रकार के शोषण, बाल श्रम और हिंसा से बचाना अनिवार्य है। इसके अलावा, बच्चों को अपनी राय व्यक्त करने और समाज में अपनी भूमिका को समझने का अवसर दिया जाना चाहिए। इन अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने से ही हम उनके बेहतर भविष्य का निर्माण कर सकते हैं।
गरीबी, भूखमरी, बाल श्रम, अशिक्षा और शोषण जैसी समस्याएँ आज भी बच्चों के जीवन को गहराई से प्रभावित करती हैं। अंतर्राष्ट्रीय बाल दिवस का उद्देश्य इन समस्याओं पर ध्यान केंद्रित करना और उनके समाधान के लिए समाज, सरकार और संगठनों को प्रेरित करना है। यह दिन एक ऐसा मंच प्रदान करता है, जहाँ बच्चों की आवश्यकताओं और अधिकारों के प्रति जागरूकता बढ़ाई जा सके।
20 नवंबर को यह दिन ऐतिहासिक रूप से भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह बच्चों के प्रति हमारी सोच को बदलने और उनके अधिकारों को प्राथमिकता देने का अवसर देता है। इस दिन बच्चों के लिए विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जिनमें शिक्षा, कला और खेलकूद से जुड़े आयोजन होते हैं। इन गतिविधियों के माध्यम से बच्चों के अधिकारों को बढ़ावा दिया जाता है और उनके जीवन को बेहतर बनाने के लिए सामाजिक भागीदारी को प्रेरित किया जाता है।
भारत में बच्चों की स्थिति पिछले कुछ वर्षों में विभिन्न क्षेत्रों में सुधार की ओर बढ़ी है, लेकिन चुनौतियाँ अब भी मौजूद हैं। 2014 के बाद, बच्चों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए सरकार ने कई योजनाएँ और नीतियाँ लागू कीं, जिनसे कुछ सकारात्मक परिणाम देखने को मिले हैं।
देश में 18 वर्ष से कम आयु के बच्चों की संख्या कुल आबादी का लगभग 30% है, जो इसे विश्व में सबसे बड़ी युवा आबादी वाला देश बनाता है। शिक्षा के क्षेत्र में सुधार लाने के लिए सरकार ने सर्व शिक्षा अभियान और समग्र शिक्षा अभियान जैसे कार्यक्रमों को मजबूत किया। इसके साथ ही, 2020 में लाई गई राष्ट्रीय शिक्षा नीति ने प्रारंभिक शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक में व्यापक बदलाव किए। स्कूलों में नामांकन दर में वृद्धि हुई है, खासकर लड़कियों की शिक्षा के क्षेत्र में। हालाँकि, ग्रामीण इलाकों में स्कूल छोड़ने की दर अब भी एक चुनौती बनी हुई है।
स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में मिशन इंद्रधनुष के तहत बच्चों के टीकाकरण अभियान को तेज किया गया। इसने संक्रामक बीमारियों से बचाने के लिए बच्चों को सुरक्षा प्रदान की है। पोषण अभियान के जरिए बच्चों में कुपोषण की समस्या को कम करने के प्रयास हुए हैं। पाँच वर्ष से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु दर में कमी आई है, लेकिन कुपोषण और बौनापन अब भी गंभीर समस्याएँ बनी हुई हैं।
बाल श्रम निषेध कानून को 2016 में संशोधित कर 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को किसी भी प्रकार के काम से रोका गया। बच्चों के यौन शोषण से बचाने के लिए POCSO अधिनियम को प्रभावी बनाया गया। इन प्रयासों के बावजूद, बाल श्रम और बाल तस्करी जैसी समस्याएँ पूरी तरह समाप्त नहीं हो सकी हैं।
मिड-डे मील योजना को प्रधानमंत्री पोषण शक्ति निर्माण योजना के तहत और मजबूत किया गया, जिससे स्कूल जाने वाले बच्चों की पोषण स्थिति में सुधार हुआ। हालाँकि, कुपोषण की समस्या अभी भी बड़ी आबादी को प्रभावित करती है। लड़कियों के जन्म अनुपात और उनकी शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए 2015 में बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना शुरू की गई। कुछ राज्यों में इसके सकारात्मक परिणाम मिले हैं, लेकिन ग्रामीण इलाकों में लैंगिक असमानता अब भी चुनौती बनी हुई है।
2014 के बाद बच्चों की स्थिति में सुधार हुआ है। नवजात और पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु दर में गिरावट आई है। स्वास्थ्य सेवाओं और टीकाकरण कवरेज में सुधार हुआ है। डिजिटल इंडिया अभियान के तहत ई-पाठशाला और अन्य ऑनलाइन शिक्षा प्लेटफार्मों ने बच्चों की शिक्षा तक पहुँच बढ़ाई। बाल संरक्षण कानूनों को सख्ती से लागू किया गया है, जिससे बाल विवाह और यौन शोषण जैसे मुद्दों पर प्रभाव पड़ा है।
इसके बावजूद, भारत में बच्चों की स्थिति अभी भी कई समस्याओं से ग्रस्त है। कुपोषण, बाल श्रम, शिक्षा में असमानता और बाल तस्करी जैसी चुनौतियाँ बनी हुई हैं। कोविड-19 महामारी ने बच्चों की शिक्षा और स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डाला, जिससे स्कूल छोड़ने की दर में वृद्धि हुई।
हालाँकि, शिक्षा, स्वास्थ्य और सुरक्षा के क्षेत्रों में सरकार द्वारा उठाए गए कदमों ने कुछ सकारात्मक बदलाव लाए हैं। बच्चों की भलाई और उनके अधिकारों को सुनिश्चित करना देश के भविष्य को सशक्त बनाने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। बच्चों की बेहतरी में किया गया निवेश एक बेहतर समाज और मजबूत देश की नींव रखता है।
भारत जैसे देश में, जहाँ बड़ी संख्या में बच्चे गरीबी, अशिक्षा और बाल श्रम जैसी समस्याओं का सामना करते हैं, यह दिन और भी अधिक प्रासंगिक हो जाता है। यह दिन हमें उनकी समस्याओं पर ध्यान देने और उनके जीवन को सुधारने के लिए प्रतिबद्धता व्यक्त करने का अवसर देता है। बच्चों को खुशहाल और सुरक्षित बचपन प्रदान करना हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है।
अंतर्राष्ट्रीय बाल दिवस केवल एक स्मरण दिवस नहीं है, बल्कि यह बच्चों के अधिकारों और उनके प्रति हमारी जिम्मेदारियों को दोहराने का एक अवसर है। इसे मनाने का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि हर बच्चा अपनी पूरी क्षमता से विकसित हो सके और एक न्यायपूर्ण, सुरक्षित और खुशहाल दुनिया में जी सके।
बहुत सुंदर लेख भईया
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