futuredताजा खबरें

CP राधाकृष्णन NDA के उपराष्ट्रपति उम्मीदवार, विपक्ष ने जस्टिस रेड्डी को उतारा मैदान में

नई दिल्ली। महाराष्ट्र के राज्यपाल और वरिष्ठ भाजपा नेता सी. पी. राधाकृष्णन (CPR) को एनडीए की ओर से उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार घोषित किया गया है। यह फैसला भाजपा नेतृत्व ने अचानक इस्तीफा दे चुके पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के स्थान पर लिया है, जिन्होंने मानसून सत्र के पहले ही दिन अपने पद से त्यागपत्र देकर सबको चौंका दिया था।

सी. पी. राधाकृष्णन को एक संयमित, अनुशासित और पूर्ण रूप से संघ पृष्ठभूमि वाले नेता के रूप में देखा जाता है। भाजपा के इस निर्णय को संघ (RSS) के प्रति “सकारात्मक संदेश” के रूप में भी देखा जा रहा है, विशेषकर ऐसे समय में जब पार्टी और संघ के बीच संबंधों को लेकर कुछ सवाल उठे हैं।

विपक्ष की रणनीति: न्यायमूर्ति सुदर्शन रेड्डी को बनाया उम्मीदवार

विपक्षी INDIA गठबंधन ने उपराष्ट्रपति पद के लिए पूर्व न्यायाधीश सुदर्शन रेड्डी को अपना उम्मीदवार बनाया है। रेड्डी मूलतः आंध्र प्रदेश से हैं और न्यायपालिका में उनका सम्मानजनक कार्यकाल रहा है। विपक्ष को उम्मीद है कि उनकी उम्मीदवारी से आंध्र की राजनीति में असर पड़ेगा और टीडीपी जैसी सहयोगी पार्टियां उनके पक्ष में आ सकती हैं।

See also  मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने ओसाका की एसएएस सानवा कंपनी को छत्तीसगढ़ में निवेश के लिए किया आमंत्रित

संख्याबल में भारी NDA, पर चुनाव दिलचस्प

वर्तमान में एनडीए के पास लोकसभा और राज्यसभा मिलाकर 422 सांसद हैं, जो कुल 781 के चुनावी कॉलेज में स्पष्ट बहुमत दर्शाते हैं। ऐसे में राधाकृष्णन की जीत लगभग तय मानी जा रही है। फिर भी, इस चुनाव को विपक्ष द्वारा “वैचारिक संघर्ष” का प्रतीक बताया जा रहा है।

राधाकृष्णन: दक्षिण भारत कनेक्शन और संघ की पृष्ठभूमि

तमिलनाडु से आने वाले राधाकृष्णन लंबे समय से भाजपा और संघ से जुड़े हैं। वे RSS से 16 वर्ष की उम्र में जुड़े, तमिलनाडु भाजपा अध्यक्ष रह चुके हैं और दो बार कोयंबटूर से लोकसभा सांसद भी चुने गए। उन्होंने पुदुचेरी के उपराज्यपाल और झारखंड के राज्यपाल के रूप में भी सेवाएं दी हैं।

राज्यपाल के रूप में उनके कार्यकाल को “विवादों से दूर और संतुलित” माना गया है, खासकर महाराष्ट्र जैसे राजनीतिक रूप से संवेदनशील राज्य में। यही कारण है कि पार्टी नेतृत्व ने उन्हें एक “कम प्रोफ़ाइल वाले परिपक्व नेता” के रूप में चुना।

See also  प्रधानमंत्री मोदी की प्रस्तावित जापान यात्रा से भारत-जापान संबंध होंगे और प्रगाढ़: मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय

भाजपा की रणनीति: तमिलनाडु में नई दस्तक?

सी. पी. राधाकृष्णन की नियुक्ति को भाजपा की तमिलनाडु में राजनीतिक पैठ बढ़ाने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है। हालांकि 2024 के लोकसभा चुनावों में भाजपा को तमिलनाडु में अपेक्षित सफलता नहीं मिली, लेकिन 2026 के विधानसभा चुनावों से पहले पार्टी यह संकेत देना चाहती है कि वह दक्षिण भारत को लेकर गंभीर है।

हालांकि यह बहस का विषय बना हुआ है कि राधाकृष्णन की नियुक्ति क्या वास्तव में राज्य में भाजपा को फायदा पहुंचा सकेगी, क्योंकि वे गोंडर समुदाय से आते हैं, जहां से पार्टी के अन्य नेता पहले से मौजूद हैं।

निष्कर्ष: चुनौतीपूर्ण होगा उपराष्ट्रपति का दायित्व

यदि CPR निर्वाचित होते हैं, तो उन्हें न सिर्फ राज्यसभा के सभापति के रूप में निष्पक्षता बनाए रखनी होगी, बल्कि सरकार और विपक्ष के बीच लगातार बढ़ती खाई को भी संतुलित करना होगा। ऐसे समय में जब विपक्ष सत्ता पक्ष पर एजेंसियों के दुरुपयोग और लोकतंत्र के हनन का आरोप लगा रहा है, उपराष्ट्रपति की भूमिका और भी चुनौतीपूर्ण हो जाती है।

See also  तवी नदी में बाढ़ की आशंका पर भारत ने पाकिस्तान को किया सतर्क, इंदस जल संधि फिलहाल स्थगित