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जहाँ शहीद हुए थे वीर नारायण सिंह, वहाँ मनाया गया उनका 168 वाँ बलिदान दिवस  

रायपुर, 11 दिसंबर 2025। अमर शहीद वीर नारायण सिंह के 168वें शहादत दिवस के अवसर पर पूरे छत्तीसगढ़ में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित हुए। राजधानी रायपुर के ऐतिहासिक जय स्तंभ चौक पर हुआ आयोजन विशेष आकर्षण का केंद्र रहा, क्योंकि यही वह स्थान है जहाँ 10 दिसंबर 1857 को अंग्रेजी शासन द्वारा वीर नारायण सिंह को फांसी दी गई थी। उनकी पुण्य स्मृति में छत्तीसगढ़ी समाज पार्टी और छत्तीसगढ़ संयुक्त किसान मोर्चा ने संयुक्त रूप से शहादत दिवस कार्यक्रम का आयोजन किया।

कार्यक्रम की शुरुआत माल्यार्पण और अखंड शहीद जवान ज्योति प्रज्ज्वलन से हुई। इसके बाद गीत संगीत, पंडवानी, नाट्य प्रस्तुति और छत्तीसगढ़ी काव्य पाठ के माध्यम से वीर नारायण सिंह की स्मृतियों को भावपूर्ण श्रद्धांजलि दी गई। पंडवानी कलाकार चेतन देवांगन और साथियों ने वीर नारायण सिंह की शौर्यगाथा को प्रभावशाली अंदाज में प्रस्तुत किया। सुप्रसिद्ध कलाकार ममता आहार के निर्देशन और गायन में स्कूली बच्चों ने अमर शहीद पर आधारित नाटक का आकर्षक मंचन किया, जिसे दर्शकों से भरपूर सराहना मिली।

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कार्यक्रम में वीर नारायण सिंह की जीवनी पर आधारित ममता आहार की पुस्तक का विमोचन भी किया गया। लोक कलाकार राकेश तिवारी ने उनकी संघर्षगाथा को आल्हा शैली में प्रस्तुत किया, जिसने माहौल को उत्साह से भर दिया। छत्तीसगढ़ी कविता पाठ में मीर अली मीर, संतोष चंद्राकर, गोविंद धनगर और बिसरूराम कुर्रे ने अपनी कविताओं के माध्यम से शहीद के प्रति सम्मान व्यक्त किया।

समारोह में संबोधन देते हुए वरिष्ठ इतिहासकार डॉ. के. के. अग्रवाल ने कहा कि वीर नारायण सिंह राष्ट्रीय स्तर पर अग्रिम पंक्ति के शहीद थे, जिन पर अंग्रेजों ने राजद्रोह का आरोप लगाकर साजिश के तहत फांसी दी। उन्होंने उनकी जीवनी के ऐतिहासिक बिंदुओं का विस्तार से उल्लेख किया।इतिहासकार डॉ. रमेंद्र नाथ मिश्र ने कहा कि भारत की आजादी की लड़ाइयों में सबसे अधिक क्रांतिकारी और शहीद आदिवासी समाज से हुए हैं। उनके योगदान के उचित मूल्यांकन की आवश्यकता है।

संयुक्त किसान मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष और राज्य निर्माण आंदोलनकारी अनिल दुबे ने कहा कि जय स्तंभ चौक पर शहादत दिवस का आयोजन राज्य निर्माण आंदोलनकारियों द्वारा शुरू की गई परंपरा है, जिसे अब व्यापक सामाजिक सहयोग प्राप्त हो रहा है। उन्होंने कहा कि यह प्रसन्नता की बात है कि छत्तीसगढ़ शासन भी इस परंपरा को आगे बढ़ा रहा है।

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कार्यक्रम को ललित बघेल, तुकाराम साहू, विमल ताम्रकार, वेगेंद्र सोनबेर, चेतन देवांगन, लालाराम वर्मा, रघुनंदन साहू, अशोक कश्यप और शिव ताम्रकार ने भी संबोधित किया। समारोह में राज्य निर्माण आंदोलनकारी गोवर्धन चंद्राकर और उदय भान सिंह चौहान सहित वरिष्ठ कवि रामेश्वर शर्मा, डॉ. पंचराम सोनी, डॉ. वैभव पांडे और जयंत साहू की विशेष उपस्थिति रही।

रायपुर, महासमुंद, अभनपुर, पाटन, दुर्ग, कवर्धा, बेमेतरा, धमतरी, बिलासपुर और कोरबा सहित विभिन्न जिलों से सैकड़ों लोग कार्यक्रम में शामिल हुए। कार्यक्रम का संचालन जागेश्वर प्रसाद ने किया और आभार प्रदर्शन श्यामू राम सेन ने किया।