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उत्तर प्रदेश में मतदाता सूची संशोधन पर राजनीतिक दलों की सक्रियता बढ़ी, हर पार्टी ने बनाई विशेष रणनीति

उत्तर प्रदेश में मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण (Special Intensive Revision – SIR) की प्रक्रिया शुरू होने के साथ ही राजनीतिक दलों ने अपनी तैयारी तेज कर दी है। 4 नवंबर से राज्यभर में चुनाव आयोग द्वारा शुरू किए गए इस अभियान के तहत यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि कोई भी पात्र मतदाता सूची से वंचित न रह जाए। राज्य में 2027 के विधानसभा चुनाव इसी अद्यतन मतदाता सूची के आधार पर होंगे, इसलिए भाजपा, समाजवादी पार्टी (सपा), बहुजन समाज पार्टी (बसपा) और कांग्रेस सभी ने अपनी-अपनी रणनीतियां तैयार कर ली हैं।

भाजपा की बूथ स्तर तक निगरानी

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने इस अभियान के लिए बूथ स्तर पर अपनी पूरी मशीनरी सक्रिय कर दी है। राज्य के सभी 1.62 लाख मतदान केंद्रों पर बूथ-स्तरीय एजेंट (BLA-1 और BLA-2) नियुक्त किए जा चुके हैं। पार्टी ने 403 विधानसभा क्षेत्रों में से 205 सीटों के लिए अपने अधिकृत एजेंटों की सूची चुनाव आयोग को सौंप दी है।

इसके साथ ही प्रत्येक बूथ पर एक “बूथ प्रवासी” नियुक्त किया गया है, जो पूरे प्रक्रिया की निगरानी और समस्याओं के समाधान का काम करेगा। हर विधानसभा क्षेत्र में एक वार रूम (War Room) बनाया गया है, जहां से बीएलए के कामकाज की रिपोर्ट रोजाना एकत्र की जाएगी।

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भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने बताया, “बीएलए मतदाताओं की जानकारी, फोटो, आवेदन संख्या और संपर्क नंबर एकत्र करेंगे। यदि किसी बूथ पर कोई कठिनाई आती है, तो वार रूम तुरंत उच्च स्तर पर मामला पहुंचाएगा।”

राज्यभर में 75 जिलों में जिला-स्तरीय वार रूम और एक मुख्य राज्य स्तरीय वार रूम भी स्थापित किए जा रहे हैं, जिनकी निगरानी भाजपा का चुनाव प्रबंधन विभाग करेगा। इसके अतिरिक्त, हर पांच बूथों पर एक शक्ति केंद्र बनाया जाएगा, जहां से जिला पदाधिकारी व्यक्तिगत रूप से बीएलए और बूथ समितियों की निगरानी करेंगे।

भाजपा ने अपने कार्यकर्ताओं को वर्ष 2002 के मतदाता सूची की प्रतियां भी उपलब्ध कराई हैं, ताकि पात्र मतदाताओं का नाम समय पर जोड़ा जा सके। पार्टी कार्यकर्ता 12 नवंबर से जमीनी स्तर पर काम शुरू करेंगे।

सपा का फोकस पीडीए मतदाताओं पर

अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली समाजवादी पार्टी (सपा) मतदाता सूची में गड़बड़ियों के आरोप लगाते हुए इस बार पूरी सतर्कता बरत रही है। पार्टी ने बीएलए की नियुक्ति प्रक्रिया शुरू कर दी है और जिन जगहों पर उपयुक्त उम्मीदवार नहीं मिले हैं, वहां जिला अध्यक्षों को जिम्मेदारी दी गई है।

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सपा ने एक समर्पित वेबसाइट शुरू की है, जहां जिला अध्यक्ष अपने बीएलए की जानकारी और दैनिक प्रगति रिपोर्ट अपलोड करेंगे। पार्टी का मानना है कि इससे पारदर्शिता और निगरानी आसान होगी।

सपा के प्रवक्ता सुधीर पवार ने कहा, “हमारा उद्देश्य है कि पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक (पीडीए) वर्ग के किसी भी मतदाता का नाम सूची से न हटे। पार्टी कार्यकर्ता उनके फॉर्म भरवाने और दस्तावेज जुटाने में मदद करेंगे।”

कई जिलों में, जैसे मुजफ्फरनगर, सपा ने ‘मतदान प्रभारी’ नियुक्त किए हैं, जो बूथ स्तर पर कार्य का पर्यवेक्षण करेंगे और विधानसभा प्रभारी को रिपोर्ट देंगे। अखिलेश यादव 10 नवंबर को सभी जिला अध्यक्षों के साथ बैठक करेंगे ताकि अभियान की प्रगति पर चर्चा की जा सके।

बसपा ने जारी की सरल दिशानिर्देश पुस्तिका

बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की प्रमुख मायावती ने मतदाता सूची संशोधन प्रक्रिया को लेकर अपनी तैयारियां पूरी कर ली हैं। पार्टी ने चुनाव आयोग के दिशा-निर्देशों पर आधारित तीन पृष्ठों की एक पुस्तिका तैयार की है, जिसमें भाषा को सरल बनाया गया है ताकि ग्रामीण और वंचित वर्ग आसानी से समझ सकें।

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बसपा के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि दलित, मुस्लिम और ओबीसी भाईचारा समितियों को अपने समुदायों में जागरूकता बढ़ाने की जिम्मेदारी दी गई है। हाल ही में लखनऊ में मुस्लिम भाईचारा बैठक के दौरान मायावती ने सभी पदाधिकारियों से अपील की कि वे सक्रिय रूप से प्रक्रिया में भाग लें और सुनिश्चित करें कि कोई भी पात्र मतदाता छूट न जाए।

कांग्रेस ने बनाया राज्य स्तरीय वार रूम

कांग्रेस ने भी मतदाता सूची संशोधन को लेकर कमर कस ली है। पार्टी ने लखनऊ स्थित मुख्यालय में एक राज्य स्तरीय वार रूम स्थापित किया है और अपने सभी बूथ एजेंटों के लिए व्हाट्सएप ग्रुप बनाए हैं, जिनकी निगरानी जिला पदाधिकारी करेंगे।

कांग्रेस प्रवक्ता अंशु अवस्थी ने कहा, “हमारे बीएलए अधिकांश बूथों पर नियुक्त हो चुके हैं। कांग्रेस निष्पक्ष चुनाव की पक्षधर है, लेकिन अंततः निष्पक्ष और पारदर्शी मतदाता सूची तैयार करना चुनाव आयोग की जिम्मेदारी है।”