\

जगन्नाथ संस्कृति का प्रदेश और नेताजी सुभाषचन्द्र बोस की जन्मस्थली है ओड़िशा

स्वराज करुण 
(ब्लॉगर एवं पत्रकार )

देखते ही देखते ओड़िशा ने अपनी स्थापना के 89 वर्ष आज पूर्ण कर लिए और उसकी विकास यात्रा 90 वें वर्ष में प्रवेश कर गई.आज एक अप्रैल को उत्कल दिवस है। यानी हमारे पड़ोसी और भारत के पूर्वी समुद्र तट पर स्थित ओड़िशा राज्य का अपना 89 वां स्थापना दिवस। ओड़िशा अपनी समृद्ध साहित्यिक और सांस्कृतिक धरोहरों की धरती है। यह छत्तीसगढ़ ,झारखंड , बंगाल और आंध्रप्रदेश का भी पड़ोसी राज्य है।

उत्कल भूमि बंगाल की खाड़ी में पुरी के समुद्र तट पर विराजमान महाप्रभु श्री जगन्नाथ जी की छत्रछाया में एक लाख 55 हज़ार 707 वर्ग किलोमीटर में विस्तारित है। नक्शे पर इस राज्य का उदय आज ही के दिन एक अप्रैल 1936 को ‘उड़ीसा’ के नाम से हुआ था । सभी उत्कल वासियों को उत्कल दिवस की हार्दिक बधाई । इस प्रदेश का नाम 65 साल बाद वर्ष 2011 में ‘ उड़ीसा’ से बदलकर ‘ ओड़िशा’ कर दिया गया ।

यह हमारे देश के महान क्रांतिकारी ,स्वतंत्रता सेनानी और आज़ाद हिन्द फ़ौज के संस्थापक नेताजी सुभाषचंद्र बोस की जन्म स्थली भी है। कटक शहर में उनका जन्म हुआ था। स्वतंत्रता संग्राम के दिनों में महान कवि ,लेखक और समाज सेवी स्वर्गीय मधुसूदन दास ने आधुनिक ओड़िशा राज्य की परिकल्पना की थी। उन्होंने अलग उत्कल प्रदेश निर्माण के लिए जनता को संगठित कर ‘उत्कल सम्मेलनी ‘ की स्थापना की और इस संस्था के माध्यम से राज्य निर्माण के लिए प्रबल जनमत का निर्माण किया। फलस्वरूप तत्कालीन ब्रिटिश प्रशासन ने एक अप्रैल 1936 को बिहार प्रान्त से अलग करके ओड़िशा राज्य का गठन किया ।

लेकिन तब तक मधुसूदन दास अपने सपनों के ओड़िशा को पृथक राज्य के रूप में देखने के लिए दुनिया में नहीं थे। उनका जन्म 28 अप्रैल 1848 को हुआ था और ओड़िशा राज्य बनने के लगभग 2 साल पहले 4 फरवरी 1934 को उनका निधन हो गया। बहरहाल ,उनके सपनों का ओड़िशा अपनी 4 करोड़ 19 लाख से अधिक जनसँख्या के साथ आधुनिक और स्वतंत्र भारत के प्रगतिशील राज्य के रूप में विकास के पथ पर निरन्तर अग्रसर है। यह सहज ,सरल ,सौम्य और धर्मप्राण लोगों का प्रदेश है ,जहाँ के हर जन -मन में और कण -कण में भगवान जगन्नाथ जी की महिमा व्याप्त है।

मधुसूदन दास के अलावा गंगाधर मेहेर और गोपबन्धु दास जैसे अनेक प्रसिद्ध कवियों ने देश के सांस्कृतिक मानचित्र पर ओड़िशा को पहचान और प्रतिष्ठा दिलाई है । छत्तीसगढ़ ,झारखण्ड ,बंगाल और आंध्रप्रदेश राज्यों का पड़ोसी होने के कारण ओड़िशा के सीमावर्ती जन जीवन पर इन राज्यों की संस्कृति का भी असर देखा जा सकता है ,वहीं इन चारों राज्यों की सीमाओं पर भी उत्कल संस्कृति का गहरा प्रभाव नज़र आता है।

उत्कल संस्कृति वास्तव में जगन्नाथ संस्कृति है। पुरी के भगवान जगन्नाथ सम्पूर्ण भारत के आराध्य देवता हैं। बहन सुभद्रा और भ्राता बलभद्र जी के साथ हर साल आषाढ़ शुक्ल द्वितीय को उनकी ऐतिहासिक रथयात्रा न सिर्फ़ ओड़िशा बल्कि भारत के सभी राज्यों में धूमधाम से मनायी जाती है।

लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं ब्लॉगर हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *