क्या है USAID फ़ंडिग विवाद?
यूएसएड के यूएस एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट (USAID) अमेरिकी सरकार की एक एजेंसी है, जिसकी स्थापना 1961 में राष्ट्रपति जॉन एफ. कैनेडी के प्रशासन के तहत की गई थी। इसका उद्देश्य वैश्विक स्तर पर गरीबी कम करना, बीमारियों का उपचार करना, अकाल और प्राकृतिक आपदाओं में राहत प्रदान करना है। साथ ही, यह लोकतंत्र के निर्माण और विकास को बढ़ावा देने के लिए गैर-सरकारी संगठनों, स्वतंत्र मीडिया और सामाजिक पहलों का समर्थन करती है।
हाल ही में, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने आरोप लगाया है कि USAID ने भारत में 2024 के आम चुनावों के दौरान मतदान बढ़ाने के लिए 21 मिलियन अमेरिकी डॉलर (लगभग 182 करोड़ रुपये) की फंडिंग प्रदान की, जिसे उन्होंने “किकबैक स्कीम” यानी रिश्वत योजना कहा है। ट्रम्प का दावा है कि यह फंडिंग पिछले बाइडेन प्रशासन द्वारा भारतीय चुनावों में हस्तक्षेप करने के उद्देश्य से दी गई थी, ताकि मौजूदा मोदी सरकार को सत्ता से हटाया जा सके।
ट्रम्प ने इस फंडिंग पर सवाल उठाते हुए कहा, “हम भारत को 21 मिलियन अमेरिकी डॉलर क्यों दे रहे हैं? उनके पास बहुत ज्यादा पैसा है।” उन्होंने यह भी संकेत दिया कि इस मामले में अमेरिकी सरकार भारत सरकार से बात करेगी। इस विवाद ने भारतीय राजनीति में भी हलचल मचा दी है। भाजपा और कांग्रेस एक-दूसरे पर गंभीर आरोप लगा रहे हैं। भाजपा ने कांग्रेस से जुड़े गैर सरकारी संगठनों पर चुनावों को प्रभावित करने की कोशिश करने का आरोप लगाया है।
यूएस एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट (यूएसएआईडी) ने भारत में विभिन्न गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ) को समय-समय पर वित्तीय सहायता प्रदान की है। 2004 से 2013 तक, कांग्रेस के नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) सरकार के दौरान, भारत सरकार को यूएसएआईडी से कुल 20.428 करोड़ डॉलर की फंडिंग मिली, जबकि एनजीओ को 211.496 करोड़ डॉलर प्राप्त हुए। 2014 में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के सत्ता में आने के बाद, 2015 तक भारत सरकार को मिलने वाली फंडिंग घटकर मात्र 15.1 लाख डॉलर रह गई, लेकिन एनजीओ को मिलने वाली फंडिंग बढ़कर 257.973 करोड़ डॉलर हो गई।
यूएसएआईडी द्वारा वित्त पोषित प्रमुख एनजीओ में कैथोलिक रिलीफ सर्विसेज (21.8 करोड़ डॉलर), केयर इंटरनेशनल (20.8 करोड़ डॉलर) और ओपन सोसाइटी फाउंडेशन (4.7 करोड़ डॉलर) शामिल हैं। इन संगठनों का उद्देश्य लोकतांत्रिक विकास, शिक्षा, स्वास्थ्य और शासन से संबंधित पहलों का समर्थन करना है। हालांकि, कुछ राजनीतिक हलकों में यह धारणा है कि इन फंडिंग का उपयोग भारत की चुनावी प्रक्रिया और राजनीतिक नैरेटिव को प्रभावित करने के लिए किया जा सकता है।
इसके अलावा, इंटरन्यूज जैसे संगठनों ने यूएसएआईडी के समर्थन से भारतीय पत्रकारों को प्रशिक्षित किया है, जिसका उद्देश्य मीडिया कवरेज को प्रभावित करना और महत्वपूर्ण मुद्दों पर सार्वजनिक बहस को आकार देना है। इस प्रकार, यूएसएआईडी की फंडिंग और संबंधित एनजीओ की गतिविधियाँ भारतीय राजनीति और मीडिया पर बाहरी प्रभाव के संभावित स्रोत के रूप में देखी जाती हैं।
इस प्रकार, USAID की फंडिंग और ट्रम्प के आरोपों ने भारत-अमेरिका संबंधों और भारतीय राजनीति में नई बहस को जन्म दिया है। यूएसएआईडी (USAID) फंडिंग विवाद के संदर्भ में, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने कांग्रेस पार्टी और विशेष रूप से राहुल गांधी पर गंभीर आरोप लगाए हैं। भाजपा प्रवक्ता गौरव भाटिया ने कहा कि राहुल गांधी और कांग्रेस का रवैया भारत-विरोधी हो चुका है, जो अत्यंत चिंताजनक है। उन्होंने आरोप लगाया कि राहुल गांधी विदेशी ताकतों के साथ मिलकर भारत की लोकतांत्रिक प्रक्रिया को बाधित करने का प्रयास कर रहे हैं, ताकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सत्ता से हटाया जा सके।
भाजपा ने यह भी दावा किया कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के हालिया बयान, जिसमें उन्होंने यूएसएआईडी द्वारा भारत में चुनावों को प्रभावित करने के लिए 21 मिलियन डॉलर की फंडिंग का उल्लेख किया, से कांग्रेस और राहुल गांधी की विदेशी ताकतों के साथ मिलीभगत की पुष्टि होती है। भाजपा नेता रविशंकर प्रसाद ने कहा कि राहुल गांधी विदेशी हस्तक्षेप की मांग करते रहे हैं, और ट्रम्प के बयान से यह स्पष्ट हो गया है कि वे विदेशी मदद से भारत में सत्ता प्राप्त करना चाहते हैं।
इसके अतिरिक्त, भाजपा ने अमेरिकी अरबपति जॉर्ज सोरोस के साथ राहुल गांधी के कथित संबंधों पर भी सवाल उठाए हैं। गौरव भाटिया ने आरोप लगाया कि राहुल गांधी और जॉर्ज सोरोस मिलकर भारत के लोकतंत्र को कमजोर करने की साजिश रच रहे हैं।
इस विवाद के बीच, कांग्रेस ने इन आरोपों को खारिज करते हुए भाजपा पर झूठ फैलाने का आरोप लगाया है। कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने कहा कि यूएसएआईडी की फंडिंग वास्तव में बांग्लादेश के लिए थी, न कि भारत के लिए, और भाजपा को अपने झूठे दावों के लिए माफी मांगनी चाहिए।
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने हाल ही में भारत में अमेरिकी एजेंसी यूएसएआईडी (USAID) द्वारा मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए की गई कथित फंडिंग पर गंभीर चिंता व्यक्त की है। उन्होंने इसे भारत की लोकतांत्रिक प्रक्रिया में हस्तक्षेप के रूप में देखा और उन लोगों की आलोचना की जिन्होंने इस तरह के हस्तक्षेप की अनुमति दी।
धनखड़ ने कहा कि हमारे देश की लोकतांत्रिक प्रक्रिया को प्रभावित करने की कोशिश की गई थी, जो अत्यंत चिंताजनक है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारत की लोकतांत्रिक प्रणाली में किसी भी बाहरी हस्तक्षेप को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और इस तरह के प्रयासों का सख्ती से विरोध किया जाना चाहिए।
इस विवाद के बीच, केंद्र सरकार ने भी इस मामले को गंभीरता से लेते हुए जांच के आदेश दिए हैं। यूएसएआईडी द्वारा पिछले 24 वर्षों में भारत में 25,112 करोड़ रुपये वितरित किए गए हैं, जिसे सरकार ने अत्यंत चिंताजनक माना है।