जोगीद्वीप के इतिहास को लेकर हुई चर्चा
बलौदाबाजार/बलौदाबाजार जिले के भाटापारा तहसील के अंतर्गत जमुनिया एवं बंजारी नदी के संगम स्थल जोगीद्वीप ग्राम गुर्रा में स्थित छत्तीसगढ़ झेरिया गड़रिया पाल समाज के भवन में जोगिद्वीप के प्राचीन इतिहास, संस्कृति, पुरातत्व, पर्यावरण एवं माघी पूर्णिमा मेला के संबंध में चर्चा संपन्न हुआ।
इस कार्यक्रम में मुख्य रूप से संगम के बीच में मंदिर है जिनकी कहानी जनप्रचलित है उन्हीं तथ्यों को प्रमाणित करते हुए प्राचीन भारतीय इतिहास संस्कृति एवं पुरातत्व अध्ययनशाला पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय रायपुर के पीएचडी शोधार्थी श्री तीजराम पाल के कुशल नेतृत्व में सभी के समक्ष पुरातात्विक साक्ष्य के आधार पर ग्राम गुर्रा एवं जोगिद्वीप के परिसर में प्राचीन मंदिर के स्थापत्य खंड, मूर्तियों के अवशेष एवं अन्य पुरातत्विक वस्तुओं के संबंध में सभी लोगों को अवगत कराया गया एवं इतिहास की दृष्टि से उन मूर्तियों के अध्ययन के आधार पर उन मूर्तियों के इतिहास को सदियों पुराना लगभग पांडूवंशी/सोमवंशी कालीन 6/7वी सदी का बताया गया। इन स्थलों पर प्राचीन भव्य मंदिर का पूरा अवशेष प्राप्त हो रहा है। इनका संदर्भ देवरी एवं तरेंगा से प्राप्त प्रतिमाएं से देते हुए बताया गया।
संचालनालय संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग रायपुर के द्वारा बलौदाबाजार जिले के देवरी नामक स्थल पर पुरातात्विक उत्खनन का कार्य 2015-16 में किया गया था जिनका उत्खनन रिपोर्ट एक्सकैवेशन एट देवरी (2015 -16) के रूप में प्रकाशित है जिनके आधार पर जमुनिया (जमनईया) नदी किनारे पाषाण काल के आदिमानव के संस्कृति से संबंधित औजारों का प्रमाण मिल रहा है। पाषाण उपकरणों के विशेष रूप से उपलब्धता हजारों साल के इतिहास को प्रदर्शित करता है। साथ ही साथ बंजारी एवं जमुनिया(जमनइया) नदी के संगम स्थल जोगीद्वीप जिनका नामकरण जोगियों के तपोस्थली होने के कारण पड़ा है।
उस स्थान पर स्थित सिद्धबाबा सभी के मनोरथ पूर्ण करते हुए सर्वजन को कृतार्थ करते हैं। इन सभी के ऊपर पूर्ण रूप से चर्चा करते हुए सभी लोगों से आग्रह किया गया कि जोगिद्वीप के इतिहास को हम सभी को जानना चाहिए इसके अलावा शासन प्रशासन तक कैसे इनको पहूंचाए इस विषय में काम किया जा सके और यहां के इतिहास को जिले, राज्य और राष्ट्रीय स्तर के पटल पर कैसे पहुंचाएं इस संबंध में चर्चा हुआ। यह कार्यक्रम ग्राम गुर्रा के सरपंच श्री गौरीशंकर जायसवाल जी के नेतृत्व में यह कार्यक्रम संपन्न हुआ।
कार्यक्रम में जोगीद्वीप के मुख्य पुजारी श्री ओमगिरी गोस्वामी,ग्राम गुर्रा के भूतपूर्व सरपंच श्री सुंदरलाल ठाकुर जी,ग्राम गुर्रा के सोसायटी अध्यक्ष श्री प्यारे लाल जायसवाल जी,छत्तीसगढ़ झेरिया गड़रिया समाज महासभा के उपाध्यक्ष एवं तरेंगा परिक्षेत्र के उपाध्यक्ष श्री डोमार पाल जी, सभापति श्री बिशेसर पाल जी,उपसभापति श्री पंचराम पाल जी, सचिव श्री नंदलाल पाल जी,सहसचिव श्री प्रकाश पाल श्री फिरंताराम पाल जी, श्री गैंदूराम पाल जी, श्री बंसी मरकाम जी,श्री शिवकुमार ध्रुव जी, श्री रामप्रसाद ध्रुव, खल्लारि महाकालेश्वर ध्रुव गोंड महासभा के महाचिव श्री दौलत जगत व निषाद समाज के तरेंगा परिक्षेत्र के क्षेत्रीय सरपंच श्री रामप्रसाद निषाद जी, छत्तीसगढ़िया क्रांतिकारी सेना के प्रदेश उपाध्यक्ष श्री चंद्रकांत यदु जी, जिला महामंत्री श्री देवेंद्र वर्मा जी, भाटापारा ब्लॉक उपाध्यक्ष श्री जितेंद्र वर्मा जी उपस्थित हुए।
पाल समाज, निषाद समाज, ध्रुव समाज, साहू समाज, सेन समाज, यादव समाज,कलार समाज, सतनामी समाज एवं जोगिद्वीप से संबंधित सर्व समाज के लोगों ने जोगीद्वीप के इतिहास, संस्कृति, पुरातत्व एवं पर्यावरण से संबंधित अन्य प्रकार की गतिविधियों के ऊपर पूर्ण रूप से सहमति जताते हुए माघी पूर्णिमा के मेला के अवसर पर एक नई पहल करने के उपाय में सकारात्मक समर्थन दिया। इस कार्यक्रम में ग्राम पंचायत गुर्रा के सरपंच ने यहाँ के इतिहास के संबंध में पूर्ण रूप से आगे कार्य के लिए आश्वासन दिया।
छत्तीसगढ़िया क्रांतिकारी सेना के पदाधिकारीयो ने छत्तीसगढ़, छत्तीसगढ़ी और छत्तीसगढ़िया बात के ऊपर पूर्ण रूप से बहुत ही सारगर्भित अपनी वक्तव्य से सर्व समाज को संबोधित किया।जल,जंगल जमीन के प्रति लोगों को बताते हुए अपने हक अधिकारों के लिए प्रेरित किया।
इस कार्यक्रम के पश्चात सर्व समाज के बीच में नई प्रेरणा भरा संदेश सबके बीच में जायेगा। साथ ही साथ संगम के समीप घाट का विस्तार कर गंगा आरती का शुभारंभ कर नई पहल माघी पूर्णिमा में देखने को मिलेगा।
प्रेषक
शोधार्थी
तीजजराम पाल