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अलास्का में ट्रम्प–पुतिन बैठक का ये नतीजा रहा

दिल्ली, 16 अगस्त 2025/ अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की बहुप्रतीक्षित मुलाकात 15 अगस्त को अलास्का के ज्वाइंट बेस एलमेंडॉर्फ-रिचर्डसन में हुई, लेकिन बैठक किसी ठोस परिणाम के बिना समाप्त हो गई। यह वार्ता मुख्य रूप से रूस–यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने के उद्देश्य से आयोजित की गई थी।

करीब तीन घंटे चली इस बातचीत में न तो सीजफायर घोषित हुआ और न ही किसी शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए गए। बैठक के बाद आयोजित संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में दोनों नेताओं ने ‘रचनात्मक प्रगति’ का दावा किया, लेकिन कोई स्पष्ट योजना या विवरण सामने नहीं आया।

बैठक की पृष्ठभूमि और महत्व
ट्रम्प के दूसरे कार्यकाल में यह उनकी पहली बड़ी अंतरराष्ट्रीय कूटनीतिक पहल थी। चुनाव प्रचार के दौरान उन्होंने दावा किया था कि वे युद्ध को “24 घंटे में खत्म” कर देंगे। अलास्का को बैठक स्थल के रूप में चुनना प्रतीकात्मक था, क्योंकि यह अमेरिका और रूस के बीच सबसे निकटतम बिंदु है। पुतिन का अमेरिकी धरती पर कदम रखना भी वैश्विक स्तर पर एक बड़ी कूटनीतिक उपलब्धि माना गया, विशेषकर तब जब अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (ICC) उन्हें युद्ध अपराधों का आरोपी मान चुका है।

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प्रमुख बिंदु और नतीजे

  • बैठक की अवधि: 2 घंटे 45 मिनट से 3 घंटे

  • मुख्य मुद्दा: रूस–यूक्रेन युद्ध की समाप्ति

  • परिणाम: कोई सीजफायर या डील नहीं, सिर्फ “प्रगति” का दावा

  • अगला कदम: ट्रम्प जेलेंस्की से बातचीत करेंगे; संभावित अगली बैठक मॉस्को में

  • अन्य चर्चा: रूस–अमेरिका सहयोग, ऊर्जा और व्यापार

पुतिन ने ट्रम्प की तारीफ करते हुए कहा कि अगर वे पहले राष्ट्रपति होते तो युद्ध शुरू ही नहीं होता। वहीं, ट्रम्प ने कहा कि “बहुत प्रगति हुई है”, लेकिन किसी ठोस समझौते की बात नहीं की। पुतिन ने अगली बैठक मॉस्को में करने का प्रस्ताव रखा, जिस पर ट्रम्प ने ‘विचार करने’ की बात कही।

अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रियाएं
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की ने बैठक को “मृत समाधान” बताते हुए कहा कि कीव को शामिल किए बिना कोई डील वैध नहीं। यूरोपीय संघ और नाटो ने भी चिंता जताई कि यह वार्ता रूस को मजबूत कर सकती है। पूर्व अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन बोल्टन के मुताबिक “पुतिन विजेता” बनकर उभरे, जबकि ट्रम्प कमजोर दिखे।

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विश्लेषण
विशेषज्ञों का मानना है कि यह बैठक पुतिन के लिए एक बड़ी कूटनीतिक जीत रही। अमेरिका के राष्ट्रपति से सीधे वार्ता ने उनकी वैश्विक स्थिति को मजबूती दी। दूसरी ओर, ठोस नतीजे न आने से ट्रम्प की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े हो सकते हैं। चर्चा के दौरान क्षेत्रीय समझौते (territorial swap) का प्रस्ताव आया था, लेकिन यूक्रेन ने इसे तुरंत खारिज कर दिया।

कुल मिलाकर, यह बैठक ट्रम्प की वैश्विक कूटनीति में वापसी का संकेत तो देती है, लेकिन यूक्रेन युद्ध को खत्म करने के लिए अभी लंबा रास्ता तय करना बाकी है। दुनिया की निगाहें अब संभावित त्रिपक्षीय बैठक (ट्रम्प–पुतिन–जेलेंस्की) पर टिकी हैं।