ट्रंप का बयान: “मेरे मंत्री भी चीन के मंत्रियों की तरह अनुशासित रहें” — बैठक में कहा, “जेडी वांस बहुत बोलते हैं”
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में रिपब्लिकन सीनेटरों के साथ हुई एक बैठक में अपनी कैबिनेट की तुलना चीन के नेताओं से करते हुए कहा कि वे चाहते हैं कि उनके मंत्री चीन की तरह अनुशासन और औपचारिकता दिखाएँ।
बैठक के दौरान ट्रंप ने बताया कि दक्षिण कोरिया के बुसान में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात के दौरान उन्होंने देखा कि वहां के वरिष्ठ चीनी नेता बेहद औपचारिक तरीके से बैठे थे और बिना अनुमति के कुछ नहीं बोलते थे। उन्होंने मज़ाकिया अंदाज़ में कहा, “मैं चाहता हूँ कि मेरी कैबिनेट भी वैसी ही अनुशासित दिखे — सीधे बैठें, चुप रहें, और बिना पूछे न बोलें।”
ट्रंप ने अपने उपराष्ट्रपति जेडी वांस पर हल्का तंज कसते हुए कहा, “जेडी वैसा व्यवहार नहीं करते। वे तो बीच में बोल पड़ते हैं।”
‘तानाशाही झुकाव’ के आरोपों के बीच नया विवाद
ट्रंप के आलोचकों का मानना है कि उनका यह बयान तानाशाही प्रवृत्ति की ओर इशारा करता है। कुछ विश्लेषकों ने इसे मज़ाक से ज़्यादा एक राजनीतिक संकेत बताया है।
ट्रंप पर पहले भी प्रशासन चलाने के तौर-तरीकों को लेकर सवाल उठते रहे हैं — उन्हें “आदेश देने वाला” और “एकतरफा निर्णय लेने वाला” कहा गया है। हालांकि, उनके समर्थक इसे केवल “हास्य और व्यंग्य” बताते हैं, जो ट्रंप की बोलने की शैली का हिस्सा है।
तुलना और व्यंग्य
राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि ट्रंप के इस बयान में निहित संदेश यह भी है कि सत्ता में बैठे लोग भी अक्सर और अधिक सत्ता की चाह रखते हैं। जैसे आम लोगों में ईर्ष्या और तुलना का भाव होता है, वैसे ही शक्तिशाली नेता भी अपने समकक्षों से प्रभावित होते हैं।
ट्रंप ने कहा था कि “वे चाहते हैं कि उनकी कैबिनेट उतनी ही व्यवस्थित और अनुशासित दिखे जितनी चीन की सरकार की बैठकें होती हैं।” हालांकि, उन्होंने इसे एक मज़ाकिया टिप्पणी के रूप में कहा, पर उनके विरोधियों को यह बयान “बहुत परिचित” लगा — जैसे वह लोकतांत्रिक ढाँचे से असहज हों।
राजनीतिक हलचल के बावजूद ट्रंप की हंसी कायम
विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप अपने बयानों से चाहे जितना विवाद खड़ा कर दें, वे हास्य और व्यंग्य का उपयोग राजनीतिक हथियार के रूप में करते हैं। इस बार भी उनका “चीनी अनुशासन” वाला मज़ाक सोशल मीडिया और राजनीतिक हलकों में चर्चा का विषय बन गया है।
जैसा एक विश्लेषक ने कहा — “ट्रंप के लिए मौन उपराष्ट्रपति और कमजोर विपक्ष एक मज़ाक हो सकता है, लेकिन कई देशों में यही हकीकत है। शायद यही कारण है कि उनके मज़ाक में सच्चाई की झलक दिख जाती है।”

