दक्षिण कोसल की भूमि को रामायण कालीन ऋषियों ने किया समृद्ध
रायपुर 10 अगस्त/ ग्लोबल इन्साइक्लोपीडिया ऑफ रामायण इंटरनेशनल वेबिनार सिरीज-9 के अंतर्गत रविवार 9 अगस्त की शाम को को दक्षिण कोसल के रामायण कालीन ऋषि मुनि एवं उनके आश्रम विषय पर व्याख्यान हुआ। उस वेबिनार में जनजातीय कार्य मंत्रालय की केंद्रीय राज्य मंत्री रेणुका सिंह मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित थीं।वेबीनार की अध्यक्षता प्रो शैलेन्द्र सराफ़, उपाध्यक्ष फ़ार्मेसी कौंसिल ऑफ़ इंडिया ने की।
मंत्री रेणुका सिंह ने रामायण काल के ऋषियों का उल्लेख करते हुए छत्तीसगढ़ के इतिहास, पुरातत्व एवं संस्कृति में रामकथा के प्रभाव पर रोचक व्याख्यान दिया, साथ ही उन्होंने कहा कि उनके नाम से साम्य रखते हुए सरगुजा में रेणुका नदी भी प्रवाहित होती है, वहाँ हमें महर्षि जमदग्नि के आश्रम की जानकारी लोक मान्यताओं में मिलती है।
मुख्य वक्ता अंबिकापुर की हिन्दी व्याख्याता श्रीमती रेखा पाण्डेय ने रामायण कालीन ॠषि मुनियों के विषय में जानकारी देते हुए कहा कि सरगुजा से लेकर बस्तर तक नदियों के तट पर श्रंगि ऋषि, कन्क ऋषि, शरभंग ऋषि, अगस्त्य ऋषि, मुचकुन्द ऋषि, गौतम ऋषि, अंगिरा ऋषि, वाल्मीकि ऋषि, माण्डकर्णी ॠषि, मतंग ॠषि, लोमस ॠषि आदि के आश्रम थे, जो वर्तमान में भी जन चेतना के केन्द्र हैं।
विशिष्ट अतिथि यूएसए ह्युस्टन के सेंटर फॉर इनर साइंस के संस्थापक निदेशक डॉ.हरीशचन्द्र ने भारतीय ऋषि परंपरा और उसके वैश्विक प्रभाव पर अपने विचार रखे। उन्होंने बताया जिन्हें ज्ञान के दर्शन हो जाते हैं वह ऋषि कहलाते हैं। ऐसे ऋषि लोक कल्याण के लिए ज्ञान का प्रसार करते हैं। उन्होंने श्रुति परंपरा का पालन करते हुए लिखे गए वेदों की जानकारी भी दी।
ग्लोबल इन्साइक्लोपीडिया ऑफ रामायण के छत्तीसगढ़ संयोजक इण्डोलॉजिस्ट ललित शर्मा ने बताया कि छत्तीसगढ़ के सेंटर फॉर स्टडी ऑन होलीस्टिक डेवलपमेंट के सचिव विवेक सक्सेना ने शोधपरक और प्रमाणिक जानकारी के आधार पर ग्लोबल इन्साइक्लोपीडिया तैयार करने की बात कही।