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राष्ट्रवादी नायक नरेंद्र मोदी और लोकप्रियता का तिलस्म

आचार्य ललित मुनि

जब भी हम नरेंद्र मोदी का नाम लेते हैं तो मन के साथ तन में भी एक लहर उठती है, एक तरंग उठती है, यह तरंग राष्ट्रवाद की है। यह तरंग केवल भारत की सीमाओं तक सीमित नहीं, बल्कि महाद्वीपों और महासागरों को पार कर दुनिया के कोने-कोने तक फैली हुई है। राजनीति में आने वाले अधिकांश नेता समय की धारा में कहीं न कहीं धुंधले पड़ जाते हैं, परंतु मोदी एक ऐसे व्यक्तित्व हैं जिनकी चमक समय के साथ और अधिक प्रखर होती जा रही है। प्रधानमंत्री के तीसरे कार्यकाल में बभी उनका तिलस्म आज भी कायम है और जनता उनको आगे भी प्रधानमंत्री के रुप में ही देखना चाहती है।

आज 17 सितंबर 2025 को जब वे 75 वर्ष के हुए हैं, तब भी उनकी लोकप्रियता का ग्राफ ऊपर की ओर ही जाता नजर आता है। यह अद्भुत है, क्योंकि सामान्यतः सत्ता में लम्बे समय तक बने रहने के बाद किसी भी नेता के प्रति मोहभंग की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। किंतु मोदी का तिलस्म, उनका आकर्षण और उनकी पकड़ वैसी ही बनी हुई है जैसी 2014 में थी, बल्कि कहीं अधिक प्रगाढ़। सवाल यह उठता है कि आखिर ऐसा क्या है मोदी में, जो उन्हें वर्षों बाद भी जनता के हृदय में उसी उत्साह से बसा देता है? क्यों वे विश्व की लोकप्रियता रैंकिंग में शीर्ष स्थान पर स्थिर बने हुए हैं?

नरेंद्र मोदी की कहानी किसी भी व्यक्ति को प्रेरित करने वाली गाथा है। एक छोटे से कस्बे में चाय बेचने वाले बालक से लेकर विश्व राजनीति के केंद्र में बैठे प्रधानमंत्री तक की यात्रा सहज नहीं थी। इसमें संघर्ष भी है, कठिनाइयाँ भी, साधारण जीवनशैली से उठी हुई दृढ़ता भी और साथ ही राष्ट्र के प्रति समर्पण भी।

संघ के प्रचारक के रूप में वर्षों तक भारत के कोने कोने में घूमे, भारत और भारतीयता से परिचित हुए, एक साधक की तरह संगठन के दायित्वों का निर्वहन करते रहे। यह तपस्या उनकी राजनीति की आधारभूमि बनी। जब 2001 में गुजरात के मुख्यमंत्री बने, तब किसी ने नहीं सोचा था कि यही व्यक्ति एक दिन भारत की राजनीति को नई दिशा देगा। किंतु “गुजरात मॉडल” के नाम पर उन्होंने विकास की वह तस्वीर खींची, जिसने उन्हें राष्ट्रीय राजनीति का सितारा बना दिया।

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मोदी की लोकप्रियता का सबसे सशक्त आधार उनका “विकास पुरुष” का चेहरा है। गुजरात में उन्होंने उद्योग और निवेश का ऐसा माहौल बनाया कि “वाइब्रेंट गुजरात” शिखर सम्मेलन अंतरराष्ट्रीय मंच बन गया। जब 2014 में उन्होंने प्रधानमंत्री पद की शपथ ली, तब पूरे देश ने उनसे विकास और परिवर्तन की उम्मीदें बाँध लीं। “अच्छे दिन आने वाले हैं” यह नारा केवल चुनावी वाक्य नहीं था, बल्कि करोड़ों भारतीयों की आकांक्षाओं का प्रतीक था। आज 11 वर्ष बाद, उस नारे ने विश्वास का रूप ले लिया है।

2025 तक भारत चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है। इसमें ‘मेक इन इंडिया’, जीएसटी, स्टार्टअप इंडिया और आत्मनिर्भर भारत जैसी योजनाओं की अहम भूमिका रही। परंतु मोदी का असली जादू आँकड़ों से कहीं आगे है। उज्ज्वला योजना ने दस करोड़ से अधिक ग्रामीण महिलाओं के जीवन को बदला। स्वच्छ भारत अभियान ने करोड़ों घरों में शौचालय बनवाकर सामाजिक क्रांति की शुरुआत की। प्रधानमंत्री आवास योजना और जनधन योजना ने गरीबों को सम्मान और सुरक्षा दी।

जब कोई किसान कहता है कि“मोदी जी ने बिजली पहुंचाई, अब खेतों में रात भी सिंचाई होती है,”तो यह केवल एक कथन ही नहीं, बल्कि उस भरोसे का प्रमाण है जो नेता और जनता के बीच विश्वास के सेतु का निर्माण करता है। यद्यपि आलोचक बेरोजगारी, महंगाई और असमान विकास की बातें करते हैं, परंतु 2025 के ‘मूड ऑफ द नेशन’ सर्वे में 70% से अधिक लोगों ने उन्हें सकारात्मक रूप से आंका। यह दिखाता है कि लोग काम देख रहे हैं, और उन्हें परिणामों का अनुभव हो रहा है।

मोदी के व्यक्तित्व का दूसरा सबसे महत्वपूर्ण पहलू है उनका संचार कौशल। जब वे बोलते हैं तो लगता है जैसे प्रत्येक शब्द सीधे श्रोता के हृदय में उतर रहा हो। उनकी शैली में जो अपनापन है, वह उन्हें अन्य नेताओं से अलग करता है। मन की बात, जो 2014 से लगातार प्रसारित हो रही है, आज सौ से भी अधिक एपिसोड पूरे कर चुकी है। इस कार्यक्रम में वे जनता की छोटी-छोटी कहानियाँ सुनाते हैं, जिससे करोड़ों लोग अपने आप को उनसे जुड़ा महसूस करते हैं। यह केवल एक रेडियो कार्यक्रम नहीं, बल्कि एक भावनात्मक पुल है।

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सोशल मीडिया पर उनकी पकड़ कमाल की है। X पर वे 100 मिलियन से अधिक अनुयायियों के साथ दुनिया के सबसे लोकप्रिय राजनेता हैं। इंस्टाग्राम पर भी उनका जादू कायम है। यह डिजिटल युग का संकेत है कि वे युवाओं को अपनी भाषा में संबोधित करना जानते हैं। उनकी बॉडी लैंग्वेज, अनुशासन, सजीव ऊर्जा और स्वच्छ छवि लोगों को आकर्षित करती है। जनता को लगता है कि मोदी “हम जैसे” हैं, लेकिन असाधारण कार्यक्षमता के साथ। यही कारण है कि उनके प्रति समर्थन केवल राजनीतिक नहीं, बल्कि भावनात्मक है।

नरेन्द्र मोदी की राजनीति का तीसरा आधार राष्ट्रवाद है। उन्होंने “56 इंच की छाती” जैसे प्रतीकों के माध्यम से लोगों के गर्व को जगाया। अनुच्छेद 370 का हटना, राम मंदिर का निर्माण और ट्रिपल तलाक का कानून बनाना, ये केवल नीतिगत कदम नहीं, बल्कि करोड़ों भारतीयों की भावनाओं से जुड़ा सपना था।

कोविड काल में भारत ने न केवल अपनी जनता को वैक्सीन उपलब्ध कराई, बल्कि “वैक्सीन मित्र” के रूप में दुनिया के कई देशों की मदद भी की। इसने लोगों के मन में भारत के लिए गर्व और मोदी के प्रति आभार दोनों को गहरा किया। यद्यपि आलोचक कहते हैं कि इससे समाज में ध्रुवीकरण बढ़ा है, लेकिन बहुसंख्यक जनता इसे राष्ट्र के पुनर्जागरण की दिशा मानती है।

मोदी ने विदेश नीति को भी नया आयाम दिया है। वे केवल भारत के प्रधानमंत्री नहीं, बल्कि वैश्विक राजनीति के निर्णायक चेहरों में से एक हैं। उन्होंने G20 शिखर सम्मेलन में अफ्रीकी यूनियन को स्थायी सदस्यता दिलाई। इंटरनेशनल सोलर अलायंस जैसे अभियानों से जलवायु परिवर्तन पर भारत की मजबूत भूमिका रखी। अमेरिका, जापान और यूरोप से लेकर अफ्रीका तक संबंधों का विस्तार हुआ। 2025 में मॉर्निंग कंसल्ट सर्वे के अनुसार, वे 71% अनुमोदन रेटिंग के साथ विश्व के सबसे लोकप्रिय नेता बने हुए हैं। यह केवल संयोग नहीं, बल्कि रणनीति, दृष्टि और दृढ़ नेतृत्व का परिणाम है।

इसके साथ महत्वपूर्ण ये हैं कि भारत की जनता देश को मोदी के हाथों में सुरक्षित देखती है, जिससे उनका भविष्य भी सुरक्षित है। चीन को गलवान एवं डोकलाम में बराबर की टक्कर देना तथा पाकिस्तान के आतंकवाद का उसी की शैली में जवाब देना। आपरेशन सिंदूर इसका ताजा प्रमाण है। उन्होंने अमेरिका से सीधी टक्कर ली और कहा कि मैं भारत के किसानों का भविष्य खराब नहीं होने दूंगा। उनके तेवर देखकर अमेरिका भी झुकने को मजबूर हो रहा है। आज भारतीयों को गर्व है उन्होंने देश को सशक्त नेतृत्व देने वाले व्यक्ति को अपना नेता चुना है।

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आख़िर मोदी का तिलस्म क्या है? इसका उत्तर उनके मानवीय संवेदना में छिपा है। वे योग करते हैं, किताबें लिखते हैं, कविताएँ रचते हैं, और जनता की कहानियाँ सुनते हैं। वे साधारण जीवन जीते हुए भी असाधारण काम करते हैं। उनके राजनीतिक जीवन में कोई भ्रष्टाचार का आरोप नहीं लगा। वंशवाद से दूरी और आत्मानुशासन उन्हें जनता के लिए विश्वसनीय बनाते हैं। वे बीमार नहीं पड़ते, अवकाश नहीं लेते और प्रतिदिन 16-18 घंटे काम करते हैं, यह छवि लोगों के मन में समर्पण और त्याग का प्रतीक है। उनकी लोकप्रियता समय-समय पर चुनौती के दौर से गुज़री है। कोविड काल में उनकी रेटिंग घटी थी, किंतु संकट से उभरने की क्षमता ने उन्हें और मजबूत बना दिया।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की कहानी हमें यह सिखाती है कि सच्ची लोकप्रियता केवल प्रचार से नहीं, बल्कि वास्तविक कार्य और जनसंपर्क से आती है। वे केवल प्रधानमंत्री नहीं, बल्कि करोड़ों लोगों के लिए प्रेरणा और आशा का प्रतीक हैं। जैसे एक पिता परिवार का मार्गदर्शन करता है, वैसे ही वे राष्ट्र को दिशा देने वाले नेता के रूप में सामने आते हैं। उनका तिलस्म केवल भाषणों या नीतियों में नहीं, बल्कि उस विश्वास में है जो जनता के दिलों में उन्होंने अंकित कर दिया है।

2025 में जब वे अपने 75वें वर्ष में प्रवेश कर चुके हैं, तब भी उनकी लोकप्रियता और उनकी ऊर्जा से यह प्रतीत होता है कि उनकी यात्रा अभी अधूरी है। भारत की नई ऊँचाइयाँ, नई पहचान और नई कहानी उनके हाथों से ही लिखी जानी हैं। मोदी का तिलस्म हमें यह बताता है कि राजनीति केवल सत्ता पाने का खेल नहीं, बल्कि जनता के हृदय में जगह बनाने की कला भी है और यही कला नरेंद्र मोदी को इस युग का सबसे लोकप्रिय नेता बनाती है। उन्हें जन्म दिवस की ढेर सारी शुभकामनाएं।