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2018 की एक रात, जिसने 2025 की जंग को जन्म दिया

13 जून की सुबह, जब अधिकांश लोग नींद में थे, इज़राइल ने ईरान पर 100 से अधिक हवाई और ड्रोन हमलों के साथ एक व्यापक सैन्य अभियान शुरू किया। इसे “आवश्यक पूर्व-आक्रामक कार्रवाई” (Necessary Preemptive Action) करार दिया गया — लेकिन इस हमले की नींव वर्षों पहले ही रखी जा चुकी थी।

हमलों के लक्ष्य और तबाही

इज़राइल के अनुसार, यह हमला ईरान की परमाणु, सैन्य और गुप्त रक्षा क्षमताओं को पंगु करने के लिए किया गया था। हमलों में शामिल थे:

  • यूरेनियम संवर्धन संयंत्र

  • रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (IRGC) मुख्यालय

  • मिसाइल भंडारण स्थल

  • खुफिया एजेंसी के गुप्त अड्डे

ईरानी सरकारी सूत्रों के अनुसार, अब तक 224 नागरिकों और सैनिकों की मौत की पुष्टि हो चुकी है। कई परमाणु और मिसाइल विकास केंद्र पूरी तरह से मलबे में बदल चुके हैं।

मोसाद की गुप्त कार्रवाई: 2018 की रात जिसने सब बदल दिया

इस खुली जंग की शुरुआत दरअसल 2018 की उस रात से हुई थी, जब इज़राइल की खुफिया एजेंसी मोसाद ने तेहरान के एक गोपनीय गोदाम से ईरान के परमाणु कार्यक्रम की पूरी फाइल चोरी कर ली थी।

इस ऑपरेशन में 50,000 दस्तावेज और 163 सीडी चुराए गए — जिनमें ईरान के ‘Project Amad’ से जुड़े परमाणु बम डिजाइन, उच्च विस्फोटक परीक्षण, और मिसाइल वॉरहेड योजनाएं थीं। यह जानकारी बाद में तत्कालीन इज़राइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू द्वारा दुनिया के सामने रखी गई।

अमेरिका ने इसे आधार बनाकर 2015 के ईरान परमाणु समझौते (JCPOA) से बाहर निकलने का फैसला किया।

ईरान की प्रतिक्रिया और बदला

ईरान ने शुरू से इन दस्तावेजों को फर्जी बताया, लेकिन दस्तावेज़ों में यूरेनियम ड्यूटेराइड जैसे तत्वों का जिक्र, और पारचीन मिलिट्री बेस में गुप्त परीक्षणों का हवाला, संदेह की पुष्टि करते रहे।

इसके बाद वर्षों तक ईरान और इज़राइल के बीच छाया युद्ध चलता रहा:

  • परमाणु वैज्ञानिकों की हत्याएं (जैसे मोहसिन फखरीज़ादेह)

  • साइबर हमले

  • मध्य पूर्व में इज़राइली राजनयिकों पर हमले

  • लेबनान, सीरिया और इराक में प्रॉक्सी नेटवर्क का उपयोग

2025 का युद्ध: अब कोई पर्दा नहीं

13 जून को हुए इज़राइली हमलों के बाद ईरान ने भी जोरदार जवाब दिया — 100 से अधिक बैलिस्टिक मिसाइलें और ड्रोन इज़राइल पर दागे गए।
तेल अवीव और अन्य नागरिक क्षेत्रों पर सीधी चोट हुई, जिसमें कम से कम 14 इज़राइली नागरिक मारे गए और सैकड़ों घायल हुए। कुछ मिसाइलें इज़राइल की ‘Iron Dome’ रक्षा प्रणाली को भेदते हुए निशाने तक पहुंचीं।

अब युद्ध सातवें दिन में प्रवेश कर चुका है और तनाव थमने के कोई संकेत नहीं हैं। पश्चिम एशिया फिर से एक बड़े भू-राजनीतिक संकट के मुहाने पर खड़ा है।