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टीबी मुक्त छत्तीसगढ़ की ओर निर्णायक कदम: निक्षय-निरामय अभियान से मिली राष्ट्रीय पहचान

रायपुर, 26 जुलाई 2025/ मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के दूरदर्शी और प्रतिबद्ध नेतृत्व में छत्तीसगढ़ राज्य गंभीर बीमारी टीबी (क्षय रोग) के उन्मूलन की दिशा में सशक्त, सुनियोजित और प्रभावी प्रयासों के साथ निरंतर अग्रसर है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा वर्ष 2025 तक भारत को टीबी मुक्त बनाने के राष्ट्रीय संकल्प के अनुरूप छत्तीसगढ़ में भी व्यापक कार्ययोजना तैयार की गई है, जिसे ज़मीनी स्तर पर सफलता के साथ क्रियान्वित किया जा रहा है।

इसी क्रम में 7 दिसंबर 2024 को मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व और स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल के दिशा-निर्देशन में राज्य में “निक्षय-निरामय छत्तीसगढ़ – 100 दिवसीय अभियान” की शुरुआत की गई। इस विशेष अभियान का उद्देश्य था – टीबी के विरुद्ध जमीनी स्तर पर निर्णायक लड़ाई छेड़ना और इसे जन-आंदोलन का स्वरूप देना।

अभियान के अंतर्गत राज्य के सभी जिलों में घर-घर जाकर उच्च जोखिम वाले व्यक्तियों की पहचान की गई। इसके बाद सूचीबद्ध व्यक्तियों की आधुनिक तकनीकों से जांच की गई। इस दौरान

  • 36 लाख से अधिक लोगों की स्क्रीनिंग,

  • 4.5 लाख से अधिक एक्स-रे जांच, और

  • 1.5 लाख से अधिक व्यक्तियों की जांच अत्याधुनिक ‘नॉट मशीन’ (NAAT) से की गई।

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यह वैज्ञानिक एवं व्यापक परीक्षण प्रक्रिया टीबी के प्रारंभिक पहचान और शीघ्र उपचार के लिए अत्यंत प्रभावी सिद्ध हुई।

जनभागीदारी बनी अभियान की ताकत

इस अभियान की सफलता का एक प्रमुख आधार रही जनसहभागिता। राज्यपाल, मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री ने व्यक्तिगत रूप से टीबी मरीजों को ‘निक्षय मित्र’ के रूप में गोद लेकर पोषण आहार प्रदान करने की पहल की।

आज तक,

  • 15,000 से अधिक ‘निक्षय मित्र’ पंजीकृत हो चुके हैं, और

  • 34,000 से अधिक टीबी मरीजों को पोषण सहायता दी जा चुकी है।

इस अभियान में सांसद, विधायक, जनप्रतिनिधि, महिलाएं, युवावर्ग, स्वयंसेवी संगठन और आम नागरिकों की सक्रिय भागीदारी ने इसे एक जन आंदोलन बना दिया है।

उपेक्षित वर्गों पर विशेष ध्यान

मुख्यमंत्री के निर्देशानुसार, उन वर्गों पर विशेष ध्यान केंद्रित किया गया जो आमतौर पर स्वास्थ्य सेवाओं की मुख्यधारा से वंचित रह जाते हैं। इनमें शामिल हैं:

  • जेलों में बंद बंदी,

  • वृद्धाश्रमों में रहने वाले बुजुर्ग,

  • छात्रावासों में रह रहे विद्यार्थी, और

  • फैक्ट्रियों में कार्यरत श्रमिक।

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इनके लिए विशेष स्वास्थ्य शिविरों का आयोजन कर जांच और उपचार की सुलभ व्यवस्था की गई।

राष्ट्रीय स्तर पर छत्तीसगढ़ को मिली पहचान

इन सतत प्रयासों और जन-सहभागिता के चलते छत्तीसगढ़ राज्य को “टीबी मुक्त ग्राम पंचायत कार्यक्रम” के उत्कृष्ट क्रियान्वयन के लिए राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित किया गया है। अब तक राज्य की 4106 ग्राम पंचायतों को “टीबी मुक्त” घोषित किया जा चुका है—जो कि एक ऐतिहासिक उपलब्धि है।

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कहा:
“जब शासन की प्रतिबद्धता और जनसहयोग एक साथ मिलते हैं, तब बदलाव सिर्फ लक्ष्य नहीं, उपलब्धि बन जाते हैं। छत्तीसगढ़ इसका जीवंत उदाहरण बन रहा है।”

टीबी के विरुद्ध छत्तीसगढ़ का यह संघर्ष एक अनुकरणीय पहल है, जिससे प्रेरणा लेकर अन्य राज्य भी इस दिशा में प्रभावी कार्य कर सकते हैं।
छत्तीसगढ़ निश्चित ही ‘टीबी मुक्त भारत’ के स्वप्न को साकार करने में अग्रणी भूमिका निभा रहा है।