तमिलनाडु के TASMAC मुख्यालय पर ED की छापेमारी पर सुप्रीम कोर्ट ने जताई सख्त नाराजगी, कार्यवाही पर लगाई रोक
तमिलनाडु स्टेट मार्केटिंग कॉरपोरेशन (TASMAC) मुख्यालय पर प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा की गई छापेमारी को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कड़ी टिप्पणी करते हुए कार्रवाई पर अस्थायी रोक लगा दी है। अदालत ने केंद्र सरकार की एजेंसी पर संविधान की मर्यादा का उल्लंघन करने का आरोप लगाया।
मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह की पीठ ने कहा कि ED सरकारी संस्थानों के खिलाफ कार्यवाही कर “संवैधानिक सीमाएं पार कर रही है।” अदालत ने यह भी सवाल उठाया कि जब राज्य सरकार ने स्वयं संबंधित अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है, तो फिर ED को इस स्तर पर हस्तक्षेप करने की क्या जरूरत है।
“आप किसी व्यक्ति के खिलाफ मामला दर्ज करें, लेकिन एक सरकारी निगम के खिलाफ आपराधिक मामला कैसे बन सकता है?” — यह टिप्पणी मुख्य न्यायाधीश ने की।
अदालत ने इस मामले में ED को नोटिस जारी करते हुए स्पष्टीकरण मांगा है कि इस छापेमारी की आधारभूत (प्रीडिकेट) अपराध क्या है, जिस पर मनी लॉन्ड्रिंग का केस शुरू किया गया।
क्या है मामला?
मार्च 6 से 8 के बीच ED ने TASMAC के चेन्नई स्थित मुख्यालय पर छापेमारी की थी। आरोप है कि कंपनी के कुछ अधिकारियों ने शराब की बोतलों की कीमत में हेरफेर, टेंडर प्रक्रिया में गड़बड़ी और रिश्वतखोरी में संलिप्तता दिखाई, जिससे लगभग ₹1,000 करोड़ की वित्तीय अनियमितताएं सामने आईं।
हालांकि, राज्य सरकार ने इन आरोपों के आधार पर 2014 से अब तक 41 से अधिक एफआईआर खुद ही दर्ज की हैं। ऐसे में राज्य सरकार और TASMAC का कहना है कि ED की कार्रवाई न केवल अधिकार क्षेत्र से बाहर है, बल्कि यह संघीय ढांचे का उल्लंघन भी है।
वरिष्ठ वकीलों की दलीलें
राज्य की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा, “ED 2025 में आता है और निगम के मुख्यालय पर छापा मारता है, फोन और दस्तावेज जब्त कर लिए जाते हैं — यह निजता के अधिकार का उल्लंघन है।”
वहीं TASMAC की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा, “फोन पूरी तरह से खाली कर दिए गए हैं। क्या निजता का कोई अधिकार नहीं बचा?”
ED की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू और विशेष वकील ज़ोहेब हुसैन ने अदालत को बताया कि वे इस पर विस्तृत जवाब दाखिल करेंगे।
फिलहाल के लिए राहत
सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल ED की कार्रवाई पर रोक लगाते हुए कहा कि एजेंसी को यह बताना होगा कि मनी लॉन्ड्रिंग का मामला किस आधार पर दर्ज किया गया। साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा कि ED का ऐसा रवैया संविधान के संघीय ढांचे के विरुद्ध है।
यह मामला अब अगली सुनवाई तक सुप्रीम कोर्ट के विचाराधीन रहेगा।