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धार्मिक और सामाजिक पुनर्जागरण के अग्रदूत : स्वामी दयानंद सरस्वती

स्वामी दयानंद सरस्वती भारतीय समाज में धार्मिक और सामाजिक पुनर्जागरण के अग्रदूत थे। वे एक महान सुधारक, विचारक और आर्य समाज के संस्थापक थे। बोध दिवस वह महत्वपूर्ण दिन है, जब स्वामी दयानंद को अपने आध्यात्मिक लक्ष्य और सत्य की वास्तविकता का साक्षात्कार हुआ। यह दिन उनके जीवन में एक निर्णायक मोड़ था, जिसने उन्हें वेदों के शुद्ध ज्ञान के प्रचार और सामाजिक सुधार की ओर प्रेरित किया।

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जब दिल्ली की जामा मस्जिद में गूंजे थे वेद मंत्र

स्वामी श्रद्धानंद हिंदू-मुस्लिम एकता के भी प्रबल समर्थक थे। उन्होंने वर्ष 1919 में दिल्ली की ऐतिहासिक जामा मस्जिद में एक प्रेरणादायक भाषण दिया, जिसमें उन्होंने वेद मंत्रों का उच्चारण किया। यह घटना अपने आप में अभूतपूर्व थी और यह दर्शाती थी कि वे सच्चे अर्थों में धार्मिक एकता के पक्षधर थे। उन्होंने सदैव सभी धर्मों की समानता पर बल दिया और उनके विचारों ने समाज को नई दिशा दी।

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एक राष्ट्रभक्त आर्य संन्यासी स्वामी श्रद्धानंद का बलिदान

आर्यसमाज के प्रखर वेदज्ञ वक्ता, उच्चकोटि के अधिवक्ता, ओजस्वी वक्ता, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और क्राँतिकारियों की एक पूरी पीढ़ी तैयार

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