नदी के नाम पैगाम : समाज की सोई चेतना को झकझोरती कविताएँ
नदियाँ केवल जल का स्रोत नहीं, बल्कि मानव सभ्यता, संस्कृति और जीवन की आधारशिला हैं। इनके संरक्षण से ही पर्यावरण और आने वाली पीढ़ियों का भविष्य सुरक्षित है। नदी पर उल्लेखनीय काव्य।
Read Moreनदियाँ केवल जल का स्रोत नहीं, बल्कि मानव सभ्यता, संस्कृति और जीवन की आधारशिला हैं। इनके संरक्षण से ही पर्यावरण और आने वाली पीढ़ियों का भविष्य सुरक्षित है। नदी पर उल्लेखनीय काव्य।
Read Moreआचार्य विनोबा भावे की जयंती पर विशेष — भूदान और ग्रामदान आंदोलन के प्रणेता, महात्मा गांधी के शिष्य और भारत रत्न विनोबा जी की पदयात्राओं, विचारों और योगदान का विवरण।
Read Moreबसना में दिवंगत कवि श्रीराम साहू ‘अकेला’ की प्रथम पुण्यतिथि पर साहित्यकारों ने काव्य गोष्ठी व पौधरोपण कर भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की।
Read Moreवरिष्ठ साहित्यकार शिवशंकर पटनायक, जिन्होंने छत्तीसगढ़ के पिथौरा में रहकर हिन्दी गद्य साहित्य को समर्पित जीवन जिया, अब भी कलम से ही रचते हैं उपन्यास और कहानियाँ।
Read Moreपंडित रामदयाल तिवारी छत्तीसगढ़ के एक ऐसे साहित्यकार थे, जिनका लेखन जनजीवन, संस्कृति और आत्मसंघर्ष की जीवंत झलक देता है। यह आलेख उनके व्यक्तित्व, विचार और विरासत को सामने लाता है।
Read Moreओड़िया और संस्कृत साहित्य के समर्पित साधक गंगाधर गुरू का मानना है कि साहित्य कभी निष्पक्ष नहीं होता, वह केवल मानवता का पक्षधर होता है। प्रस्तुत है साहित्य, संस्कृति, धर्म और राष्ट्रभाषा पर आधारित उनकी गहन अंतर्दृष्टियों से भरी बातचीत।
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