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क्राँतिकारी महावीर सिंह राठौड़ का बलिदान

स्वाधीनता संग्राम में यदि अहिसंक आँदोलन ने पूरे देश में एक जाग्रति का वातावरण बनाया था तो क्राँतिकारी आँदोलन ने अंग्रेजों को सर्वाधिक विचलित किया था। भारत का ऐसा कोई क्षेत्र नहीं जहाँ से कोई न कोई नौजवान क्राँतिकारी आँदोलन से न जुड़ा हो। कासगंज के क्राँतिकारी महावीर सिंह राठौर ऐसे क्राँतिकारी थे जिन्होंने सुप्रसिद्ध क्राँतिकारी भगतसिंह और दुर्गाभाभी को सुरक्षित लाहौर से निकाला था।

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वीर संभाजी महाराज का बलिदान: धर्म और स्वाभिमान की अद्वितीय मिसाल

छत्रपति संभाजी महाराज भारतीय इतिहास के वे अमर बलिदानी हैं, जिन्होंने औरंगजेब की क्रूर यातनाओं को झेलकर भी धर्म और देश की रक्षा की। उनका जीवन संघर्ष, शौर्य और अटूट संकल्प की मिसाल है। जानिए कैसे उन्होंने 210 युद्ध जीते और अंत तक हिंदवी स्वराज्य के लिए लड़ते हुए अमर बलिदान दिया।

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डॉ. रमन सिंह ने किया “कोसल के क्रांतिवीर” पुस्तक का विमोचन, क्रांतिकारियों की गाथा को दी ऐतिहासिक पहचान

डॉ. रमन सिंह ने ‘कोसल के क्रांतिवीर’ पुस्तक का विमोचन किया, जो छत्तीसगढ़ और पश्चिम ओड़िशा के भूले-बिसरे स्वतंत्रता सेनानियों के योगदान को उजागर करती है।

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स्वतंत्रता के प्रहरी : बाबू कुँअर सिंह

न आयु बाधा बनी। वे भारत की स्वाधीनता के लिए न्यौछावर हो गए। ऐसे ही बलिदानी थे बाबू कुँअर सिंह, जिन्होंने हाथ में बंदूक लेकर अस्सी वर्ष की आयु में क्रांति का मोर्चा संभाला।

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छापामार युद्ध के उस्ताद तात्या टोपे एवं उनकी सैन्य रणनीति

सुप्रसिद्ध बलिदानी तात्या टोपे संसार के उन विरले सेनानायकों में से एक हैं, जिन्होंने न केवल एक व्यापक क्रांति का संचालन किया, बल्कि क्रांति के अधिकांश नेताओं के बलिदान के बाद भी लगभग एक वर्ष तक अकेले अपने पराक्रम से उस क्रांति को जीवंत रखा और पूरे भारत में अंग्रेजों को छकाया।

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ऐतिहासिक ‘नमक सत्याग्रह’ के आज पूरे हुए 95 साल

क्या आपको याद है कि आज 6 अप्रैल की तारीख़ हमारे स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में एक यादगार दिवस के रूप में दर्ज है ? यही वह यादगार दिन है, जिसे हममें से अधिकांश लोग भूल गए हैं, जब 95 साल पहले 6अप्रैल 1930 को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के नेतृत्व में उनके साबरमती आश्रम से दांडी के समुद्रतट तक 358 किलोमीटर लम्बी एक ऐतिहासिक पैदल यात्रा सम्पन्न हुई थी।

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