स्वतंत्रता संग्राम

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भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में रेडियो की भूमिका : राष्ट्रीय प्रसारण दिवस विशेष

1942 के भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान गुप्त रूप से संचालित ‘कांग्रेस रेडियो’ असहमति की मुखर आवाज़ बना, जिसने अंग्रेज़ी शासन को चुनौती दी और स्वतंत्रता संग्राम में संचार का नया आयाम जोड़ा।

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स्वतंत्रता की ज्वाला के अग्रदूत: मंगल पांडे

मंगल पांडे, भारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के अग्रदूत, जिन्होंने 1857 में ब्रिटिश शासन के खिलाफ विद्रोह की चिंगारी सुलगाई और देश के लिए अपने प्राणों की आहुति दी।

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छत्तीसगढ़ी चेतना के संवाहक: डॉ. खूबचंद बघेल

डॉ. खूबचंद बघेल छत्तीसगढ़ की अस्मिता, स्वतंत्रता संग्राम और सामाजिक चेतना के पुरोधा थे, जिन्होंने राजनीतिक सिद्धांतों और क्षेत्रीय स्वाभिमान के लिए जीवनभर संघर्ष किया।

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1857 का क्रूर प्रतिशोध: जब अंग्रेजों ने सिपाही विद्रोह के जवाब में जलाया कानपुर

1857 की क्रांति के दौरान कानपुर और बिठूर में जनरल हैवलॉक और नील द्वारा किए गए नरसंहार की क्रूर गाथा, जब हज़ारों निर्दोष भारतीयों को मौत के घाट उतारा गया और गांव के गांव जला दिए गए।

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लक्ष्मीबाई केलकर : राष्ट्र निर्माण में नारीशक्ति जागरण की अग्रदूत

लक्ष्मीबाई केलकर, राष्ट्र सेविका समिति की संस्थापक, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम और नारी जागरण की अग्रदूत थीं। उन्होंने स्त्रियों को सामाजिक, सांस्कृतिक और राष्ट्र सेवा में संगठित कर भारत के उत्थान में अमूल्य योगदान दिया। यह लेख उनके जीवन, कार्य और विचारधारा पर विस्तृत प्रकाश डालता है।

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भारतीय स्वाभिमान, स्वाधीनता और संस्कृति की प्रतीक : वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई

स्वाभिमान, स्वाधीनता और संस्कृति की रक्षा के लिये भारत में असंख्य बलिदान हुए हैं, तब जाकर हमने 15 अगस्त 1947 को स्वतंत्रता का सूर्योदय देखा। इन बलिदानों में रानी लक्ष्मीबाई का अनूठा बलिदान भी है, जिन्होंने अपनी अंतिम श्वास तक संघर्ष किया।

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