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छापामार युद्ध के उस्ताद तात्या टोपे एवं उनकी सैन्य रणनीति

सुप्रसिद्ध बलिदानी तात्या टोपे संसार के उन विरले सेनानायकों में से एक हैं, जिन्होंने न केवल एक व्यापक क्रांति का संचालन किया, बल्कि क्रांति के अधिकांश नेताओं के बलिदान के बाद भी लगभग एक वर्ष तक अकेले अपने पराक्रम से उस क्रांति को जीवंत रखा और पूरे भारत में अंग्रेजों को छकाया।

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ऐतिहासिक ‘नमक सत्याग्रह’ के आज पूरे हुए 95 साल

क्या आपको याद है कि आज 6 अप्रैल की तारीख़ हमारे स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में एक यादगार दिवस के रूप में दर्ज है ? यही वह यादगार दिन है, जिसे हममें से अधिकांश लोग भूल गए हैं, जब 95 साल पहले 6अप्रैल 1930 को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के नेतृत्व में उनके साबरमती आश्रम से दांडी के समुद्रतट तक 358 किलोमीटर लम्बी एक ऐतिहासिक पैदल यात्रा सम्पन्न हुई थी।

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एक साहसी योद्धा की अमर कहानी : झलकारी बाई

न तो स्वयं के लिये राज्य प्राप्ति की चाह थी और न अपना कोई हित। पर उन्होंने संघर्ष किया और जीवन की अंतिम श्वांस तक किया। वे जानतीं थीं कि उनके संघर्ष का अंत विजय नही है अपितु जीवन का  बलिदान है। फिर भी उन्होंने प्राणपण का संघर्ष किया और रानी लक्ष्मीबाई सुरक्षित कालपी पहुँचाया।

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मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने उत्कल दिवस पर मधुसूदन दास को अर्पित की श्रद्धांजलि

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने उत्कल दिवस पर रायपुर में बैरिस्टर मधुसूदन दास की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उन्हें नमन किया। उन्होंने ओडिशा स्थापना दिवस को आत्मगौरव और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक बताते हुए उत्कल समाज के योगदान की सराहना की।

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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक डा केशव हेडगेवार : विशेष आलेख

1929 में डाॅ हेडगेवार काँग्रेस के लाहौर अधिवेशन में सम्मिलित हुये। इसी अधिवेशन में पहली बार पूर्ण स्वराज्य का संकल्प पारित हुआ था। लाहौर से लौटकर डाॅ हेडगेवार ने सभी स्थानों की यात्रा की और सभी संघ शाखाओं में पूर्ण स्वराज्य का संकल्प पारित कराया। 1930 तक महाराष्ट्र के अधिकांश स्थानों में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का विस्तार हो गया था।

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मेरा रंग दे बसंती चोला : 23 मार्च शहीद दिवस

क्राँतिकारियों का पूरा जीवन राष्ट्र के स्वत्व, स्वाभिमान और साँस्कृतिक चेतना केलिये समर्पित रहा। जब ये महान क्राँतिकारी बलिदान हुये तब भगतसिंह और सुखदेव की आयु तेइस वर्ष और  राजगुरु की आयु बाईस वर्ष थी। वे इतनी कम आयु में उन्होंने क्राँति का जो उद्घोष किया, उसकी गूँज लंदन तक हुई।

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