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राष्ट्रपति को राज्य विधेयकों पर निर्णय के लिए सुप्रीम कोर्ट ने तय की 3 महीने की सीमा

सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसले में कहा है कि राज्यपाल द्वारा राष्ट्रपति को भेजे गए विधेयकों पर राष्ट्रपति को तीन महीने में निर्णय लेना अनिवार्य होगा, अन्यथा देरी के कारण बताने होंगे। निर्णय अनुच्छेद 201 की व्याख्या को लेकर ऐतिहासिक माना जा रहा है।

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राज्यपाल की शक्तियों पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला: तमिलनाडु के 10 विधेयकों पर राज्यपाल की असहमति को अवैध करार

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को एक ऐतिहासिक फैसले में तमिलनाडु के राज्यपाल आर एन रवि द्वारा 10 विधेयकों पर मंजूरी रोकने को असंवैधानिक ठहराया। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि राज्यपाल विधेयकों पर अनिश्चितकाल तक निर्णय नहीं टाल सकते और तय समय सीमा में फैसला लेना अनिवार्य है। यह फैसला राज्यपाल और विपक्ष-शासित राज्य सरकारों के बीच चल रही टकराव की स्थिति में बड़ा बदलाव ला सकता है।

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ग्रामीण क्षेत्रों में शौचालयों की कमी, सुप्रीम कोर्ट ने महिलाओं की सुरक्षा और स्वास्थ्य पर जताई चिंता

सुप्रीम कोर्ट ने ग्रामीण क्षेत्रों में शौचालयों की कमी पर गहरी चिंता जताते हुए कहा कि इससे महिलाओं के स्वास्थ्य और सुरक्षा दोनों पर गंभीर असर पड़ रहा है। न्यायमूर्ति नागरत्ना ने कहा कि महिलाएं दिन भर खुद को रोकने को मजबूर हैं और अंधेरे में बाहर जाने पर यौन हिंसा का खतरा रहता है।

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बंगाल सरकार को बड़ी राहत, सुप्रीम कोर्ट ने नहीं दी सीबीआई जांच की अनुमति

सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार को बड़ी राहत देते हुए सीबीआई जांच की मांग को खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा बनाए गए अतिरिक्त पदों और शिक्षक भर्ती घोटाले में कैबिनेट निर्णयों की जांच नहीं की जा सकती। ममता बनर्जी ने फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए ‘योग्य’ शिक्षकों की रक्षा का संकल्प लिया और आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की बात कही।

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सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला: राज्यपालों को बिल पर फैसला देने के लिए मिला समय सीमा का निर्देश

तमिलनाडु के राज्यपाल द्वारा महीनों तक विधेयकों पर फैसला न लेने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया। कोर्ट ने राज्यपालों के लिए बिलों पर फैसला लेने की समयसीमा तय कर दी और कहा कि अगर विधानसभा बिल को दोबारा पास करे तो राज्यपाल को मंजूरी देनी ही होगी।

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न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा ने इलाहाबाद हाई कोर्ट में शपथ ली, दिल्ली से ट्रांसफर के बाद विवाद जारी

न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज के रूप में शपथ ली, जबकि उन्हें दिल्ली हाई कोर्ट से ट्रांसफर किया गया था। उनके खिलाफ दिल्ली स्थित सरकारी आवास से बिना हिसाब के नकद राशि की वसूली के आरोप हैं, जिन्हें उन्होंने नकारा है। इस मामले के बाद सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें इलाहाबाद हाई कोर्ट में कोई न्यायिक कार्य सौंपने से रोक दिया था।

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