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वक्फ अधिनियम 2025 पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई: याचिकाकर्ताओं ने बताया अल्पसंख्यकों की संपत्तियों पर ‘रेंगता अधिग्रहण’

वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है, जिसे मुस्लिम समुदाय की संपत्तियों पर अतिक्रमण और धार्मिक अधिकारों में हस्तक्षेप बताया गया। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि यह कानून वक्फ संपत्तियों को खत्म करने और सरकार को मनमाने अधिकार देने की कोशिश है।

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न्यायिक सेवा में भर्ती के लिए न्यूनतम तीन वर्ष की वकालत अनिवार्य: सुप्रीम कोर्ट ने दी स्पष्टता

सुप्रीम कोर्ट ने न्यायिक सेवा में भर्ती के लिए न्यूनतम तीन वर्ष की वकालत की शर्त को बहाल करते हुए यह स्पष्ट किया है कि यह नियम केवल भविष्य की भर्तियों पर लागू होगा। पहले से अधिसूचित भर्तियों पर यह शर्त प्रभावी नहीं होगी। साथ ही, लंबित भर्ती प्रक्रियाओं को अब पुनः शुरू किया जा सकता है।

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महिला सैन्य अधिकारी पर आपत्तिजनक टिप्पणी: सुप्रीम कोर्ट ने मंत्री विजय शाह की माफ़ी ठुकराई, एसआईटी जांच के आदेश

सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश के मंत्री विजय शाह की माफ़ी को खारिज करते हुए उनके आपत्तिजनक बयान पर तीखी फटकार लगाई और मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय विशेष जांच दल (SIT) गठित करने का आदेश दिया। मंत्री पर एक महिला सैन्य अधिकारी को लेकर सांप्रदायिक टिप्पणी करने का आरोप है, जिसे अदालत ने “क्रूड और अस्वीकार्य” बताया।

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मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई की टिप्पणी से न्यायपालिका और कार्यपालिका में सम्मान को लेकर बहस तेज

मुंबई दौरे के दौरान भारत के मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई ने महाराष्ट्र के शीर्ष अधिकारियों की अनुपस्थिति पर नाराज़गी जताई। उन्होंने कहा कि अगर न्यायपालिका से ऐसी चूक होती, तो अनुच्छेद 142 पर बहस छिड़ जाती। यह टिप्पणी न्यायिक सक्रियता और कार्यपालिका के बीच बढ़ती बहस के बीच आई है।

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पर्यावरण की अनदेखी पर सुप्रीम कोर्ट सख्त: ‘पूर्वव्यापी मंजूरी’ पर रोक, 2017 और 2021 की अधिसूचनाएं अवैध घोषित

सुप्रीम कोर्ट ने 2017 और 2021 की पर्यावरणीय अधिसूचनाओं को असंवैधानिक करार देते हुए ‘पूर्वव्यापी पर्यावरण मंजूरी’ की व्यवस्था को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि विकास के नाम पर पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाले कदम मौलिक अधिकारों का उल्लंघन हैं।

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राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सुप्रीम कोर्ट से मांगी राय, अनुच्छेद 143(1) के तहत भेजा अभूतपूर्व संदर्भ

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने संविधान के अनुच्छेद 143(1) के तहत सुप्रीम कोर्ट से विधेयकों पर समयसीमा के संदर्भ में राय मांगी है। यह कदम सुप्रीम कोर्ट द्वारा ‘माना गया अनुमोदन’ की अवधारणा को लेकर उठाया गया है, जिसे राष्ट्रपति ने संविधान के विपरीत बताया है।

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