वैदिक पुनर्जागरण के अग्रदूत स्वामी दयानन्द सरस्वती
स्वामी जी भले असमय संसार छोड़ गये पर उनकी शिक्षाएँ, संदेश और संस्था ‘आर्यसमाज’ के माध्यम से वैदिक आन्दोलन भारतीय इतिहास में अमर है।
Read moreस्वामी जी भले असमय संसार छोड़ गये पर उनकी शिक्षाएँ, संदेश और संस्था ‘आर्यसमाज’ के माध्यम से वैदिक आन्दोलन भारतीय इतिहास में अमर है।
Read moreमहर्षि दयानंद ने हिन्दी को भारत की विविध भाषाओं और समुदायों के बीच सांस्कृतिक और सामाजिक एकता स्थापित करने का साधन माना। उन्होंने हिन्दी को भारत के स्वतंत्रता आंदोलन और सामाजिक सुधार के लिए एक प्रभावशाली उपकरण के रूप में प्रस्तुत किया।
Read moreस्वामी दयानन्द सरस्वती को बहुत विरोध का सामना करना पड़ा। यह विरोध दोनों तरफ से था एक ओर धर्मान्तरित हिन्दुओः की घर वापसी केलिये और दूसरी ओर आडंबर मुक्ति अभियान के लिये भी। और इसी कुचक्र के अंतर्गत उन्होंने देह त्यागी। एक वेश्या के कुचक्र से हुआ। कहते हैं षड्यंत्र कारियों ने स्वामी जी के रसोइये को लालच देकर अपनी ओर मिला लिया और दूध में विष मिलाकर स्वामी जी को पिला दिया।
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