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वैदिक साहित्य के पुर्नप्रवर्तक श्रीपाद दामोदर सातवलेकर

हीं उनका संपर्क वे आर्य समाज से हुआ।वे आर्य समाज की वेदांत गोष्ठियों में भाग लेने लगे। उनकी व्याख्या और तर्क से समूचा वैदिक विद्वान समाज प्रभावित हुआ।उन्होंने आर्य समाज केलिये “सत्यार्थ प्रकाश”, “ऋग्वेदादि भाष्य भूमिका” व “योग तत्वादर्श” का मराठी में अनुवाद भी किया।

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चातुर्मास का वैज्ञानिक महत्व और आध्यात्मिक रहस्य

भारतीय वाड्मय में चातुर्मास का विशेष महत्व है। यह आषाढ़ शुक्ल पक्ष की एकादशी से आरंभ होता है। इसका समापन

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भारतीय शिक्षा और समाज सुधारक ईश्वरचंद्र विद्यासागर

गुरुकुल नष्ट कर दिये गये थे, चर्च और बाइबिल आधारित शिक्षा आरंभ कर दी गई थी। ऐसे समय में एक ऐसे व्यक्तित्व की आवश्यकता थी जो भारतीय समाज में आत्मविश्वास जगाकर अपने स्वत्व से जोड़ने का अभियान छेड़े।

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समाज को सशक्त एवं संस्कारित करने का केन्द्र हैं मंदिर

मंदिर  केवल पूजा, उपासना, प्रार्थना या आराधना के स्थल भर नहीं है॔। ये अंतरिक्ष की अनंत ऊर्जा से प्रकृति और

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जलियांवाला बाग से लेकर बिलफ्रेड पार्क तक का सफर

महान क्राँतिकारी चन्द्रशेखर आजाद एक ऐसे विलक्षण व्यक्तित्व के धनी थे कि उन्होंने अंग्रेजी शासन के विरुद्ध भारत के संपूर्ण

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जो आत्मवोध कराये वह गुरु है : गुरु पूर्णिमा विशेष

“जो आत्मवोध कराये वह गुरु है,  मनुष्य या प्राणी का जीवन तो सीमित होता है। समय और आयु अवस्था उनकी क्षमता और ऊर्जा को प्रभावित करती है, अतएव गुरु चिरजीवी होना चाहिए”।

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