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परंपरा, संस्कृति और सामाजिक समरसता का त्यौहार होली

होलिकोत्सव भारत में ही नहीं भारत की सीमा से बाहर विश्व के अनेक देशों में भी मनाया जाता है। भारत के सभी पड़ौसी देशों नेपाल, बंगलादेश, पाकिस्तान, म्यांमार, श्रीलंका, सुरीनाम, मारीशस, दक्षिण अफ्रीका, गुयाना, ट्ररीनाड आदि देशों के साथ अमेरिका, फ्रांस ब्रिटेन जर्मनी आदि देशों में भी प्रवासी भारतीय होलिकोत्सव मनाते हैं। काठमांडू में तो यह उत्सव एक सप्ताह तक चलता है।

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सामाजिक समरसता और राष्ट्रभाव का प्रतीक तीर्थयात्राएं

इस महाकुंभ में पचास करोड़ से अधिक लोगों ने डुबकी लगा चुके हैं। सबने एक दूसरे का कंधा पकड़कर, एक दूसरे का सहयोग करके डुबकी लगाई। किसी ने किसी से जाति नहीं पूछी, अमीरी और गरीबी का भेद नहीं था, अधिकारी और सामान्य का भी भेद न था। सबकी एक ही पहचान “सनातनी हिन्दू”।

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अमर शौर्य और त्याग की गाथा : संभाजी महाराज

क्रूरतम यातनाओं का क्रम सम्भाजी के साथ चला। यह सब कोई 38 दिन चला। उन्हे उल्टा लटका कर पिटाई की गई, आँखे निकालीं गई, चीरा लगाकर नमक लगाया गया, जिव्हा काटी गई। और अंत में एक एक अंग काटकर तुलापुर नदी में फेक दिया गया।

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धर्म रक्षा में बलिदान भाई मणि सिंह जी

बलिदानी भाई मणिसिंह का उल्लेख लगभग सभी सिक्ख ग्रंथों में है। एक अरदास में भी उनका नाम आता है। पर उनके जन्म की तिथि पर मतभेद है। मुगल काल में उन्हें परिवार सहित बंदी बनाया था और मतान्तरण के लिये दबाव डाला गया। वे तैयार नहीं हुये तो पूरे परिवार के एक एक अंग काटकर प्राण लिये गये।

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जेल यात्रा और संविधान सभा तक का सफर : पृथ्वी सिंह आजाद

ऐसे चिंतक विचारक और क्राँतिकारी पृथ्वी सिंह आजाद का जन्म 15 सितंबर 1892 को पंजाब प्रांत के मोहाली क्षेत्र अंतर्गत ग्राम लालरू में हुआ था। इन दिनों इस क्षेत्र को साहिबजादा अजीतसिंह नगर के नाम से जाना जाता है।

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स्वाधीनता संग्राम के प्रखर प्रवक्ता: लाला हरदयाल

सुप्रसिद्ध क्रान्तिकारी और विचारक लाला हरदयाल की गणना उन विरले स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों में होती है जिन्होंने केवल भारत ही नहीं अपितु अमेरिका और लंदन में भी अंग्रेजों के अत्याचारों के विरुद्ध जनमत जगाया था।

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