श्री रमेश शर्मा

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भारतीय स्वातंत्र्य समर के अमर क्रांतिकारी बाघा जतिन

बाघा जतिन उर्फ़ जतिनन्द्र नाथ मुखर्जी भारतीय स्वाधीनता संग्राम के वीर सपूत थे। 10 सितंबर 1915 को उन्होंने अंग्रेजी शासन से लोहा लेते हुए अपना बलिदान दिया।

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स्वतंत्रता संग्राम के बहुआयामी योद्धा: क्रांतिकारी भूपेन्द्रनाथ दत्त

क्रांतिकारी भूपेन्द्रनाथ दत्त का जीवन स्वतंत्रता संग्राम, सामाजिक जागरण और किसान आंदोलनों से जुड़ा रहा। गदर पार्टी से लेकर इंडियन इंडिपेंडेंस कमेटी और कांग्रेस तक उनकी भूमिका बहुआयामी रही।

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बिठूर की तेरह वर्षीय बलिदानी नायिका मैनादेवी : स्वातंत्र्य समर

1857 की क्रांति में बिठूर की 13 वर्षीय मैनादेवी ने अंग्रेजों की यातनाएँ झेलकर भी सत्य का साथ नहीं छोड़ा और 3 सितम्बर 1857 को जीवित जलाई गईं। उनका बलिदान भारत के स्वतंत्रता संग्राम की अमर गाथा है।

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क्रांतिकारियों के युगचारण और राष्ट्रजागरण के अमर गायक : राष्ट्रकवि श्रीकृष्ण सरल

राष्ट्रकवि श्रीकृष्ण सरल का जीवन स्वतंत्रता सेनानियों और क्रांतिकारियों की गाथाओं के लेखन को समर्पित रहा। पंद्रह महाकाव्यों सहित 124 ग्रंथों के रचयिता सरल जी ने साहित्य और राष्ट्रसेवा को अपना जीवन बना दिया।

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दारा शिकोह की त्रासदी : सहिष्णु शहजादे की क्रूरतम मृत्यु का इतिहास

मुगल इतिहास में औरंगजेब की क्रूरता, दारा शिकोह की हत्या और सत्ता संघर्ष की कहानी, जिसमें परिवारिक खूनखराबे और साजिशों का विस्तृत विवरण।

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शिक्षा, समाज और राष्ट्र पर डॉ. मोहन भागवत का दृष्टिकोण : तीन दिवसीय संवाद

दिल्ली में विज्ञान भवन में हुए तीन दिवसीय संवाद में डॉ. मोहन भागवत ने शिक्षा, संविधान, आरक्षण, जाति व्यवस्था, हिन्दू राष्ट्र और राष्ट्रीय सुरक्षा पर संघ की स्पष्ट विचारधारा रखी। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शताब्दी संवाद कार्यक्रम में 218 प्रश्नों के उत्तर देते हुए डॉ. मोहन भागवत ने शिक्षा, समाज, भाषा, जाति और राष्ट्रीय सुरक्षा पर तार्किक व तथ्यपरक विचार रखे।

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